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आरएमआरसी की स्थापना से ”जवान” होगा पूर्वांचल, बहुरेंगे ”मिरागिटिया” के दिन

गोरखपुर: वर्ष 1977 में पहली बार ट्रेस हुए इंसेफेलाइटिस प्रकोप के न जाने कितने वर्षों पूर्व से ग्रसित पूर्वांचल को अब इस वायरस से निजात मिलने की राह खुलने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 07 दिसंबर को इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च की क्षेत्रीय इकाई रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) किये जाने वाले उद्घाटन के साथ ही इसकी शुरुआत हो जाएगी।

पूर्वांचल की त्रासदी बन चुका इंसेफेलाइटिस के वायरस की पहचान को अब लिए गए नमूने को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलोजी पुणे भेजने की बजाय अब गोरखपुर के बाबा राघवदास (बीआरडी) मेडिकल कालेज में स्थापित रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) में होने लगेगा। आपको बता दें कि वायरस जांच को भेजे गए नमूनों की जांच रिपोर्ट आने से पहले से अधिकांश मरीजों की जान चली जाती थी और माताओं की कोख सुनी हो जाती थी। इतना ही नहीं, मिटता बचपन और सिसिकती माताओं की आंसुओं में डूबे इस पूर्वांचल ने एक तरह से अपनी नौजवानी के सपने देखने भी बन्द कर दिए थे।

आलम यह था कि बचकर किशोर हुए यहां के ”मिरगिटिया” अपने नौनिहालों को बचाने के लिए दूर-दराज क्षेत्रों में जाकर पैसा कमाते थे और नौनिहालों को बचाने में ही उन्हें खर्च भी करते थे। शायद उन ”मिरगिटियों” के नसीब में यही लिखा था और वे काम की चक्की में पिसते-पिसते समय से पहले बूढ़े होने को अभिशप्त थे। लेकिन अब यह नहीं होगा। वायरस की जांच गोरखपुर में होगा और वे फर्टिलाइजर, एम्स व कुशीनगर में स्थापित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे जैसे उपक्रमों में रोजगार पाकर दो जून की रोटी का जुगाड़ भी कर सकेंगे।

यह केवल राजनैतिक दृष्टि से नहीं देखा जा सकता है। इसके पीछे एक बड़ी साधना है और यह साधना गोरक्षपीठाधीश्वर, एक सांसद और अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की है।

युवाकाल में सांसद बने संवेदनशील गोरक्षपीठाधीश्वर ने इस पीड़ा को महसूस किया और 19 वर्षों तक संघर्षों की अनवरत साधना की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वर्ष 2016 में साथ मिला। वर्ष 2017 में सीएम की कुर्सी पर बैठने वाले योगी आदित्यनाथ ने इस मुहिम को और धार दिया और अब स्वस्थ पूर्वांचल का उनका सपना साकार होने की दिशा में बढ़ चला है। संसद के हर सत्र में इंसेफेलाइटिस की पीड़ा बयां करने वाले योगी आदित्यनाथ के इस कार्य ने पूर्वांचलवासियों को संजीवनी दे दिया है। अब न सिर्फ पूर्वांचल के जवान होने के दिन आ गए हैं बल्कि ”मिरगिटिया” के दिन भी बहुरने वाले हैं।

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