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यूपी की सबसे युवा प्रत्याशी हैं पूजा शुक्ला

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पूजा शुक्ला सबसे युवा प्रत्याशी हैं। पूजा शुक्ला की सियायत में राह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को काला झंडा दिखाने का बाद खुली है। करीब पांच साल पहले सीएम योगी को काला झंडा दिखाने वाली पूजा शुक्ला को समाजवादी पार्टी ने लखनऊ नॉर्थ से उम्मीदवार घोषित किया है। पूजा शुक्ला की उम्र 25 साल है। पूजा शुक्ला जून 2017 में तब सुर्खियों में आईं जब उन्होंने 10 अन्य लोगों के साथ लखनऊ यूनिर्वसिटी रोड पर सीएम योगी के काफिले को रोकने की कोशिश की थी और सरकार के नीतियों के विरोध में काला झंडा दिखाई थीं।

यहीं से पूजा शुक्ला की राजनीति में पैठ बढ़ी और वो फिर धीरे-धीरे राजनीति में पूरी तरह से एक्टिव हो गईं। पीटीआई से बात करते हुए पूजा शुक्ला ने बताया ‘7 जून,2017 को जब सीएम योगी हिंदी स्वराज दिवस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी कैंपस जा रहे थे तभी ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और समाजवादी छात्र सभा से जुड़े छात्र सड़क पर बैठ गए थे और उनके काफिले रोका, उन्हें काले झंडे दिखाए और राज्य सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए।’

पूजा शुक्ला को जाना पड़ा था जेल
पूजा शुक्ला ने बताया कि सीएम को काला झंडा दिखाने और काफिला रोकने को लेकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और अगले दिन जेल भेज दिया गया। पूजा ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने के बाद भी उन्हें गिरफ्तार किया गया था। घटना को याद करते हुए पूजा शुक्ला ने कहा कि हमने कभी ऐसा सोचा नहीं था।

मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक संघर्ष से हुईं प्रभावित
समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने के सवाल पर पूजा शुक्ला ने कहा कि गिरफ्तारी और जेल जाने के 20 दिन बाद वो रिहा हुईं और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की और पार्टी की छात्र साखा समाजवादी छात्र सभा का उभरता चेहरा बनीं। पूजा ने आगे कहा कि वो मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक संघर्ष और अखिलेश यादव की नीतियों से प्रभावित थीं। इसके अलावा, एक युवा के रूप में मुझे लगता है कि सपा लोकतांत्रिक मूल्यों के करीब है।

युवाओं के अधिकार के लिए लड़ाई जारी रखना है
पूजा शुक्ला ने कहा कि सीएम का विरोध करने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय ने कैंपस में प्रवेश पर रोक लगा थी। जिसके लिए उन्होंने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी थी। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन को मजबूर होना पड़ा और विरोध में शामिल सभी छात्रों को प्रवेस की अनुमति दी गई। एक राजनेता के रूप में, शुक्ला ने कहा, वह युवाओं और छात्रों के अधिकारों के लिए लड़ना जारी रखना चाहती हैं।

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