राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु 3 मार्च को करेंगी 7वें अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का शुभारंभ: CM शिवराज
भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु 3 मार्च को भोपाल में आरंभ हो रहे 7वें अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का शुभारंभ करेंगी। सम्मेलन में 16 देशों के प्रतिनिधि और 6 देशों के संस्कृति मंत्री शामिल होंगे। अतिथि देवो भव: की परम्परा के अनुसार पूर्ण गरिमा और आत्मीयता के साथ सम्मेलन का आयोजन किया जाये। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन की व्यवस्थाएँ ऐसी हों जिसमें मध्यप्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर प्रभावी रूप से परिलक्षित हो। विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधि मध्यप्रदेश की सुखद स्मृतियाँ लेकर अपने देशों में लौटे और मध्यप्रदेश की सकारात्मक छवि वैश्विक स्तर पर निर्मित हो। प्रवासी भारतीय सम्मेलन के समान ही इस आयोजन की तैयारियाँ की जाये।
मुख्यमंत्री चौहान, राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की आगामी भोपाल यात्रा केलिए जारी तैयारियों की समीक्षा कर रहे थे। राजकीय विमानतल पर हुई बैठक में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी, प्रमुख सचिव संस्कृति सुखबीर सिंह, प्रमुख सचिव अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण श्रीमती पल्लवी जैन गोविल, पुलिस महानिदेशक सुधीर सक्सेना, प्रमुख सचिव जनसंपर्क राघवेन्द्र सिंह और साँची बौद्ध विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता उपस्थित रही।
जानकारी दी गई कि 7वें अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन 3 से 5 मार्च 2023 तक कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में होगा। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की गरिमामय उपस्थिति में 3 मार्च को दोपहर 12.15 बजे से शुरू होने वाले शुभारंभ-सत्र में राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सम्मिलित होंगे। शुभारंभ-सत्र में श्रीराम जन्म-भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के स्वामी गोविंददेवगिरि जी महाराज का उद्बोधन भी होगा। अतिथियों द्वारा “द पेनारोमा ऑफ इंडियन फिलोसपर्स एंड थिंकर्स” पुस्तक का विमोचन किया जाएगा। प्रथम दिवस के दूसरे-सत्र में इंडिया फाउंडेशन की गवर्निंग कॉउंसिल के सदस्य राम माधव की अध्यक्षता में मिनिस्टर-सत्र में भूटान, श्रीलंका, नेपाल और इंडोनेशिया के संस्कृति मंत्री अपने विचार रखेंगे।
सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों, विश्वविद्यालय के साथ ही अमेरिका, साउथ कोरिया, थाईलेंड, स्पेन, वियतनाम, मॉरीशस, रशिया, भूटान, श्रीलंका, इंडोनेशिया, नेपाल, मंगोलिया, फ्रांस आदि देशों से आए विद्वान तथा शोधार्थी भाग लेंगे।