
इंफाल : मणिपुर में राजनीतिक संकट (Political crisis) गहराता जा रहा है, क्योंकि 3 दिन से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन राज्य में कोई पूर्णकालिक मुख्यमंत्री नहीं है, और 6 महीने के अंदर विधानसभा सत्र बुलाने की समय सीमा आज समाप्त हो गई है।
बीजेपी (BJP) अभी तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के उत्तराधिकारी का चयन नहीं कर पाई है, जिसके चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन या विधानसभा को निलंबित रखने की संभावना बढ़ गई है।
बीजेपी नेतृत्व इस संकट को सुलझाने के लिए लगातार बैठकें कर रहा है. पार्टी के मणिपुर प्रभारी संबित पात्रा एक होटल में कई नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन अब तक किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाई है।
सूत्रों के मुताबिक संबित पात्रा राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से बीते 12 घंटों में 2 बार मिले, लेकिन संभावित मुख्यमंत्री के नाम पर कोई निर्णय नहीं ले पाए हैं, उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष सत्यब्रत सिंह, मंत्री बिस्वजीत सिंह, मंत्री खेमचंद, विधायक राधेश्याम और बसंत कुमार सहित कई नेताओं से चर्चा की, लेकिन कोई स्पष्ट फैसला नहीं निकल पाया।
बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि नया मुख्यमंत्री ऐसा हो, जो मैतेई और कुकी- दोनों समुदायों को साथ लेकर चल सके और साथ ही बीरेन सिंह और सत्यब्रत सिंह गुटों को भी स्वीकार्य हो।
अब विधानसभा सत्र बुलाने की समय-सीमा समाप्त हो गई है, राष्ट्रपति शासन लागू करने या विधानसभा को निलंबित रखने की अधिसूचना कभी भी जारी हो सकती है. बीजेपी के एक धड़े का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत लौटने के बाद स्थिति सामान्य हो सकती है, जबकि दूसरे गुट का मानना है कि राष्ट्रपति शासन लागू कर पूरे राज्य में हथियारबंदी कर शांति स्थापित की जानी चाहिए, उसके बाद नई सरकार बनाई जाए. फिलहाल, मणिपुर की राजनीतिक अनिश्चितता आम जनता के लिए बेहद चिंताजनक बनी हुई है।