प्रचंड दहल व केपी ओली ने चीनी कंपनी से ली 9 अरब रुपये की दलाली? नेपाल में बवाल
काठमांडू : चालबाज चीन के इशारे पर नाच रहे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पार्टी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ नेता चीनी कंपनी को ठेका देने के एवज में 9 अरब रुपये घूस लेने के मामले में बुरी तरह से घिरते नजर आ रहे हैं। नेपाल के पूर्व पीएम बाबूराम भट्टराई ने आरोप लगाया है कि नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी और विपक्षी नेपाली कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं ने चीनी कंपनी से बूढ़ी गंडकी हाइड्रोपॉवर प्रॉजेक्ट के लिए 9 अरब रुपये का घूस लिया है।
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नेपाली न्यूज वेबसाइट माई रिपब्लिका के मुताबिक इससे पहले पूर्व पीएम भट्टाराई ने आरोप लगाया था कि पीएम ओली और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड तथा शेर बहादुर देउबा ने चीनी कंपनी को ठेका देने के एवज में 9 अरब रुपये घूस लिए थे। इस प्रॉजेक्ट का निर्माण चीन का गेहोउबा ग्रुप कर रहा है। उधर, कम्युनिस्ट पार्टी और नेपाली कांग्रेस दोनों ने ही इस आरोप का खंडन किया है लेकिन भट्टाराई ने जोर देकर कहा है कि उनके पास इस आरोप को साबित करने के लिए सबूत है। भट्टराई के इस बयान के बाद देश की राजनीति में बवाल मचा हुआ है।
इससे नेपाल के शीर्ष नेतृत्व की निष्ठा को लेकर जनता के बीच में गंभीर सवाल उठ रहे हैं। नेपाल में शीर्ष नेताओं पर नीतिगत फैसलों के जरिए भ्रष्टाचार करने का मामला कोई नया नहीं है। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि नेपाल के एक पूर्व पीएम ने पिछले 8 साल में आईं सभी सरकारों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इन सभी सरकारों ने पिछली सरकारों के बूढ़ी गंडकी प्रॉजेक्ट को लेकर लिए गए फैसले को पलट दिया।
2012 में भट्टराई के नेतृत्व वाली नेपाल सरकार ने बिजली परियोजना के रूप में बूढ़ी गंडकी को नेपाली कंपनी के जरिए विकसित करने का फैसला किया था। बाद में प्रचंड की सरकार बनने पर भट्टाराई के फैसले को पलटते हुए इसे चीनी कंपनी गेहोउबा को दे दिया गया। इसमें मजेदार बात यह रही कि प्रचंड ने पीएम पद छोड़ने से मात्र दो दिन पहले यह फैसला लिया। इसके बाद आई नेपाली कांग्रेस सरकार के पीएम शेर बहादुर देउबा ने इसे स्वदेशी कंपनी से पूरा कराने का फैसला लिया।
2017 के चुनाव में केपी ओली के प्रधानमंत्री बनने के बाद एक बार फिर से सरकार के फैसले को पलटते हुए फिर से चीनी कंपनी को ठेका दे दिया गया। ओली सरकार ने चीनी कंपनी को ठेका देते समय किसी और ग्रुप से कोई बोली नहीं लगवाई।
ओली सरकार के इस फैसले का देश में जोरदार विरोध हुआ था और प्रदर्शन भी हुए थे। ऐसे आरोप लगे थे कि ओली सरकार ने चीन को खुश करने के लिए चीनी कंपनी को ठेका दिया। अब पूर्व पीएम भट्टाराई ने दावा किया है कि चीनी कंपनी को ठेका देने में 9 अरब रुपये की घूस दी गई। उन्होंने कहा कि चीनी कंपनी ने न केवल सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी बल्कि विपक्षी नेता देउबा को भी घूस दिया गया है।
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