प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी उज्जवला योजना के तहत गरीबों को फ्री रसोई गैस देने के लिए चयनित लोगों की जो सूची केंद्र से उत्तराखंड की विभिन्न गैस एजेंसियों को भेजी गई हैं, उनमें अमीरों के नाम भी हैं।
जरूरतमंदों के चिन्हीकरण के लिए हुए आर्थिक सर्वे में यह सच सामने आया है। सूची में शामिल कई लोग सरकारी नौकरी में अच्छे पदों पर कार्यरत हैं, उनके बाकायदा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के राशन कार्ड बने हैं। जबकि इस सूची में केवल उन्हीं गरीब परिवारों को शामिल किया जाना था, जिनकी मासिक आय अधिकतम एक हजार रुपये से कम हो।
इस योजना के तहत अत्यंत गरीब परिवारों जिनके पास अभी तक गैस कनेक्शन नहीं है, उन्हें ही सरकार मुफ्त गैस कनेक्शन मुहैया करा रही है। कुछ जगहों पर अमर उजाला के संवाददाता ने खुद मौके पर जाकर सर्वे किया। उदाहरण के तौर पर रेलवे में कार्यरत, रेलवे कॉलोनी निवासी ओमप्रकाश, विजय, हरपाल सिंह, अरविंद आदि लोगों के नाम सूची में हैं।
जबकि इनके दोनों बेटे भी कारोबार से जुड़े हैं। हालांकि इन लोगों का उज्ज्वला से कोई लेना-देना नहीं है और ना ही ये लोग इसके लिए आवेदन कर रहे हैं। लेकिन, ये मामले सामने आने से आर्थिक सर्वे रिपोर्ट और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत बने राशन कार्ड पर सवाल उठने लगे हैं।
दरअसल, केन्द्र सरकार ने वर्ष 2011 में उत्तराखंड में एक आर्थिक सर्वे करवाया था। सर्वे के बाद केन्द्र ने एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें गरीब परिवार जिसके पास बीपीएल राशन कार्ड है या वह बहुत गरीब है मगर उसके पास राशन कार्ड नहीं है को इस सूची में शामिल किया गया। जिसके बाद सरकार ने उज्ज्वला योजना निकाली।