कई प्रांतों में धूम मचा रही राजकुमार की कविता
मोहम्मद अबसार शाह: ग्रामींण परिवेश में पले बढे़ एक युवा लेखक की लेखनी इन दिनों सोशल मीडिया पर धूम मचा रही है। उत्तर प्रदेश,राजस्थान, हरियाणा, बिहार, मध्यप्रदेश,सहित अन्य कई प्रातों के लोगों द्वारा खूब पसन्द किया जा रहा है।
बताते चले कि जनपद बाराबंकी के थाना जैदपुर के अन्तर्गत ग्राम जयचन्द्रपुर के निवासी युवा लेखक राजकुमार तिवारी (राज) की वर्ष 2019 में एक किताब भी प्रकाशित हुई थी, जो अमेजन और फिलिप्कार्ट पर ऑनलाईन उपलब्ध है, इनको बचपन से ही लिखने का बड़ा शौख था, इनकी पहली रचना 2003 में लखनऊ से प्रकाशित मासिक पत्रिका आईडिल न्यूज में छपी थी। उसके बाद इनको हर माह पत्रिका में स्थान दे दिया गया।
वर्ष 2004 में लखनऊ दूरदर्शन केन्द्र प्रसार भारती की ग्रह पत्रिका दृष्टि सृष्टि में भी स्थान प्राप्त हुआ। फिर लखनऊ से प्रकाशित कई समाचार पत्रों मे भी इनकी रचना को स्थान दिया गया। साहित्य से जुडी ऑनलाइन साइडों पर इनकी सक्रियता अभी भी बराबर बनी हुई है। अमर उलाजा काव्य, जयविजय, साहित्यसुधा, जैसी कई साईडों पर इनकी रचनाऐं आसानी से पढ़ी जा सकती हैं।
कोरोना महामारी को लेकर पूरा भारत लाकडाउन कर दिया गया। उसके बाद अप्रवासी लोग धीरे अपने घरों के लिये पैदल, ट्रक,आटो, डीसीएम आदि मालवाहक वाहनों में भूसे की तहर भर सडकों पर दिखाई पडने लगे। सड़को पर भीषण जनसैलाब को देखकर एक पल के लिये ऐसा लग रहा था।
मानो कोई देश ही उजड़ गया हो इस दौरान अप्रवासी लोगों की दुदर्शा का वर्णन- पैरों में छाले देखें हैं, खानेे के लाले देखे हैं। राहों पर मजदूर है रोया, हंसते पैसें वाले देखे हैं। नामक शीर्षक वाली रचना ने 24 घंटे में लगभग 30 हजारे लोगों ने सोशल मीडिया पर सुना गया। वहीं वाट्सएप पर ज़ैदपुर सिद्धौर क्षेत्र के लोगों ने सोशल साइट्स पर खूब वायरल हो रही है।