भारत-पाक सीमा पर तनाव की इस घड़ी में यह ज्योतिषीय गणना पाकिस्तान के लिए एक बुरी खबर लेकर आई है। इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित सतीश शर्मा ने ज्योतिषीय गणना के आधार पर ये दावा किया है कि जल्द ही पाकिस्तान के विघटन की प्रक्रिया शुरु होगी। वहीं बलूचिस्तान पाकिस्तान से अवश्य अलग होगा।
पंडित सतीश शर्मा ने बताया कि पाकिस्तान की दक्षिण दिशा में सबसे ज्यादा गड़बड़ी है। सिंध प्रांत के कारण अग्निकोण बढ़ा हुआ है और केवल इस कारण से दक्षिण-पश्चिम कट गया है। यह एक तरफ कटा हुआ है और दूसरी तरफ पश्चिम दिशा में मध्य से पश्चिम के बीच का हिस्सा अतिरिक्त विस्तार लिए हुए है। यहां ईरान की सीमा लगती है।
बताया कि दक्षिण दिशा या नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) में कटान आ जाए तो गृह स्वामी का प्रभुत्व जाता रहता है। अगर राष्ट्र का मामला है तो राष्ट्राध्यक्ष का पतन हो जाता है या उसका शासन कमजोर होता है। किसी राष्ट्र का अग्निकोण बढ़ा हुआ हो तो हिंसा की दर बहुत ऊंची हो जाती है। सामुदायिक अपराध पनपते हैं, सेना और पुलिस अत्याचारी हो जाती है। पाकिस्तान का अग्निकोण इतना अधिक बढ़ा हआ है और नैऋत्य कोण का कुछ हिस्सा इस तरह से अजीब सा विस्तार लिए हुए है जो वहां की राजनैतिक अस्थिरता के लिए घातक है। सेना या पुलिस के अधिकारी ही वहां शासन कर सकते हैं, लोकतंत्र सफल नहीं हो पा रहा है तथा वे सब व वहां के शासक वर्ग इस तरह के व्यवसाय करते हैं जो राष्ट्र के हितों के विरुद्ध होते हैं।
पाक के वायव्य कोण में भी एक अतिरिक्त विस्तार है। यह ईरान और अफगानिस्तान की सीमाओं से लगता हुआ है। यह विस्तार आत्मघाती है, अपराधवृत्ति को जन्म देता है और राष्ट्र की जेलें भरी रहती हैं। जिस राष्ट्र की दक्षिण दिशा कमजोर हो और वायव्य कोण दूषित हो तो वह आर्थिक दृष्टि से स्वावलंबी नहीं हो सकता और गरीबी झेलता है। नैऋत्य कोण के अतिरिक्त विस्तार के कारण ही पाकिस्तान का सदा सीमावर्ती देशों से विवाद रहता है। जिस घर या राष्ट्र का नैऋत्य कोण दूषित हो वह हमेशा विवादों में घिरा रहेगा।
पाकिस्तान का बलूचिस्तान वाला हिस्सा पाकिस्तान के लिए नासूर की तरह है। अगर सिंध वाला अग्निकोण बढ़ा हुआ नहीं होता तो यह बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए वरदान साबित होता, लेकिन केवल इसी कारण से बलूचिस्तान की स्वतंत्र राष्ट्र की अस्मिता वाली स्थिति दिखाई देती है और यह प्रांत एक दिन स्वतंत्र हो जाएगा।
काबुल की मेदिनी ज्योतिष राशि सिंह है। जब कुंभ राशि शनि में आएंगे अर्थात् अप्रैल 2022 में और वहां ढाई वर्ष रहेंगे तो उनकी दृष्टि सिंह राशि पर ढाई वर्ष तक रहेगी। ये समय बलूचिस्तान और पाकिस्तान के लिए अत्यंत पीड़ादायक है। परंतु घटनाएं उन्हीं वर्षों में ही नहीं आएंगी, पाकिस्तान के विघटन की प्रक्रिया धीरे-धीरे करके अप्रैल 2019 से लेकर सितंबर 2019 के बीच प्रारंभ हो जाएगी। क्योंकि शनि देव उस समय वक्री रहेंगे।
गंधर्व देश जो कि रावलपिंडी व पेशावर जिलों के बीच में फैला था, काबुल और कंधार भी उसी के भाग थे तथा सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव का प्रभाव क्षेत्र भी यहीं माना गया है। वराहमिहिर और टॉलेमी के मत से धनु राशि में पीड़ा आने पर तुर्किस्तान व खुराशान के शासक पीड़ित होते हैं। हम जानते हैं कि अप्रैल 2019 से लेकर सितंबर 2019 तक शनि देव धनु राशि में वक्री रहकर इन सभी क्षेत्रों को प्रभावित करेंगे।
पंडित सतीश शर्मा ने बताया कि इस समय पाकिस्तान की जन्म पत्रिका के अनुसार शनि की दृष्टि के कारण दक्षिण-पश्चिम और वायव्य कोण पीड़ित हो रहा है। इस कारण से पाकिस्तान में इतिहास दृष्टि और राजनैतिक साहस का आभाव चल रहा है व पाकिस्तान के विघटन और पतन की प्रक्रिया शुरु होने वाली है। इस समय पाकिस्तान शुक्र महादशा में बृहस्पति अंतर्दशा के अंतर्गत चल रहा है जो कि ज्योतिष के अनुसार प्रबल मारक महादशा है। अत: पाकिस्तान भयानक पीड़ा के दौर से गुजरेगा।