सीएम योगी की मंशा के अनुसार पूर्वांचल बनेगा गारमेंट हब
गारमेंट उद्योग के लिए गोरखपुर में बनेगी फ्लैटेड फैक्ट्री
गीडा प्रशासन उपलब्ध कराएगा चार एकड़ जमीन
लखनऊ, 17 जनवरी 2021, (दस्तक ब्यूरो) : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुसार सीएम सिटी (गोरखपुर) में बनेगा गारमेंट इंडस्ट्री का हब। इसके लिए गीडा (गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण) प्रशासन चार एकड़ भूमि उपलब्ध कराएगा। इस जमीन पर सरकार फ्लैटेड फैक्ट्री बनाकर उद्यमियों को उपलब्ध कराएगी। इस संबंध में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल और गीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) संजीव रंजन में बात हो चुकी है।
चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के बैनर तले सीएम योगी से बात
आपको बता दें कि नवनीत सहगल 13 और 14 जनवरी को गोरखपुर महोत्सव और खिचड़ी मेले के दौरान गोरखपुर में थे। इस दौरान उन्होंने सर्किट हाउस में गारमेंट इंडस्ट्री से जुड़े लोगों से बात की। उन्होंने बताया कि आप लोग एक बार नोएडा जाकर वहां के इंडस्ट्री के काम-काज के तौर तरीके देख लें। स्थानीय स्तर पर यह तय कर लें कि कौन क्या करना चाहता है। इसके लिए वह कितनी मशीनें लगाएगा। विस्तारीकरण की योजना के साथ यह भी बताएं कि इसके लिए कितनी जगह की जरूरत होगी। फ्लैटेड फैक्ट्री में उसी अनुसार जगह मुहैया करा दी जाएगी। मकर संक्रांति के दिन चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के बैनर तले एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस बाबत अब तक की प्रगति के बारे में बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक अवसर है। इसका आप लोग अपने और पूर्वांचल के हित में उपयोग कर लें।
पूर्वाचल में गारमेंट उद्योग की संभावनाएं
पूर्वी उप्र देश का सघनतम आबादी वाला इलाका है। ऐसे में वहां बाजार और मानवसंसाधन की कोई कमी नहीं है। पूर्वाचल में वस्त्र उद्योग की संपन्न परंपरा इसके लिए बोनस है। गोरखपुर,खलीलाबाद, मऊ, व की वस्त्र उद्योग (पावरलूम-हैंडलूम) की राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान रही है। ऐसे में वहां हुनरमंद कारीगरों की भरमार रही है।
आगरा, गोरखपुर, वाराणसी और मेरठ में गारमेंट का हब
समय के साथ खुद को तकनीक से न जोड़ने और सरकारों की उपेक्षा के नाते यह उद्योग क्रमश: दम तोड़ता गया। लिहाजा परंपरागत पेशे से जुड़े कुछ लोगों ने दूसरा काम-धंधा तलाश लिया। कुछ देश के उन महानगरों में शिफ्ट कर गये जहां उनके हुनर का उपयोग हो सके। ऐसा हुआ भी। गारमेंट से जुड़े देश के हर क्लस्टर में उत्तर प्रदेश खासकर पूर्वांचल के लोग बड़ी संख्या में हैं। लॉकडाउन के दौरान दूसरे प्रदेशों से लौटे करीब 54 लाख प्रवासियों की स्किल मैपिंग से पता चला कि इनमें से कई गारमेंट के अलग-अलग कामों में खासी दक्षता रखते हैं। योगी सरकार ने इनको संसाधन मानते हुए प्रदेश के आगरा, गोरखपुर, वाराणसी और मेरठ आदि को गारमेंट का हब बनाने की कार्ययोजना तैयार की है। इसी क्रम में गोरखपुर में इस उद्योग से जुड़े लोगों के लिए फ्लैटेड फैक्ट्री बनाने का प्रस्ताव है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के ढेरों नए मौके भी सृजित होंगे।
डेढ़ दशक पहले देखा था वस्त्र उद्योग केंद्र बनाने का सपना
गोरखपुर को केंद्र बनाकर पूर्वांचल का वस्त्र उद्योग का केंद्र बनाना बतौर सांसद भी योगी का सपना था। करीब डेढ़ दशक पहले उन्होंने इस बाबत गंभीर पहल भी की थी। इस क्रम में केंद्र सरकार की ओर से गीडा में ‘टेक्सटाइल सेंटर इंफ्रास्क्टचर डेवलपमेंट स्कीम’ के तहत ‘टेक्सटाइल पार्क’ की स्थापना होनी थी। योजना परवान चढ़ती तो यह उत्तर भारत का पहला टेक्सटाइल पार्क होता। 170 एकड़ जमीन में 26.24 करोड़ की लागत से इसके निर्माण होना था।
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गारमेंट पार्क से लेकर टेक्सटाइल पार्क बनने की गंभीर कवायद
‘नादर्न इंडिया टेक्सटाइल एसोसिएशन’ ने इसके विकास की योजना तैयार की थी। इसमें ₹ 300 करोड़ का पूंजी निवेश होता। हजारों लोगों को रोजगार मिलता। इसके तहत ‘पावरलूम सर्विस सेंटर’ की स्थापना हुई। खुद उस समय के केंद्रीय वस्त्र मंत्री शहनवाज हुसैन वहां आए। इसका उद्घाटन किया। कई बार की हां और ना के बाद अंतत: उद्योग लगाने वालों के आपसी विवाद में ही यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी। अब जब योगी आदित्यनाथ खुद सूबे के मुखिया हैं तो गोरखपुर में गारमेंट पार्क से लेकर टेक्सटाइल पार्क बनने की गंभीर कवायद शुरू हो गयी है।