कारगिल विजय दिवस की 25वीं बरसी पर द्रास पहुंचें पीएम मोदी, शहीद वीर जवानों को दी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली: आज कारगिल दिवस की 25वीं बरसी पर लद्दाख के द्रास पहुंचकर प्रधानमंत्री मोदी ने कारगिल युद्ध में शहीद वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। भारत ने 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध जीता था। इस दिन को हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। पीएम मोदी ने श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद आतंकियों को कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि मैं आतंकवाद के इन संरक्षकों को बताना चाहता हूं कि उनके नापाक इरादे कभी कामयाब नहीं होंगे।
पीएम मोदी ने पाकिस्तान के चेहरे को किया बेनकाब
श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद पीएम मोदी ने कारगिल युद्ध को लेकर पाकिस्तान को बेनकाब करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने अतीत में जो भी नापाक कोशिशें की हैं, उसमें उसे हमेशा मुंह की खानी पड़ी है। लेकिन पाकिस्तान ने अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा है। वह आतंकवाद और युद्ध के सहारे खुद को प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। लेकिन आज जब मैं ऐसी जगह से बोल रहा हूं जहां आतंक के आका मेरी आवाज सीधे सुन सकते हैं।
आतंकवादियों को दी चेातवनी
इसके साथ ही पीएम मोदी ने आतंकियों को चेतावनी देते हुए मैं आतंकवाद के इन संरक्षकों को बताना चाहता हूं कि उनके नापाक इरादे कभी कामयाब नहीं होंगे। इसके बाद पीएम मोदी लद्दाख के द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक भी गए।
लद्दाख को मिला करोड़ो का सौगात
श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी लद्दाख को सौगात देने वाले है जिसमें प्रधानमंत्री मोदी शिंकुन ला सुरंग परियोजना का पहला ब्लास्ट वर्चुअली लॉन्च करेंगे। शिंकुन ला सुरंग परियोजना में 4.1 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब सुरंग शामिल है, जिसका निर्माण निमू-पदुम-दारचा रोड पर लगभग 15,800 फीट की ऊंचाई पर किया जाएगा। इससे लेह तक हर मौसम में कनेक्टिविटी मिलेगी। यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी। शिंकुन ला सुरंग से न केवल हमारे सशस्त्र बलों और उपकरणों की तेज और कुशल आवाजाही सुनिश्चित होगी, बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
जानें कारगिल की कहानी
देश के असली हीरो की कुर्बानी इतिहास के पन्नों पर तो दर्ज होती ही है लेकिन करोड़ों भारतीयों के सीने में उनके प्रति सम्मान रहता है। आज देश भर में कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है जो भारतीय इतिहास की अहम तारीखों में से एक है। इस दिन को 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान मुल्क के लिए अपनी जान की आहुति देने वाले भारतीय सैनिकों की बहादुरी को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है जो देश की रक्षा करने वाले भारतीय सैनिकों के बलिदान और सम्मान को प्रदर्शित करता है। इसे खास दिवस के रूप में जाना जाता है।
भारत-पाकिस्तान युद्ध से जुड़ा है इतिहास
कारगिल विजय दिवस का इतिहास 1971 के भारत औऱ पाकिस्तान के बीच के युद्ध से संबंध रखता है जहां पर इस युद्ध के बाद से पूर्वी पाकिस्तान को ‘बांग्लादेश’ के नाम से जाना जाता है। इसे लेकर दोनों बड़े देशों के बीच एक-दूसरे के साथ टकराव जारी रहा, जिसमें आसपास के पहाड़ी इलाकों पर सैन्य चौकियां तैनात करके सियाचिन ग्लेशियर पर हावी होने की लड़ाई भी शामिल थी। उन्होंने 1998 में अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण भी किया, जिसके कारण दोनों के बीच लंबे समय से दुश्मनी चलती रही।
1999 में तनाव को हल करने का किया था प्रयास
आगे देश में इस स्थिति को देखते हुए शांति और स्थिरता बनाए रखने और तनाव को हल करने के लिए, फरवरी 1999 में ‘लाहौर डिक्लेरेशन’ पर साइन करके कश्मीर मुद्दे के द्विपक्षीय शांतिपूर्ण समाधान की ओर कदम बढ़ाने की कसम खाई गई। इसके बाद भारत को मई 1999 में घुसपैठ का पता चला, तो भारतीय सेना को ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू करना पड़ा और कारगिल युद्ध हुआ। इस युद्ध का दौर लगातार दोनों देशों पर हावी होता जा रहा था जहां पर 2 महीने तक युद्ध जारी रहा है लेकिन भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत पाकिस्तानी घुसपैठियों को बाहर कर दिया था और जीत हासिल की।