पीएम मेमोरियल ने राहुल गांधी को लिखा पत्र, सोनिया गांधी से नेहरू के पत्र वापस करने का आग्रह
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) ने औपचारिक रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी से अनुरोध किया है कि वे अपनी मां सोनिया गांधी से भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखे गए महत्वपूर्ण पत्र वापस कराएं। ये पत्र 2008 में यूपीए शासन के दौरान सोनिया गांधी को भेजे गए थे, जब नेहरू के निजी दस्तावेज़ों का एक संग्रह उन्हें सौंपा गया था। PMML का कहना है कि ये पत्र भारतीय इतिहास के एक अहम दौर से संबंधित हैं और इनका अध्ययन करने के लिए विद्वानों और शोधकर्ताओं को इन तक पहुंच बनानी चाहिए।
PMML के सदस्य रिजवान कादरी ने 10 दिसंबर को राहुल गांधी को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी से नेहरू के निजी पत्रों को वापस लेने या फिर उनकी फोटोकॉपी या डिजिटल प्रतियां PMML को उपलब्ध कराने का आग्रह किया। कादरी ने यह भी कहा कि PMML ने इस साल सितंबर में भी सोनिया गांधी से पत्रों को वापस करने के लिए अनुरोध किया था। PMML का यह कहना है कि ये पत्र न सिर्फ नेहरू के निजी विचारों को उजागर करते हैं, बल्कि यह भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण कालखंड से भी संबंधित हैं। PMML की मान्यता है कि यह ऐतिहासिक सामग्री शोधकर्ताओं के लिए एक अमूल्य धरोहर साबित हो सकती है। कादरी ने पत्र में यह भी लिखा कि “हम समझते हैं कि ये दस्तावेज़ ‘नेहरू परिवार’ के लिए व्यक्तिगत महत्व रखते होंगे, लेकिन इन ऐतिहासिक सामग्रियों को व्यापक रूप से सुलभ बनाने से विद्वानों और शोधकर्ताओं को विशेष रूप से लाभ होगा।”
नेहरू के पत्रों का ऐतिहासिक महत्व
जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखे गए पत्रों का संग्रह भारतीय राजनीति के इतिहास का अभिन्न हिस्सा माना जाता है। ये पत्र ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनमें नेहरू के विचार, उनके समय की राजनीतिक परिस्थितियाँ, और उनकी प्रमुख व्यक्तित्वों के साथ पत्राचार शामिल है। इन पत्रों को 1971 में जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल द्वारा नेहरू मेमोरियल संग्रहालय एवं पुस्तकालय (अब PMML ) को सौंपा गया था। लेकिन 2008 में ये पत्र कथित तौर पर 51 बक्सों में पैक करके सोनिया गांधी को भेजे गए थे। इस संग्रह में नेहरू के पत्रों के अलावा, अन्य प्रमुख हस्तियों जैसे एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, जयप्रकाश नारायण, पद्मजा नायडू, विजया लक्ष्मी पंडित, अरुणा आसफ अली, बाबू जगजीवन राम और गोविंद बल्लभ पंत के साथ भी पत्राचार मौजूद है। यह पत्राचार एक समृद्ध ऐतिहासिक संदर्भ प्रस्तुत करता है, जो उस समय के भारतीय राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को समझने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
PMML का आग्रह
PMML का कहना है कि इस पत्राचार को संस्थान के अभिलेखागार में वापस लाकर इनका अध्ययन किया जा सकता है। PMML ने यह भी कहा है कि इन दस्तावेजों का अध्ययन न केवल भारतीय इतिहास के छात्रों, बल्कि समाजशास्त्रियों और राजनैतिक विशेषज्ञों के लिए भी सहायक होगा। कादरी ने कहा कि “इस संग्रह का ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है और इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहिए।”
बीजेपी का कटाक्ष
PMML द्वारा सोनिया गांधी से इन पत्रों को वापस करने का अनुरोध किए जाने के बाद, भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने गांधी परिवार पर निशाना साधा। भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ट्विटर पर एक पोस्ट करते हुए सवाल किया, “नेहरू जी ने एडविना माउंटबेटन को ऐसा क्या लिखा होगा, जिससे इन पत्रों को सेंसर किया गया हो? क्या राहुल गांधी इन पत्रों को वापस करने के लिए कोई कदम उठाएंगे?” मालवीय ने यह भी तंज किया कि गांधी परिवार ने इन ऐतिहासिक पत्रों को क्यों अपने पास रखा है, जबकि इनका अध्ययन और उपयोग विद्वानों को किया जाना चाहिए। भा.ज.पा. नेताओं ने गांधी परिवार के इस कदम पर सवाल उठाया है और इसे “सेंसरशिप” का मामला करार दिया है। भाजपा के नेता यह भी कहते हैं कि यह दस्तावेज़ भारत के नागरिकों और इतिहासकारों के लिए बहुत मूल्यवान हैं और इन्हें केवल गांधी परिवार के पास रखने से भारतीय समाज को फायदा नहीं हो सकता।
कांग्रेस का मौन रुख
हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन राजनीतिक हलकों में यह मुद्दा अब गर्मा गया है। यह देखा जाना बाकी है कि राहुल गांधी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और क्या सोनिया गांधी इन ऐतिहासिक पत्रों को PMML को लौटाएंगी। प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय ने सोनिया गांधी से नेहरू के व्यक्तिगत पत्रों को वापस करने का अनुरोध किया है। ये पत्र भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करते हैं और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। भाजपा ने इस मामले में गांधी परिवार पर सवाल उठाए हैं, जबकि कांग्रेस ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।