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त्रिपुरा के सुप्रसिद्ध खर्ची पूजा के प्रारंभ पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दी गई बधाई

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वोत्तर भारत के राज्य त्रिपुरा में खर्ची पूजा ( Kharchi puja ) की शुरुआत के अवसर पर त्रिपुरावासियों को बधाई दी है।एक ट्वीट में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि “खारची पूजा की शुरुआत पर बधाई। चतुर्दश देवता की कृपा हम पर सदैव बनी रहे। सभी को उत्तम स्वास्थ्य, सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद मिले।”

खर्ची पूजा समस्त त्रिपुरावासियों द्वारा मनाया जाने वाला पर्व है। यह मूल रूप से हिन्दू आदिवासियों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है । खर्ची पूजा में जिन 14 देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, उनके नाम हर, उमा, हरि, माँ, वाणी, कुमार, गणम्मा, विधि, पृथ्वी, समुद्र, गंगा, शिखी, काम और हिमाद्री है। इन देवताओं की पूर्ण मूर्तियां नहीं हैं केवल सिर की मूर्तियाँ हैं। इनमें 11 मूर्तियाँ अष्टधातु की हैं और शेष तीन मूर्तियां सोने की हैं।

खर्ची पूजा की परंपरा से जुड़ी कहानी :

प्राचीन समय में त्रिपुरा में राजा त्रिलोचन की रानी हीरावती एक दिन नदी पूजा करने जा रही थी कि उन्हें आवाज सुनायी दी कि, रानी माँ हमें बचाओ, हमारी रक्षा करो फिर उन्होंने अपना परिचय 14 देवताओं के रूप में दिया। देवताओं ने कहा कि हमारे पीछे राक्षस रूपी भैंसा पड़ा है, जिसके डर के कारण हम सेमल के पेड़ पर बैठे हैं। यह सुनकर रानी माँ ने कहा, मैं साधारण स्त्री तुम्हारी किस प्रकार सहायता कर सकती हूं।

देवताओं ने रानी से कहा कि तुम अपना रिया (वक्षस्थल ढकने वाला कपड़ा) इस भैंस पर डाल दोगी तो यह शांत हो जायेगा। उसके बाद इसकी बलि दे देना। रानी ने ऐसा ही किया। इसके बाद रानी इन 14 देवताओं को राजमहल ले आयी। तब से ये 14 देवता राज परिवार के साथ-साथ समस्त आदिवासी जाति के कुल देवता हैं। प्रतिवर्ष खर्ची पूजा के शुरुआत के साथ इन चौदह देवताओं की पूजा त्रिपुरा में की जाती है।

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