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राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार वितरित किए

नई दिल्ली ( दस्तक ब्यूरो) : राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (11 सितंबर, 2024) राष्ट्रपति भवन में नर्सिंग पेशेवरों को वर्ष 2024 के लिए राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार प्रदान किए। राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार की स्थापना स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने उत्कृष्ट नर्सिंग कर्मियों द्वारा प्रदान की गई सराहनीय सेवाओं को मान्यता देने और सम्मानित करने के लिए की थी।

राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता हैं:

शीला मोंडाल : अंडमान निकोबार द्वीपसमूह

इकेन लोलेन: अरुणाचल प्रदेश

विदजयाकुमारी वी: पुदुचेरी

जानुका पांडे: सिक्किम

अनंदिता प्रमाणिक: पश्चिम बंगाल

राधे लाल शर्मा: राजस्थान

संजुक्ता सेठी: ओडिशा

एच मंकिमी: मिजोरम

उल्लेखनीय है कि फ्लोरेंस नाइटिंगेल (Florence Nightingale) का जन्‍म 12 मई सन् 1820 को हुआ था। फ्लोरेंस की याद में उनके जन्‍मदिन पर हर साल 12 मई को वर्ल्‍ड नर्सिंग डे के रूप में मनाया जाता है। जिंदगीभर बीमार और रोगियों की सेवा करने वाली फ्लोरेंस का अपना बचपन बीमारी और शारीरिक कमजोरी की चपेट में रहा। फ्लोरेंस के हाथ बहुत कमजोर थे। इसलिए वह ग्‍यारह साल की उम्र तक लिखना ही नहीं सीख सकी। बाद में फ्लोरेंस ने लैटिन, ग्रीक, गणित की औपचारिक शिक्षा ली। गणित फ्लोरेंस का प्रिय विषय हुआ करता था।

सन् 1854 में ब्रिटेन, फ्रांस और तुर्की ने रूस के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। युद्ध में घायलों के उपचार के लिए कोई सुविधाएं उपलब्‍ध नहीं थी। वहां के अस्‍पतालों में गंदगी पसरी हुई थी। वहां की स्थिति इतनी विकट थी कि घाव पर बांधने के लिए पट्टीयां भी उपलब्‍ध नहीं हो पा रही थी। देश की रक्षा के खातिर सीमा पर लड़ रहे सैनिकों की इतनी दयनीय दशा होने के बावजूद वहां की सेना महिलाओं को बतौर नर्स नियुक्‍त करने के पक्ष में नहीं थी। आखिरकार फ्लोरेंस अपनी महिला नर्सों के समूह के साथ अधिकारिक रूप से युद्धस्‍थल पर पहुंची। वहां पर भी उन सभी को केवल इसलिए उपेक्षा का सामना करना पड़ा क्‍योकि वे महिलाएं थी।

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