नई दिल्ली : नए संसद भवन के उद्घाटन पर सियासत गरमा गई है, हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं, लेकिन नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर एक नया सियासी संग्राम छिड़ता दिख रहा है, जिसमें सोमवार को सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों के बीच जबरदस्त जुबानी जंग देखने को मिली। विपक्षी दलों का कहना है कि ‘सर्वोच्च संवैधानिक पद’ पर होने के नाते राष्ट्रपति को इसका उद्घाटन करना चाहिए।
कांग्रेस ने मांग की है कि संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री से नहीं, बल्कि राष्ट्रपति के हाथों होना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तो यहां तक कह दिया कि लगता है चुनावी लाभ के लिए ही दलित और आदिवासी राष्ट्रपति बनाए गए हैं। कांग्रेस ने उद्घाटन की तारीख पर भी सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस नए संसद भवन के उद्घाटन की तारीख से भी नाराज है। 28 मई को विनायक दामोदर सावरकर की जयंती होती है। बीजेपी का सावरकर प्रेम किसी से छिपा नहीं है और वह उसके लिए सबसे बड़े आइकन में से हैं, जबकि कांग्रेस सावरकर पर निशाना साधती है। कांग्रेस ने कहा है कि उद्घाटन के लिए 28 मई की तारीख चुनना देश के राष्ट्र निर्माताओं का अपमान है।
बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कांग्रेस को ‘बेकार’ बताते हुए कहा कि वीर सावरकर हर भारतीय की शान हैं। जो लोग तारीख पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें बता दें कि वे महत्वहीन हैं, वीर सावरकर के चरणों की धूल के लायक भी नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि कांग्रेस की आदत है कि जहां नहीं होता हैं वहां विवाद खड़ा कर देती है। राष्ट्रपति देश के प्रमुख होते तो वहीं प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख होते हैं और सरकार की ओर से संसद का नेतृत्व करते हैं, जिनकी नीतियां कानून के रूप में लागू होती हैं। राष्ट्रपति किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं जबकि पीएम हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उद्घाटन में राष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति को न बुलाकार बार-बार मर्यादा का अपमान करने का आरोप लगाया है। खरगे ने ट्वीट में लिखा, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नए संसद भवन के शिलान्यास के मौके पर आमंत्रित नहीं किया गया, ना ही अब राष्ट्रपति मुर्मू को उद्घाटन के मौके पर आमंत्रित किया गया है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने लिखा, कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट करते हुए कहा कि केवल राष्ट्रपति ही सरकार, विपक्ष और नागरिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं। वो भारत की प्रथम नागरिक हैं। नए संसद भवन का उनके (राष्ट्रपति) द्वारा उद्घाटन सरकार के लोकतांत्रिक मूल्य और संवैधानिक मर्यादा को प्रदर्शित करेगा।
इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी उद्घाटन प्रधानमंत्री के हाथों कराए जाने को गलत बता चुके हैं. राहुल गांधी ने कहा था कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति जी को करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं।
आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को न बुलाकर बीजेपी ने आदिवासियों और पिछले समुदायों का अपमान किया है. आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि बीजेपी दलित, पिछड़ों और आदिवासियों की जन्मजात विरोधी है।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, प्रधानमंत्री को संसद का उद्घाटन क्यों करना चाहिए? वह कार्यपालिका के प्रमुख हैं, विधायिका के नहीं. हमारे पास शक्तियों बंटवारा है और माननीय लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति उद्घाटन कर सकते हैं। यह जनता के पैसे से बना है, पीएम ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं, जैसे उनके ‘दोस्तों’ ने अपने निजी फंड से इसे स्पांसर किया है?
लोकसभा सचिवालय ने 18 मई को बताया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। नई संसद की लोकसभा में 888 सदस्यों और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है। वर्तमान के संसद भवन में लोकसभा में 550 जबकि राज्यसभा में 250 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है।