जीवनशैली : इस वर्ष दीपावली 14 नवम्बर को है। वहीं दीपावली से पूर्व 7 नवम्बर 2020 को शनि पुष्य नक्षत्र है और इसी दिन बहीखाता खरीदी मुहूर्त भी रहेगा। शनि पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना जाता है। ऋग्वेद में पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है। इसीलिए पुष्य नक्षत्र को खरीदारी के लिए विशेष मुहूर्त माना जाता है। कहते हैं कि इस मुहूर्त में खरीदी गई कोई भी वस्तु अधिक समय तक उपयोगी, शुभ फल देने वाली और अक्षय होती है। आओ जानते हैं इस नक्षत्र में कौनसे 10 खास कार्य किए जा सकते हैं।
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यदि पुष्य नक्षत्र सोमवार को आए तो उसे सोम पुष्य, मंगलवार को आए तो उसे भौम पुष्य, बुधवार को आए तो बुध पुष्य, गुरुवार को आए तो गुरु पुष्य, शुक्र को आए तो शुक्र पुष्य, शनि को आए तो शनि पुष्य और रवि को आए तो रवि पुष्य नक्षत्र कहते हैं। इनमें से गुरु पुष्य, शनि पुष्य और रवि पुष्य नक्षत्र सबसे उत्तम बताए गए हैं। सभी का फल अलग-अलग होता है।
पुष्य नक्षत्र में स्वर्ण खरीदने का प्रचलन इसलिए हैं, क्योंकि इसे शुद्ध, पवित्र और अक्षय धातु के रूप में माना जाता है और पुष्य नक्षत्र पर इसकी खरीदी अत्यधिक शुभ होती है। पुष्य नक्षत्र पर गुरु, शनि और चंद्र का प्रभाव होता है तो ऐसे में स्वर्ण और चांदी की वस्तुएं खरीदी जा सकती है।
— इस नक्षत्र में वाहन, भवन और भूमि खरीदना भी शुभ होता है। इस दिन मंदिर निर्माण, घर निर्माण आदि काम भी प्रारंभ करना शुभ हैं। इस नक्षत्र में शिल्प, चित्रकला और पुस्तक खरीदना उत्तम माना जाता है।
— पीपल के पेड़ को पुष्य नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अपने घर के खाली हिस्से में पीपल का वृक्ष लगाकर उसकी पूजा करते हैं जिससे उनके जीवन में हमेशा सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
— इस दिन पूजा या उपवास करने से जीवन के हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है। सर्वप्रथम अपने घरों में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय मां लक्ष्मी के सामने घी से दीपक जलाएं। किसी नए मंत्र की जाप की शुरुआत करें।
— इस दिन दाल, खिचड़ी, चावल, बेसन, कड़ी, बूंदी की लड्डू आदि का सेवन भी किया जाता है और यथाशक्ति दान भी कर सकते हैं।
— इस दिन बहीखातों की पूजा करना और लेखा-जोखा कार्य भी शुरू कर सकते हैं। इस दिन से नए कार्यों की शुरुआत करें, जैसे दुकान खोलना, व्यापार करना या अन्य कोई कार्य। कुछ नया सीखना, लेखक हैं तो कुछ नया लिखना आदि।
— इसके अलावा पुष्य नक्षत्र में दिव्य औषधियों को लाकर उनकी सिद्धि की जाती है। इस दिन कुंडली में विद्यमान दूषित सूर्य के दुष्प्रभाव को घटाया जा सकता है।
— इस दिन धन का निवेश लंबी अवधि के लिए करने पर भविष्य में उसका अच्छा फल प्राप्त होता है।
— गुरु-पुष्य या शनि-पुष्य योग के समय छोटे बालकों के उपनयन संस्कार और उसके बाद सबसे पहली बार विद्याभ्यास के लिए गुरुकुल में भेजा जाता है।
— इस शुभदायी दिन पर महालक्ष्मी की साधना करने, पीपल या शमी के पेड़ की पूजा करने से उसका विशेष व मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
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