वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को काशी-विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) का उद्घाटन कर दिया। इस मौके पर उन्होंने अपने भाषण में राजनीति पर कोई बात नहीं की। उनका पूरा भाषण काशी के गौरवशाली अतीत, काशी-विश्वनाथ मंदिर के पुर्ननिर्माण और कॉरिडोर के काम पर केंद्रित रहा लेकिन इशारों ही इशारों में उन्होंने कई यूपी के साथ-साथ पंजाब की जनता को भी संदेश दिया। उन्होंने काशी-विश्वनाथ धाम के काम से पंजाब को कनेक्ट करने के लिए राजा रणजीत सिंह का जिक्र किया।
गौरतलब है कि पंजाब के साथ-साथ वेस्ट यूपी में बड़ी संख्या में सिख आबादी रहती है। सिख बड़ी संख्या में खेती-किसानी से जुड़े हैं। हाल ही सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस किसानों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। आज एक बार फिर सिख धर्मगुरुओं और काशी विश्वनाथ धाम को जोड़ते हुए पीएम ने संदेश देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि राजा रणधीर सिंह ने बाबा विश्वनाथ मंदिर की आभा बढ़ाने के लिए यहां 23 मन सोना चढ़ाया था। यह सोना मंदिर के शिखर में जड़ा गया था।
गुरुनानक देव ने भी काशी आकर यहां सत्संग किया था। सिख धर्म के अन्य गुरुओं का भी काशी से रिश्ता रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोगों ने काशी-विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए दिल खुलकर दान दिया था। उन्होंने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई से चंद्रशेखर आजाद तक कितने ही महापुरुषों की कर्मभूमि काशी रही है। काशी अनंत है। काशी का योगदान अनंत है। यह अनंत परम्पराओं की विरासत है।
हर मत-मतांतर, भाषा-वर्ग के लोग यहां आकर एक जुड़ाव महसूस करते हैं। काशी, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक राजधानी तो है ही, भारत की आत्मा का जीवंत अवतार भी है। पूरब-उत्तर को जोड़ती हुई यूपी में स्थित काशी में विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण महारानी अहित्याबाई होलकर ने कराया था जो महाराष्ट्र की रहने वाली थीं। ढाई साल पहले उन्होंने इतना कुछ कराया था। तबके बाद अब जाकर काम हुआ है।
पीएम ने ऐसे साधा विरोधियों पर निशाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करने के साथ ही विरोधियों पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने बिना किसी का नाम लिये कहा कि जब मैं बनारस आया तो एक विश्वास लेकर आया था। विश्वास अपने से ज्यादा बनारस के लोगों का था। तब कुछ लोग जो बनारस के लोगों पर संदेह करते थे। वह लोग कहते थे कि कैसे होगा? होगा ही नहीं। कहते थे कि यहां तो ऐसा ही चलता है। मोदी जैसे बहुत आकर चले गए। मुझे आश्चर्य होता था कि बनारस के लिए कैसे इस तरह की धारणाएं बना दी गई थीं।
पीएम ने कहा कि मुझे पता था कि ये जड़ता बनारस की नहीं थी। हो भी नहीं सकती थी। इसमें थोड़ा बहुत राजनीति और थोड़ा निजी स्वार्थ था। बनारस पर आरोप लगाए जा रहे थे लेकिन काशी तो काशी है। काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है। यहां महादेव की सरकार है। मोदी ने कहा कि जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हो उस काशी को भला कौन रोक सकता है। काशी खंड में भगवान शिव ने खुद कहा है कि बिना मेरी प्रसन्नता के काशी में कौन आ सकता है, कौन इसका सेवन कर सकता है। काशी में महादेव की कृपा के बिना न कोई आता है, और न ही कुछ होता है। यहां जो भी होता है महादेव की इच्छा से होता है। जो भी हुआ महादेव ने ही किया है।
पीएम मोदी ने भोजपुरी में कहा कि इ विश्वनाथ धाम बाबा आपन इच्छा से बनइले हउवन, उनके इच्छा के बिना पत्ता भी नाही हिल सकेला, कोई केतना बड़ा होई तो अपने घरे के होई। मोदी ने कहा कि बाबा के साथ किसी और का योगदान अगर यहां है तो वह बाबा के गणों का है। बाबा के गण यानी हमारे सारे काशीवासी, जो खुद महादेव के ही रूप हैं। जब भी बाबा को अपनी शक्ति का एहसास कराना होता है कुछ न कुछ करा देते हैं।