PM मोदी ने श्रीमद् भगवद गीता से की GST की तुलना
नई दिल्ली: जीएसटी को सहकारी संघवाद की भावना का परिचायक करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बारे में राज्यों के साथ व्यापक चर्चा का जिक्र किया और इससे जुड़ी जीएसटी परिषद की 18 बैठकों की तुलना श्रीमद् भगवद गीता के 18 अध्याय से की। संसद के केंद्रीय कक्ष में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि जीएसटी के संदर्भ में जीएसटी काउंसिल की आज 18वीं बैठक हुई और सभी बैठकों में सर्वसम्मति से निर्णय किए गए। गीता के भी 18 अध्याय है। यह संयोग की बात है। पीएम मोदी ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को देश के सबसे बड़े कर सुधार के साथ आर्थिक और सामाजिक सुधार करार दिया और कहा कि यह गरीबों के हित की सबसे सार्थक व्यवस्था होगी। पीएम मोदी ने कहा कि इससे कालाधन और भ्रष्टाचार रोकने का मौका मिलेगा, कर आतंकवाद और इंस्पेकटर राज खत्म होगा तथा नई प्रशासनिक संस्कृति की शुरुआत होगी।
गुड एंड सिंपल टैक्स
जीएसटी को सहयोगात्मक संघवाद की मिसाल तथा टीम इंडिया के सामाथ्र्य का परिणाम बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे लागू करने से पहले लंबी प्रक्रिया के दौरान कई प्रकार की शंकाएं-आशंकाएं रहीं, राज्यों के कई सवाल रहे जिन्हें अथक प्रयास से दूर किया गया। जीएसटी को आर्थिक एकीकरण का महत्वपूण कार्य तथा देश की आधुनिक कर प्रणाल करार देते हुए उन्होंने कहा कि इससे 500 प्रकार के करों से मुक्ति मिल रही। इससे ‘एक देश, एक कर’ का हमारा सपना साकार हो रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी ‘गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स’ से आगे ‘गुड एंड सिंपल’ टैक्स है।