साल 2022 का पत्रकारिता क्षेत्र का पुलित्ज़र अवॉर्ड 4 भारतीयों को
नई दिल्ली: प्रेस , मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। जनभावनाओं को दर्शाने के लिए पत्रकार समुदाय अलग अलग तरीकों से अपनी भूमिका निभाते हैं। इन्हीं भूमिकाओं की पहचान और सम्मान के लिए पत्रकारिता के क्षेत्र में एक वैश्विक पुरस्कार पुलित्ज़र अवॉर्ड दिया जाता है । वर्ष 2022 का यह पुरस्कार दानिश सिद्दीक़ी सहित चार भारतीय पत्रकारों को देने की घोषणा हाल ही में कर दी गई है। पत्रकारिता के सबसे सम्मानित पुरस्कार पुलित्ज़र अवॉर्ड 2022 का की घोषणा बीते 10 मई को की गई है ।
विजेताओं में भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीक़ी सहित रॉयटर्स के 3 अन्य फोटो पत्रकारों अमित दवे, अदनान अबिदी और सना इरशाद मट्टू को यह पुरस्कार दिया गया है।
कोरोना महामारी के दौरान ली गई तस्वीरों के लिए इन चारों पत्रकारों को ये पुलित्ज़र अवॉर्ड दिया गया है। दानिश सिद्दीक़ी इससे पहले वर्ष 2018 में भी पुलित्ज़र अवॉर्ड पा चुके है , तब दानिश को रोहिंग्या मुसलमानों के संकट पर ली गई एक तस्वीर के लिए पुलित्ज़र सम्मान से नवाज़ा गया था लेकिन साल 2022 का पुरस्कार दानिश सिद्दिकी को मरणोपरांत दिया गया है।
ग़ौरतलब है कि इस साल 16 जुलाई को अफ़ग़ानिस्तान में अफ़ग़ान सुरक्षाबलों और तालिबान लड़ाकों के बीच संघर्ष को कवर करते हुए एक हमले में दानिश सिद्दीकी की मौत हो गई थी।
इसके साथ ही यूक्रेन के पत्रकारों को अत्यधिक चुनौतीपूर्ण स्थिति में काम करने के लिए पुलित्ज़र संस्थान ने उन्हें प्रशस्ति पत्र दिया है । बीते साल 6 जनवरी को हुए अमेरिका के कैपिटल हिल हमले को कवर करने वाले पत्रकारों और अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के सत्ता में वापसी की घटना को कवर करने वाले पत्रकारों के काम की भी सराहना की गई।
दानिश सिद्दीकी की बात करें तो अफ़ग़ानिस्तान के विशेष बल के साथ वो कंधार प्रांत में तैनात थे जहाँ से वो अफ़ग़ान कमांडो और तालिबान लड़ाकों के बीच संघर्ष की ख़बरें भेज रहे थे।
इससे पहले जम्मू-कश्मीर के तीन फोटो पत्रकारों को पुलित्जर अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। तीनों पत्रकारों को पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के बाद क्षेत्र में जारी बंद के दौरान अभूतपूर्व काम के लिए ‘फीचर फोटोग्राफी’ श्रेणी में 2020 के पुलित्जर पुरस्कार दिया गया ह
था। ये तीन फोटो पत्रकार मुख्तार खान, यासीन डार और चन्नी आनंद हैं।
पुलित्ज़र पुरस्कार के बारे में :
मूल रूप से हंगरी के रहने वाले समाचार पत्र प्रकाशक जोसेफ पुलित्जर के नाम पर ये पुरस्कार दिया जाता है। जोसेफ ने अपनी वसीयत में कोलंबिया विश्वविद्यालय को पत्रकारिता स्कूल शुरू करने और पुरस्कार स्थापित करने के लिए पैसे दिए थे। इस पुरस्कार और छात्रवृत्ति के लिए उन्होंने 250,000 डॉलर आवंटित किए थे। जोसेफ के नाम पर पत्रकारिता में चार पुरस्कार के अलावा पत्र और नाटक में चार, शिक्षा में एक, ट्रैवलिंग स्कॉलरशिप में चार पुरस्कार दिए जाते हैं। उनकी मृत्यु 29 अक्टूबर 1911 के बाद पहली बार पुलित्जर पुरस्कार 4 जून 1917 में दिया गया। आज भी पुलित्जर पुरस्कार संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा दिया जाने वाला एक प्रमुख पुरस्कार है।
क्या आपको पता है पुलित्ज़र अवार्ड पाने वाला पहला भारतीय कौन था ?
सबसे पहले भारतीय के तौर पर पुरस्कार पाने वालों में गोबिंद बिहारी लाल का नाम आता है। वो भारतीय-अमेरिकी पत्रकार और इंडिपिंडेंट एक्टिविस्ट थे। उन्होंने लाला हरदयाल के रिश्तेदार और करीबी सहयोगी के तौर पर गदर पार्टी में शामिल होकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग भी लिया था। गोबिंद बिहारी लाल को साल 1937 में पुलित्जर से नवाजा गया था। विज्ञान लेखक के तौर पर उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के क्षेत्र में विज्ञान के कवरेज के लिए चार अन्य लोगों के साथ पुलित्जर पुरस्कार साझा किया था।