ऑस्ट्रेलिया के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त स्कॉट मॉरिशन चुनाव हार गए हैं
मेलबर्न: ऑस्ट्रेलिया के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त स्कॉट मॉरिशन चुनाव हार गए हैं। जापान में होने जा रहे क्वॉड देशों के शिखर सम्मेलन को देखते हुए स्कॉट मॉरिसन ने तत्काल अपनी हार को स्वीकार भी कर लिया है। मॉरिसन की हार के बाद अब विपक्षी नेता एंथनी अल्बानीस प्रधानमंत्री बनेंगे। लेबर पार्टी के नेता एंथनी अल्बानीस के बारे में कहा जाता है कि वह चीन के साथ ऑस्ट्रेलिया के संबंधों को संतुलित कर सकते हैं जो स्कॉट मॉरिशन के कार्यकाल में रसातल में चले गए थे। वहीं एंथनी का भारत के साथ खास रिश्ता रहा है और वह भारत ऑस्ट्रेलिया संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं। पीएम मोदी भी जापान जा रहे हैं और वहां एंथनी से उनकी मुलाकात होगी। आइए समझते हैं पूरा मामला….
विश्लेषकों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में जंगल में लगी सबसे बड़ी आग के दौरान हवाई द्वीप पर छुट्टियां मनाना, कोरोना वैक्सीन को सही समय पर हासिल करने में असमर्थ रहने और जरूरी मौकों पर ऐक्शन नहीं लेने की वजह से मॉरिशन को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा है। ऑस्ट्रेलिया के मतदाताओं ने जलवायु परिवर्तन, चीन और कोरोना को ध्यान में रखते हुए अपना वोट दिया था। मॉरिशन ने जलवायु परिवर्तन को उतनी गंभीरता से नहीं लिया जितना उन्हें लेना चाहिए था। यही नहीं ऑस्ट्रेलिया की नाक के नीचे चीन सोलोमन द्वीप पर अपना सैन्य अड्डा बनाने जा रहा है और मॉरिसन को इसकी हवा तक नहीं लगी। मॉरिसन ने बहुत लंबे समय कोरोना लॉकडाउन लगाए रखा जिससे जनता में काफी गुस्सा देखा गया।
‘चीन के साथ रिश्तों को संतुलित किया जाएगा’
नए प्रधानमंत्री बनने जा रहे एंथनी अल्बानीस ने खुलकर कहा है कि चीन के साथ ऑस्ट्रेलिया के रिश्ते जटिल बने रहेंगे लेकिन चीन के साथ निपटने का एक परिपक्व तरीका भी है। उन्होंने कहा कि घरेलू राजनीतिक फायदे के लिए भड़काऊ बयान नहीं दिए जाने चाहिए। बताया जा रहा है कि एंथनी अल्बानीस के नेतृत्व में लेबर पार्टी की सरकार बनने पर पेन्नी वोंग विदेश मंत्री बन सकती हैं जो चीन-मलेशियाई मूल की हैं और फर्राटे से चीनी भाषा बोलती हैं। उन्होंने संकेत दिया है कि चीन के साथ रिश्तों को संतुलित किया जाएगा जो मॉरिसन के कार्यकाल में बहुत खराब हो गए थे।
चीनी मूल के ऑस्ट्रेलियाई वोटरों को रिझाने के लिए वोंग ने चीनी भाषा के प्रसार पर ज्यादा पैसा खर्च करने का वादा किया है। उन्होंने यह भी कहा था कि ऑस्ट्रेलिया को दुनिया की महाशक्तियों के बीच प्रतिस्पर्द्धा में उन्मत्त नहीं हो जाना चाहिए। वोंग ने कहा कि पूरे इलाके में बदलाव में अमेरिका हमारा अभिन्न सहयोगी जरूर है…साथ ही अन्य भागीदारों और रिश्तों को मजबूत करना होगा। इसका मतलब दक्षिण पूर्व एशिया में और ज्यादा काम करना है।’ यह किसी से छिपा नहीं है कि नए प्रधानमंत्री बनने जा रहे एंथनी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लंबे समय से प्रशंसक रहे हैं। यही नहीं लेबर पार्टी पर अरबपति हुआंग शिंआंगमो से 1 लाख डॉलर चंदा लेने के भी आरोप लगे हैं। द एज अखबार की रिपोर्ट में चीनी जासूसों पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की ताकि लेबर पार्टी के सांसद जीत सकें।
भारत के साथ अच्छे रिश्ते करना चाहते हैं एंथनी, कई सवाल भी उठे
यही नहीं चीन के सरकारी प्रोपेगैंडा अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एंथनी की जमकर तारीफ की है। वहीं चीन के नए राजदूत इसे बड़े अवसर के रूप में देख रहे हैं और अपनी बयानबाजी के टोन को धीमा किया है। लेबर पार्टी की इस जीत से अब सवाल उठने लगा है कि क्या एंथनी के प्रधानमंत्री बनने पर मंगलवार को होने जा रही क्वॉड की बैठक को झटका लगेगा ? माना जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया अमेरिका का सहयोगी बना रहेगा लेकिन क्वॉड और सैन्य गठबंधन ऑकस को लेकर वह ऑस्ट्रेलिया की नीतियों में चीन के समर्थन में नरमी ला सकते हैं। अब ऑस्ट्रेलिया और भारत के रिश्तों को लेकर भी दुनिया की नजरें हैं। लेबर पार्टी की जीत के बाद क्या भारत को ऑस्ट्रेलिया से कोयला और रेअर अर्थ मिलने में दिक्कत होगी ? यह बड़ा सवाल उठ रहा है।
हालांकि भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बेरी ओ फेरल ने इन आशंकाओं को निराधार ठहराने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री चुने गए एंथनी अल्बानीस भारत को लेकर अंजान नहीं हैं। एंथनी साल 1991 में भारत के अकेले भ्रमण पर आ चुके हैं। साल 2018 में उन्होंने भारत आए ऑस्ट्रेलियाई संसदीय दल का नेतृत्व किया था।