नई दिल्ली : हर माह में आने वाले प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। लेकिन भादो महीने में इसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार भादो माह गौरी पुत्र गणेश की पूजा को समर्पित होता है। ऐसे में महादेव और माता पार्वती की पूजा करना और भी लाभकारी होता है। इस तिथि पर शिव-पार्वती की आराधना करने से भक्तों के समस्त संकट दूर होते हैं।
इस दौरान व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है। साथ ही धन लाभ के योग का निर्माण होता है। वहीं इस साल भादो माह के शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत 15 सितंबर 2024 को रखा जाएगा। इस दिन रविवार होने के कारण ये रवि प्रदोष व्रत होगा। इस तिथि पर कई मंगलकारी योग का निर्माण हो रहा है, जो पूजा के लिए बेहद शुभ है। ऐसे में आइए रवि प्रदोष व्रत की पूजा विधि को जानते हैं।
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। पंचांग के अनुसार, रवि प्रदोष व्रत पर पूजा का शुभ समय संध्याकाल 6 बजकर 26 मिनट से लेकर रात के 8 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप महादेव और माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा संपूर्ण विधि से करनी चाहिए। इससे महादेव प्रसन्न होते हैं। पूजा के लिए सबसे पहले सुबह ही स्नान कर लेना चाहिए। फिर साफ वस्त्रों को धारण करें। अब आप शिव-पार्वती की पूजा करें, और व्रत का संकल्प लें। शाम को पूजा करने के लिए पूजा स्थल पर सभी सामग्रियों को एकत्रित कर लें। फिर एक चौकी लगाएं। उसपर साफ वस्त्र बिछाकर शिव-पार्वती की मूर्ति को स्थापित करें।
इसके बाद शिवलिंग पर शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें। अब शिव जी को फूल, बेलपत्र और भांग चढ़ाएं। वहीं माता पार्वती को फूल अर्पित करें। इसके बाद महादेव का नाम लेते हुए दीया जलाएं और आरती करें। इस दौरान शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए, इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को महादेव की पूजा के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से जातक को ऐश्वर्य और धन की प्राप्ति होती हैं। इस दौरान शिव-पार्वती की जोड़ी का पूजन करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही सभी समस्याओं का निवारण होता है।