PM मोदी के भाषणों का संकलन ”सबका साथ, सबका विकास” लॉन्च
नई दिल्ली। हमारे देश में ऐसे भी प्रधानमंत्री रहे हैं, जो अपना भाषण पढ़ते थे। कोई और लिख कर देता था और वे बस भाषण को पढ़ लेते थे। वर्तमान में हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं जो अपने भाषण पढ़ते नहीं बल्कि लोगों के दिलों तक पहुंच बनाते हैं। वो भाषणों के जरिए लोगों से संवाद स्थापित करते हैं। उनके शब्द, उनकी भाषा स्थान, लोग, संस्कृति और परिवेश के अनुकूल होती है। ये वो ही राजनेता कर सकता है जिसे देश की जमीनी जानकारी हो, जिसे देश के लोगों के बारे में जमीनी हकीकतों का पता हो। यह बातें केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मई,2014 से भारत के प्रधानमंत्री के रूप में दिए भाषणों का संकलन ‘सबका साथ, सबका विकास’ लॉन्च करते हुए कही। भारत सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा इन भाषणों को पांच खंडों में संकलित किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों को अलग-अलग विषयों के अनुरूप रखा गया है।
ब्रिटिश पीएम ने माना था मोदी के भाषण का लोहा
प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों के बारे में बात करते हुए अरुण जेटली ने एक किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि कैसे प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों का प्रभाव न केवल भारत वरन भारत के बाहर विदेशों में भी विदेशियों के बीच भी रहा है। जेटली ने बताया कि जब डेविड कैमरून यूनाइटेड किंगडम(यूके) के प्रधानमंत्री थे, तो पीएम मोदी यूके यात्रा पर गए। वहां के अप्रवासी-प्रवासी भारतीय समुदाय ने प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में विम्बले स्टेडियम में एक कार्यक्रम रखा। पीएम मोदी के न्यौते पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री भी उनके साथ अप्रवासी भारतीयों के इस कार्यक्रम में शिरकत करने गए थे। कई साल बाद जब कैमरून ब्रिटिश प्रधानमंत्री नहीं रहे और एक कार्यक्रम में शामिल होने भारत आए तो औपचारिक बैठक के दौराजेटली ने उनसे पूछा- ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर रहते हुए आपको अपनी सबसे बड़ी गलती क्या लगी? जेटली ने बताया कि मैंने सोचा कैमरून ब्रेक्सिट पर बोलेंगे या ईयू को लेकर कोई बात करेंगे लेकिन कैमरून ने कहा कि ब्रिटिश पीएम रहते हुए मेरी सबसे बड़ी गलती भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ विम्बले स्टेडियम में जाना और उनके साथ भाषण देना रही।
कैमरून ने कहा कि उनके भाषण के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपना भाषण दिया। वो इतना पॉवरफुल भाषण था, भावों से इतना भरपूर था, मजबूत इरादों को दिखाता भाषण था, लोगों को अपने से जोड़ता भाषण था कि मैं अपने आप को बिलकुल बौना महसूस कर रहा था। मैं एक ब्रिटिश पीएम के रूप में अपने ही देश में अपने ही लोगों के बीच मोदी के भाषण के चलते खुद को अजनबी महसूस कर रहा था। तब मुझे लगा कि भारत के प्रधानमंत्री के सामने भाषण देने की गलती नहीं करनी चाहिए क्योंकि वे एक बेहतरीन वक्ता हैं।
प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू को श्रद्धांजलि देते हुए अटलजी का संसद में भाषण
नरेन्द्र मोदी के भाषणों का संकलन लॉन्च करते हुए जेटली ने कहा कि एक कुशल राजनेता वो है जो अपने वक्तव्य को समय, परिस्थिति, परिवेश के मुताबिक ढाल ले और इसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बेजोड़ थे। जेटली ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद संसद में उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अटलजी की भाषण ऐसा ही एक भाषण था।
छात्रों-शोधार्थियों, नीतिकर्ताओं, पत्रकारों के लिए होगी महत्वपूर्ण
जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी के ये सभी भाषण, आने वाले सालों में भारत के छात्रों, शोधार्थियों, नीतिकर्ताओं, पत्रकारों के लिए अमूल्य निधि साबित होंगे। दरअसल किसी भी प्रधानमंत्री के भाषण उस समय उस देश की परिस्थिति, परिवेश और समयकाल को बताते हैं। उनके सबसे विश्वसनीय दस्तावेज होते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के ये भाषण आने वाली पीढ़ियों को नया रास्ता दिखाएंगे।