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पुष्कर सिंह धामी सरकार की नीतियाँ: प्रशासनिक सुधारों और विकास परक एजेंडे का नया खाका

देहरादून: उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों के दौरान शासन व्यवस्था, प्रशासनिक ढाँचे और विकास योजनाओं में कई महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव देखने को मिले हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने जनहित के जिन कार्यों को आगे बढ़ाया है, उनका केंद्र मुख्य रूप से प्रशासनिक पारदर्शिता, धार्मिक पर्यटन, बुनियादी ढाँचे का विस्तार और कानून-संबंधी सुधार रहे हैं। इनमें कुछ निर्णय राज्य स्तर पर पहली बार लागू हुए, जबकि कई को राष्ट्रीय स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण प्रयोग के रूप में देखा गया।

यूसीसी लागू होने से राष्ट्रीय बहस के केंद्र में आया उत्तराखंड

धामी सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता (UCC) लागू किए जाने का फैसला राज्य की सबसे चर्चित नीतियों में से एक रहा। यह कदम देश में पहली बार किसी राज्य द्वारा इस स्तर पर लागू किया गया मॉडल माना गया, जिसने राष्ट्रीय बहस को भी नया आयाम दिया। सरकार के अनुसार, इस कानून का उद्देश्य समानता आधारित नागरिक व्यवस्था तैयार करना है, जबकि इसके क्रियान्वयन को लेकर सामाजिक और कानूनी हलकों में कई स्तर की चर्चाएँ जारी हैं। नीति के प्रभाव का वास्तविक आकलन आने में अभी कुछ समय लगेगा, लेकिन धामी सरकार का यह कदम उत्तराखंड राज्य को प्रशासनिक प्रयोगों की अग्रिम पंक्ति में ले आया है।

एंटी-नकल कानून: भर्ती प्रक्रियाओं को बनाया पारदर्शी

पिछले वर्षों में उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ियों को लेकर काफी असंतोष था। इसके समाधान के लिए सरकार ने कठोर एंटी-नकल कानून लागू करते हुए सख्ती बढ़ाई। नई व्यवस्था में नकल या पेपर लीक जैसे मामलों में भारी दंड, संपत्ति जब्ती और संगठित अपराध की श्रेणी में कार्रवाई जैसी प्रावधान शामिल किए गए। इसके बाद कई परीक्षाएँ दोबारा संचालित की गईं और निगरानी तंत्र को मजबूत किया गया। यह नीति युवाओं में भरोसा बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक कदम के रूप में देखी जा रही है।

पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर इंफ्रास्ट्रक्चर आधारित नीति से बदल रहा है उत्तराखंड का पर्यटन

उत्तराखंड सरकार ने धार्मिक पर्यटन को राज्य की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार मानते हुए चारधाम और अन्य धार्मिक स्थानों में बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर जोर दिया है। केदारनाथ और बदरीनाथ में मास्टर प्लान के तहत कई पुनर्निर्माण और विस्तार परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं। सड़क, पार्किंग, पैदल मार्गों, सुविधाओं और आपदा प्रबंधन के ढाँचों को मजबूत करने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार का दावा है कि इन नीतियों के कारण चारधाम यात्रा में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिली है। हालांकि, पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ते पर्यटक दबाव के साथ सतत विकास की रणनीति समान रूप से आवश्यक है।

बुनियादी ढाँचा विस्तार: कनेक्टिविटी और स्वास्थ्य पर फोकस

धामी सरकार की नीतियों में सड़क निर्माण, सुरंग परियोजनाएँ, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल सुविधाओं के विस्तार पर विशेष जोर है। पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क चौड़ीकरण और नई सड़कों की योजनाओं को प्राथमिकता दी गई, जबकि स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए जिला और उप-जिला अस्पतालों में सुविधाएँ बढ़ाने की दिशा में कुछ प्रयास किए गए। राज्य के दूरस्थ इलाकों में ई-गवर्नेंस सेवाओं का उपयोग बढ़ाने की नीति भी लागू की गई है, जिससे सरकारी सेवाओं की पहुंच में सुधार की उम्मीद की जा रही है।

युवाओं और उद्यमिता को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ

राज्य सरकार ने स्टार्टअप नीति, स्पोर्ट्स पॉलिसी और स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रमों को युवाओं की जरूरतों के अनुरूप ढालने की कोशिश की है। स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए अनुदान, मेंटरशिप और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की संरचना की गई है। इसके साथ ही, युवाओं के लिए रोजगार पोर्टल और एकीकृत सेवा प्लेटफॉर्म तैयार किए जा रहे हैं। हालांकि रोजगार सृजन की गति को लेकर विपक्ष और विशेषज्ञ लगातार सवाल उठाते हैं, पर नीतिगत स्तर पर सरकार का फोकस प्रक्रिया सुधार और अवसर निर्माण पर केंद्रित दिखाई देता है।

कुल मिलाकर धामी सरकार के कार्यकाल का एक बड़ा हिस्सा नीतिगत प्रयोगों और प्रशासनिक सुधारों पर आधारित रहा है। चाहे वह UCC जैसे व्यापक सामाजिक प्रभाव वाले निर्णय हों, या फिर एंटी-नकल कानून जैसे प्रशासनिक सुधार-राज्य को एक नए ढाँचे में ढालने की दिशा में कई प्रयास किए गए हैं। आने वाले वर्षों में इन नीतियों का वास्तविक प्रभाव-समाज, अर्थव्यवस्था और शासन-तीनों स्तरों पर कितना दिखता है, यह उनके क्रियान्वयन और स्थायी परिणामों से तय होगा।

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