मुंबई। 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मीं लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) मंगलवार को अपना 92वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रही हैं। इस खास मौके पर स्वरकोकिला को पूरे देश के नागरिक समेत मनोरंजन जगत के सितारे भी शुभकामनाएं देते नजर आ रहे हैं। वहीं, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी सुर साम्राज्ञी के खास दिन पर उन्हें ढेरों बधाइयां दी हैं।
लगभग 7 दशकों से ज्यादा संगीत की दुनिया में अपनी मखमली आवाज से लोगों का दिल जीतने वालीं लता मंगेशकर को जन्मदिन (Happy Birthday Lata Mangeshkar) की बधाइयां देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट (PM Modi wishes Lata Mangeshkar on her birthday) कर लिखा,’आदरणीय लता दीदी को जन्मदिन की बधाई। उनकी सुरीली आवाज पूरी दुनिया में गूंजती है। भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी विनम्रता और जुनून के लिए उनका सम्मान किया जाता है। व्यक्तिगत रूप से, उनका आशीर्वाद महान शक्ति का स्रोत है। मैं लता दीदी के लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं।’
पीएम मोदी का ट्वीट इस समय सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। बताते चलें कि, लता मंगेशकर का जन्म 1929 में मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर मराठी संगीतज्ञ थे और मां शेवनती गुजराती थीं। 1942 में जब लता 13 साल की थीं, तभी उनके पिता की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। इसके बाद लता के पिता के दोस्त मास्टर विनायक ने लता मंगेशकर को फिल्मों में एक्टिंग और सिंगिंग का करियर शुरू करने में मदद की। विनायक मूवी कंपनी नवयुग चित्रपट के मालिक थे। लता ने मराठी फिल्म किति हासिल (1942) में पहला गाना गाया, लेकिन बाद में फिल्म से यह गाना हटा दिया गया। इसके बाद लता ने मराठी फिल्म पहिलि मंगाला गौर (1942) में छोटा सा रोल किया। इस फिल्म में उन्होंने गाना भी गाया।
लता मंगेशकर का पहला हिंदी गाना मराठी फिल्म गजाभाऊ (1943) का गीत ‘माता एक सपूत की दुनिया बदल दे था।’ 1945 में लता मुंबई चली आईं। लता मंगेशकर ने अपने सात दशक के लंबे करियर में 36 भाषाओं में एक हजार से अधिक फिल्मों के लिए गाने गाए हैं। वही लता मंगेशकर जिन्हें आज दुनिया स्वर-सम्राज्ञी, कोकिल-कंठा और वॉयस ऑफ मिलेनियम जैसे न जाने कितने नामों से पुकारती है। वही लता मंगेशकर जिन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण ही नहीं देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत-रत्न से भी अलंकृत किया चुका है। दादा साहब फाल्के पुरस्कार से तो उन्हें आज से 30 वर्ष पहले ही नवाज दिया गया था।