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न्यायपालिका को ब्लैकमेल करने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही सरकार, प्रशांत भूषण का गंभीर आरोप

नई दिल्ली : सीनियर वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सरकार न्यायाधीशों कमजोरियों का पता लगाने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है और उन्हें ब्लैकमेल कर रही है। भूषण ने समाजवादी नेता बापूसाहेब कालदाते की स्मृति में औरंगाबाद में आयोजित कार्यक्रम में ये बातें कहीं। उन्होंने दावा किया कि संविधान के तहत स्वायत्तता प्राप्त संस्थानों पर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रशांत भूषण ने कहा कि जब सरकार को लगता है कि एक जज (न्यायाधीश के पद के लिए उम्मीदवार) अपनी बोली नहीं लगाएगा तो वह ऐसे जस्टिस को नियुक्त करने की अनुमति नहीं देती है। भूषण ने कहा कि इससे पहले न्यायाधीशों को रिटायर्ड होने के बाद आयोगों या अन्य निकायों में नियुक्तियों की पेशकश निर्णय प्रभावित करने के लिए की जाती थी।

वकील प्रशांत भूषण ने कहा, ‘इस सरकार ने एक नया तरीका अपनाया है। सभी न्यायाधीशों पर एक फाइल तैयार करें। आईबी, आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय जैसी जांच एजेंसियों से न्यायाधीशों या उनके रिश्तेदारों की कमजोरियों का पता लगाने के लिए कहें। अगर ऐसी कोई कमजोरी सामने आती है तो उस जानकारी का इस्तेमाल उस जस्टिस को ब्लैकमेल करने के लिए करें… यह अब हो रहा है।’

वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि एक व्यक्ति को भारतीय न्यायपालिका पर अपने विचार रखने का अधिकार तब तक है, जब तक वे प्रामाणिक हैं और सम्मानजनक तरीके से व्यक्त किया गया हो। जस्टिस प्रतीक जालान मंगलवार को अभिजीत अय्यर मित्रा की ओर से अपने ट्विटर अकाउंट को बहाल करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने न्यायपालिका के पक्षपातपूर्ण और गैर-जवाबदेह होने संबंधी उनके रीट्वीट का संज्ञान लिया।

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