शीर्ष नेतृत्व के साथ ही उत्तराखंड की जनता का भरोसा हैं पुष्कर सिंह धामी
पुष्कर धामी…यह केवल नाम नही भरोसा है उत्तराखण्ड वासियों का। यह वह नाम है जिसने उत्तराखण्ड भाजपा को उस समय स्थायित्व दिया जब पार्टी अपना विश्वास जनता में खो रही थी, यह वह नाम है जिसने न केवल पार्टी के अंदर चल रहे घमासान को थाम लिया वरन शीर्ष नेतृत्व को उत्तराखण्ड पुनः जीत कर पार्टी की झोली में डालने का भरोसा दिलाया।
उत्तराखण्ड में जब 2017 में भाजपा की सरकार बनी तो सब कुछ अच्छा चल रहा था। शीर्ष नेतृत्व ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया। मुख्यमंत्री रहते ही त्रिवेंद्र सिंह के खिलाफ अन्तरकलह पनपने लगा । त्रिवेंद्र जी इस कलह को शांत नही कर पाये, अपना भरोसा पार्टी के बीच खो गये और फिर तीरथ सिंह रावत को पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाया। तीरथ सिंह भी विवादों में घिरे और तीरथ जी विवादों को निपटा नही पाये और तब पार्टी ने पुष्कर धामी को मुख्यमंत्री बनाया। जब धामी जी मुख्यमंत्री बने तब उत्तराखंड भाजपा के लिये यह संकट का वह काल था जब देश में कहावत चलने लगी थी कि भाजपा में यही नही पता कि जो मुख्यमंत्री है उसे कब हटा कर किसी और को मुख्यमंत्री बना दिया जाये। एक टीवी शो में मजाक में ही पार्टी के बड़े नेता गड़करी जी ने भी इसका जिक्र किया।
धामी वह नाम है जिस पर शीर्ष नेतृत्व ने तब भरोसा किया जब विधानसभा चुनाव सर पर था। मात्र सात आठ महीने के अति संक्षिप्त मुख्यमंत्रित्व काल में ही धामी ने न केवल पार्टी में मचे घमासान को थाम लिया बल्कि उत्तराखण्ड की जनता की नब्ज को बहुत करीब से पकड़ लिया। इतना ही नही धामी ने शीर्ष नेतृत्व के फैसले को सही साबित करते हुए हर्ष नेतृव का भरोसा जीता और जो उत्तराखण्ड के इतिहास में अब तक नही हुआ, उत्तराखण्ड में दोबारा सरकार बना कर उत्तराखण्ड के उस मिथक को तोड़ दिया जो कहता था कि कोई भी सत्ताधारी दल दोबारा सत्ता में नहीं आता।
उत्तराखण्ड में दो तिहाई का बहुमत लाने वाले धामी अपनी सीट नही बचा पाये क्योंकि एक तो वे दूसरों को जिताने और भाजपा को बहुमत दिलाने के लिए हर विधानसभा में प्रचार कर रहे थे दूसरे स्वयं धामी के खिलाफ भी स्थानीय बड़े नेताओं द्वारा भीतरघात हुई जिससे कि वो पुनः मुख्यमंत्री पद के दावेदार न हो सकें। ऐसे ऊर्जावान, स्वच्छ और निष्ठावान धामी जी को पुनः उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बना शीर्ष नेतृत्व को एक दृढ़ सरकार बनाने के साथ ही उत्तराखण्ड के देवभूमि बने रहने के मान को बरकरार रखने और भितरघातियों को समुचित संदेश देने की आवश्यकता है।