अमृतसर : चौथी पातशाही श्री गुरू रामदास का प्रकाश पर्व आज श्री हरिमंदिर साहिब समेत देश-विदेश में श्रद्धा और उत्साह सहित मनाया जा रहा है। प्रकाश पर्व मौके आज लाखों संगत श्री हरिमंदिर साहिब में नतमस्तक हो रही हैं।
आखिर सबसे पहले किसने रखा था करवा चौथ का व्रत, क्या है परम्परा
श्री हरिमंदिर साहिब श्री अकाल तख़्त साहिब और गुरुद्वारा बाबा अटल राय में सुंदर शान शौकत सजाए गए हैं। गुरू राम दास को जेठा जी के नाम से भी जाना जाता है। गुरु रामदास का जन्म चूना मण्डी, लाहौर (अब पाकिस्तान में) (24 सितम्बर 1534) को हुआ था। माता दया कौर (अनूप कौर) एवं बाबा हरी दास जी सोढी खत्री का यह पुत्र बहुत ही सुंदर एवं आकर्षक था।
रामदास का परिवार बहुत गरीब था। उन्हें उबले हुए चने बेंचकर अपनी रोजी रोटी कमानी पड़ती थी। जब वे मात्र 7 वर्ष के थे, उनके माता पिता की मौत हो गयी। उनकी नानी उन्हें अपने साथ बसर्के गाँव ले आयी। उन्होंने बसर्के में पांच वर्षों तक उबले हुए चने बेच कर अपना जीवनयापन किया।
एक बार गुरू अमर दास साहिब जी, रामदास साहिब की नानी के साथ उनके दादा की मृत्यु पर बसर्के आये और उन्हें राम दास साहिब से एक गहरा लगाव सा हो गया। रामदास अपनी नानी के साथ गोइन्दवाल आ गये एवं वहीं बस गये। गुरू अमरदास साहिब जी द्वारा धार्मिक संगतों में भी भाग लेने लगे।
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