नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ समिट को संबोधित किया। जिसकी थीम ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ मानव-केंद्रित विकास’ है।भारत द्वारा 12 और 13 जनवरी को आयोजित होने वाले वर्चुअल सम्मेलन में 120 से अधिक देश भाग लिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ये मेरा सौभाग्य है कि मैं आपका स्वागत इस समिट में कर रहा हूं। मैं आपका धन्यवाद करता हूं कि आप दुनिया के विभिन्न जगहों से इसमें हिस्सा ले रहे हैं। भारत ने हमेशा वैश्विक दक्षिण के अपने भाइयों के साथ अपने विकास संबंधी अनुभव को साझा किया है। हम वैश्विक दक्षिण का भविष्य में सबसे बड़ा दांव है। हमारे देशों में तीन-चौथाई मानवता रहती है। भारत ने हमेशा अपने विकास के अनुभव को वैश्विक दक्षिण के साथ साझा किया है। हमारी विकास साझेदारी में सभी भौगोलिक और विविध क्षेत्र शामिल हैं।
pm मोदी ने कहा हमने एक और कठिन वर्ष को पीछे छोड़ दिया जो युद्ध, संघर्ष, आतंकवाद और भू-राजनीतिक तनाव, बढ़ती खाद्य उर्वरक और ईंधन की कीमतों को दर्शाता है। अधिकांश वैश्विक चुनौतियां ग्लोबल साउथ द्वारा नहीं बनाई गई हैं, लेकिन वे हमें अधिक प्रभावित करती हैं। भारत ने इस वर्ष अपनी G20 अध्यक्षता शुरू की है, यह स्वाभाविक है कि हमारा उद्देश्य वैश्विक दक्षिण की आवाज को बढ़ाना है।
प्रधानमंत्री ने कहा हमने विदेशी शासन के खिलाफ लड़ाई में एक-दूसरे का समर्थन किया और हम इस सदी में फिर से एक नई विश्व व्यवस्था बनाने के लिए ऐसा कर सकते हैं जो हमारे नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करेगी। आपकी आवाज भारत की आवाज है और आपकी प्राथमिकताएं भारत की प्राथमिकताएं हैं। वैश्विक मुद्दों को हल करने में संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की बड़ी भूमिका है। हमें इनमें सुधार और प्रगति को शामिल करना चाहिए।
वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में अपनी समापन टिप्पणी साझा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा आपके स्टेटमेंट के लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूं और आपका अवलोकन वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिटके अगले 8वें सत्र का मार्गदर्शन करेगा।