अन्तर्राष्ट्रीय

यूक्रेन के साथ युद्ध के बीच चीन का दौरा करेंगे पुतिन, रणनीतिक संबंधों समेत कई मुद्दों पर होगी चर्चा

नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस सप्ताह चीन की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर आएंगे। चीन के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी। इस यात्रा को अमेरिका नीत पश्चिमी उदारवादी वैश्विक व्यवस्था के खिलाफ दो आधिपत्यवादी सहयोगी देशों के बीच एकजुटता के प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि पुतिन बृहस्पतिवार से शुरू हो रही अपनी यात्रा के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। उसने कहा कि दोनों नेता ‘‘द्विपक्षीय संबंधों के अनेक क्षेत्रों में सहयोग पर और साझा चिंता वाले अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय मुद्दों पर” बातचीत करेंगे। रूस ने एक बयान में यात्रा की पुष्टि करते हुए कहा कि शी के निमंत्रण पर पुतिन चीन की यात्रा करेंगे। उसने कहा कि यह पुतिन का पांचवां कार्यकाल शुरू होने के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा है।

चीन ने यूक्रेन युद्ध में राजनीतिक रूप से रूस का समर्थन किया है और वह दरअसल हथियारों का निर्यात किए बिना रूस के युद्ध के प्रयासों में योगदान के रूप में मशीन कलपुर्जे, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य वस्तुओं का निर्यात जारी रखे हुए है। चीन ने रूस-यूक्रेन युद्ध में खुद को तटस्थ दिखाने की कोशिश की है, लेकिन पश्चिमी देशों के खिलाफ रूस के साथ अपने संबंधों को ‘असीमित’ घोषित किया है।

रूस- चीन अफ्रीका, पश्चिम एशिया और दक्षिण अमेरिका में स्थापित करना चाहते हैं अपना प्रभाव
दोनों पक्षों ने शृंखलाबद्ध तरीके से संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित किए हैं और चीन ने यूक्रेन के खिलाफ दो साल पुराने अभियान के जवाब में रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों का लगातार विरोध किया है। दोनों बड़े देशों का विभिन्न लोकतंत्रों और नाटो के साथ विवाद बढ़ रहा है। दोनों ही अफ्रीका, पश्चिम एशिया और दक्षिण अमेरिका में प्रभाव स्थापित करना चाहते हैं।

पिछले हफ्ते यूरोप की पांच दिवसीय यात्रा करके लौटे हैं शी जिनपिंग
पुतिन की यह यात्रा ताईवान के नए राष्ट्रपति के रूप में विलियम लाई चिंग-ते के सोमवार को आयोजित शपथ ग्रहण समारोह से कुछ दिन पहले होने जा रही है। चीन स्वशासी द्वीपीय लोकतंत्र ताईवान पर अपने क्षेत्र के रूप में दावा करता है और जरूरत पड़ने पर उस पर जबरन कब्जा करने की धमकी देता है। शी पिछले सप्ताह यूरोप की पांच दिवसीय यात्रा करके लौटे हैं। वह हंगरी और सर्बिया भी गए थे जिन्हें रूस के करीब माना जाता है। पांच साल में शी की पहली यूरोप यात्रा को चीन का प्रभाव बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखा गया।

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