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pok में सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत देंगे मोदी

img_20161005090356NEW DELHI: देश के सशस्त्र बल चाहते हैं कि PAKISTAN के कब्जे वाले कश्मीर(PoK) में आतंकवादियों के ठिकानों पर सर्जिकल हमले का विडियो फुटेज सरकार जारी करे।

सेना ने कहा  इस संबंध में अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री कार्यालय को करना है। भारतीय सेना के आला अधिकारियों ने बताया कि आर्मी चाहती है कि भारत इस सबूत को सबके सामने रख दे ताकि उन लोगों को जवाब मिल जाए, जो आरोप लगा रहे हैं कि हमला हुआ ही नहीं। पाकिस्तान बार-बार कह रहा है कि29 सितंबर को तड़के सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुआ था।
 
क्यों देंगे सबूत 
पड़ोसी देश के इस रुख को देखते हुए आर्मी ने अपनी बात सामने रखी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मांग की है कि मोदी सरकार पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब करे। वहीं कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने हमले की सत्यता पर सवाल उठाया है।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बताया कि हमले का फुटेज जारी करने या न करने का निर्णय पाकिस्तान के रुख को देखते हुए किया जाएगा।
तनाव दोगुना करेगी वीडियो
इस बात पर भी नजर है कि विडियो जारी करने से कहीं भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और न बढ़ जाए क्योंकि फुटेज सामने आने पर पाकिस्तान सरकार और वहां की सेना अपने देश में बुरी तरह घिर जाएगी। आर्मी के शीर्ष रणनीतिकारों ने कहा कि सेना के पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि क्रॉस-बॉर्डर हमला बहुत प्रभावी रहा। इस संबंध में विडियो फुटेज के अलावा फोटोग्राफ भी हैं, जिन्हें सैनिकों और अनमैंड एरियल वीकल्स ने शूट किया था।
क्या कहते हैं अधिकारी’
एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं है कि हमले से दूसरे पक्ष को भारी नुकसान हुआ। सरकार के पास इसका सबूत भी है कि हमारे जवानों ने प्रभावी ढंग से निशाने साधे।’ अब तक सर्जिकल हमले पर सशस्त्र बलों का केवल एक सार्वजनिक बयान 29 सितंबर को डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिटरी ऑपरेशंस लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह की ओर से आया है।
लाइव है स्थिति : राहा
सेना के तीनों अंगों की स्टाफ कमेटी के प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने मंगलवार को कहा कि कॉमेंट्स इसलिए नहीं किए जा रहे हैं क्योंकि स्थिति अब भी’लाइव’ है। उन्होंने कहा, ‘मुझे कुछ नहीं कहना चाहिए क्योंकि यह बेहद संवेदनशील मामला है और स्थिति अब भी लाइव है।’ राहा ने यह भी कहा कि वायुसेना जवाब देने की ताकत रखती है, लेकिन वायु सेना के इस्तेमाल के बारे में कोई भी निर्णय सरकार को करना है।
 

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