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प्रधानमंत्री निलंबित होने के बावजूद रक्षा मंत्रालय की बैठक में होंगे शामिल

बैंकाक : थाईलैंड के निलंबित प्रधानमंत्री प्रयुथ चान ओचा गुरुवार को रक्षा मंत्रालय की बैठक में भाग लेंगे। 68 वर्षीय प्रयुथ को बुधवार को संवैधानिक न्यायालय ने शीर्ष पद से निलंबित कर दिया परंतु वे रक्षा मंत्रालय का पद बरकरार रखने में कामयाब रहे। अदालत ने मुख्य विपक्षी दल की याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया, जिसमें कहा गया कि प्रयुथ 2014 में तख्तापलट के बाद सत्ता में आए थे। चूंकि आठ साल की अवधि को वे पूरा कर चुके हैं ऐसे में अदालत ने फैसला आने तक प्रयुथ को निलंबित कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक प्रयुथ ने अदालत के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक प्रयुथ ने अदालत के फैसले का सम्मान किया है और जनता को भरोसा दिलाया है कि सरकार जनहित के काम करती रहेगी। 77 वर्षीय उप प्रधानमंत्री प्रवित वोंगसुवान ने अंतरिम तौर पर कार्यभार संभाला है जो कि पूर्व सेना प्रमुख रह चुके हैं। जाहिर है कि 2014 में निर्वाचित सरकार को प्रयुथ ने उखाड़ फेंका था और एक सैन्य परिषद के रूप में शासन किया। हालांकि, 2017 के सैन्य मसौदे संविधान सम्मत हुए जिसके बाद चुनाव के माध्यम से 2019 में वे नागरिक प्रधानमंत्री बने जहां प्रधानमंत्री के लिए आठ साल की सीमा निर्धारित की गई थी।

थाईलैंड का आगामी आम चुनाव अगले महीने ही होना है। ऐसे में प्रयुथ के कार्यालयी विवाद के चलते राजनीतिक उथल-पुथल से पुरानी प्रतिद्वंदिता को हवा मिल सकती है। जाहिर है कि तख्तापलट के पीछे भारी हिंसक विरोध भी हुए हैं। वहीं, थाईलैंड की मुख्य विपक्षी पार्टी फू थाई के नेता जिन्होंने याचिका दायर की थी वे प्रयुत के इस्तीफे की मांग कर रहें है। चूंकि, तख्तापलट में प्रयुथ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा के नेतृत्व वाली सरकार को उखाड़ फेंका था। तख्तापलट के बाद से मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता निर्वासन के चलते विदेश में रहते हैं। एक फेसबुक पोस्ट में फू थाई नेता चोनलानन ने कहा कि देश के भले के लिए जनरल प्रयुथ को इस्तीफा दे देना चाहिए। जिसके बाद देश संविधान सम्मत प्रधानमंत्री चुन सकेगा।

वहीं प्रयुथ के समर्थकों का कहना है कि, जब उनका कार्यकाल 2017 में शुरू हुआ तो संविधान के मुताबिक सरकार 2025 या 2027 तक चलनी चाहिए। ये अलग बात है कि अदालत ने कहा कि वे कार्यकाल पूरा कर चुके हैं मगर सत्तारूढ़ दल संसद में समर्थन बरकरार रखता है तो उसे प्रधानमंत्री चुनने का अधिकार है। ऐसे में प्रयुथ के तरफ से कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया तो नहीं आई है, वहीं लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं ने बुधवार रात प्रधानमंत्री आवास के पास आतिशबाजी की।

युवा कार्यकर्ता पटसरवली ने रायटर्स से बातचीत में कहा कि, प्रित हमेशा प्रयुथ के साथ रहे हैं। क्या फरक पड़ता है कि वे सत्ता संभाल रहे हैं मगर नेटवर्क तो सारा एक ही है। बैंकाक पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, राजनीतिक उथल-पुथल के चलते दक्षिण पूर्व एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से निवेशकों के विश्वास को झटका लगा है। वहीं थाई चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष सनान अंगुबोलकुल ने कहा कि, चाहे कुछ भी हो जाए मगर व्यापार क्षेत्र पर उसका कोई असर नहीं पड़ता है और थाई अर्थव्यवस्था सबका बेहतर प्रबंधन करती है।

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