राजस्थानराज्य

पीएम मोदी ईआरसीपी को घोषित करें राष्ट्रीय परियोजना : CM गहलोत

जयपुर : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार की जनहितैषी योजनाओं, नीतिगत निर्णयों, कानूनों और कुशल वित्तीय प्रबंधन से पिछले 5 वर्षों में 4 गुना गति से प्रदेश की प्रगति हुई है। इसी का परिणाम है कि 11.04 प्रतिशत जीडीपी विकास दर के साथ राजस्थान उत्तर भारत में प्रथम और देश में दूसरे स्थान पर है। अब प्रगति की गति 10 गुना करने के लिए राजस्थान मिशन-2030 की शुरूआत की गई है। इसमें अब तक 2.50 करोड़ लोगों ने बहुमूल्य सुझाव दिए हैं। इनका संकलन कर जनभावना अनुसार विजन-2030 डॉक्यूमेंट तैयार किया जाएगा। यहीं हमारे राजस्थान के विकास का मजबूत आधार बनेगा।

गहलोत बुधवार को जयपुर के बिड़ला सभागार में मिशन-2030 के तहत ज्वैलर्स, रत्न विक्रेताओं और कारीगरों से संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पहले राजस्थान पिछड़े राज्यों में आता था, लेकिन 5 वर्षों में हर क्षेत्र के सर्वांगीण विकास से अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। अब चिकित्सा-शिक्षा सहित देश की तमाम बड़ी शैक्षणिक संस्थाएं प्रदेश में संचालित है। जैम बुर्स की स्थापना भी राज्य की बड़ी उपलब्धि होगी। इससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ वित्तीय प्रबंधन से वित्तीय वर्ष 2023-24 तक राज्य की जीडीपी 15 लाख करोड़ रुपए हो जाएगी। हमारा लक्ष्य वर्ष 2030 तक इसे 30 लाख करोड़ रुपए से अधिक तक पहुंचाने का है। विकास का सफर अब नहीं रूकेगा।

गहलोत ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार, गिग वर्कर्स वेलफेयर एक्ट, राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी एक्ट, मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा, अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना, इंदिरा गांधी गैस सिलेंडर सब्सिडी, ओल्ड पेंशन योजना, कामधेनु पशु बीमा, लम्पी रोग में 40-40 हजार रुपए की सहायता, किसानों की जमीन कुर्की रोकने सम्बंधित कानून सहित अन्य फैसलों की पूरे देश में चर्चा है। केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अनुसरण भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जयपुर के रामगढ़ बांध को ईसरदा के पानी से भरेंगे।

गहलोत ने कहा कि हमने सरकार बनने के साथ ही पूर्ववर्ती सरकार की योजनाओं को बंद करने के बजाय सुदृढ़ कर आगे बढ़ाया। पूर्व में रूके जयपुर मेट्रो, बाड़मेर रिफाइनरी और केंद्रीय बस स्टैंड सिन्धी कैंप के विकास कार्यों को फिर से शुरू किया। साथ ही, पूर्ववर्ती सरकार में बंद हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय तथा डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय को पुनः संचालित कर विद्यार्थियों को राहत दी गई। बद्रीनाथ-केदारनाथ त्रासदी पीड़ितों को सरकारी सेवा में नियुक्ति देने के संवेदनशील निर्णय को फिर लागू किया गया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के प्रति जनता के विश्वास को कायम रखा है। इसे निरंतर जारी रखा जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेशवासियों की लम्बे समय की मांग पूरी कर राजस्थान को 50 जिलों का प्रदेश बनाया है। आवश्यकता होने और इस संबंध में गठित समिति के सुझावों से संख्या बढ़ाई जा सकती है। हमारा उद्देश्य सभी सुविधाओं और योजनाओं को आमजन तक त्वरित और सुगमता से पहुंचाना है।

मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री से मांग

  • राजस्थान में लगभग 1 करोड़ लोगों को न्यूनतम 1000 रुपए सामाजिक सुरक्षा पेंशन दी जा रही है। केंद्र सरकार भी देश में एक समान सामाजिक सुरक्षा पेंशन लागू करें।
  • राजस्थान के 13 जिलों में सिंचाई और पेयजल के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को भी राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया जाए। राज्य सरकार ने 14 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान कर विकास कार्य शुरू करा दिए हैं।
  • राजस्थान की तरह केंद्र व पूरे देश के राजकीय कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) फिर से लागू की जाए। यह केंद्र की बड़ी जिम्मेदारी है।

उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री शकुन्तला रावत ने कहा कि सरकार की नीतियों से उद्योगों को प्रोत्साहन मिला है। इन्हीं से लगभग 76 प्रतिशत लघु उद्योग पुनः स्थापित हुए हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव वीनू गुप्ता ने कहा कि विभाग के 36 परामर्श शिविरों में 3744 विशेषज्ञों ने सुझाव दिए। अभी तक 25 हजार से अधिक सुझाव प्राप्त हो चुके हैं।

कार्यक्रम में प्रमोद अग्रवाल डेरेवाला, अरविंद गुप्ता, मातादीन सोनी, दुलीचंद, पंडित मुकेश भारद्वाज सहित अन्य विशेषज्ञों और हितधारकों ने सुझाव दिए। उन्होंने जनहितैषी योजनाओं के लिए मुख्यमंत्री का आभार भी व्यक्त किया।

संवाद कार्यक्रम में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, राजस्थान लघु उद्योग विकास निगम के अध्यक्ष राजीव अरोड़ा, राजस्थान राज्य अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष रफीक खान, राजस्थान राज्य हज कमेटी अध्यक्ष अमीन कागजी, सामाजिक कल्याण बोर्ड अध्यक्ष अर्चना शर्मा, रीको चैयरमैन कुलदीप रांका सहित ज्वैलर्स, रत्न विक्रेता, कारीगर समूहों से जुड़े लोग उपस्थित थे।

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