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पीवी सिंधु की पदक का रंग बदलने पर निगाह, बैडमिंटन में ये है उम्मीद

स्पोर्ट्स डेस्क : टोक्यो ओलंपिक में अब अधिक टाइम नही बचा है. इसी बीच साइना नेहवाल व पीवी सिंधु के पदक के सफर को आगे बढ़ाते हुए भारतीय बैडमिंटन प्लेयर आगामी टोक्यो ओलंपिक में पदक की हैट्रिक पूरी करने के लक्ष्य के साथ खेलने वाले है. पिछले दोनों ओलंपिक में भारत ने पांच में से चार वर्ग में चुनौती पेश की थी लेकिन इस बार भारतीय प्लेयर केवल तीन वर्ग में क्वालीफाई करने में कामयाब रहे हैं.

साइना नेहवाल खराब रैंकिंग की वजह से लगातार चौथी बार ओलंपिक में खेलने का अपना सपना पूरा नहीं कर पाई. वर्ल्ड चैंपियनशिप 2019 की गोल्ड मैडल चैंपियन और 2016 रियो ओलंपिक की सिल्वर मैडल चैंपियन सिंधु महिला सिंगल्स में भारत के लिए पदक की प्रबल दावेदार हैं.

बताते चले कि साइना लगभग नौ साल पूर्व चार अगस्त 2012 को लंदन खेलों में कांस्य पदक के साथ बैडमिंटन में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय हुई थी.वही चार वर्ष बाद रियो ओलंपिक में सिंधु ने 19 अगस्त 2016 को सिल्वर मैडल जीता था. सिंधु को फाइनल में कड़े मैच में स्पेन की कैरोलिना मारिन के खिलाफ हार मिली थी.

पुरुष सिंगल्स में पदक का दारोमदार वर्ल्ड चैंपियनशिप 2019 के कांस्य पदक विजेता बी साई प्रणीत के कंधों पर होगा. पुरुष डबल्स में सात्विक साईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी भारत का प्रतिनिधित्व करेगी. दुनिया की 10वें नंबर की ये जोड़ी उलटफेर करने में सक्षम है.

सिंधु रियो ओलंपिक के फाइनल में मारिन के खिलाफ कड़े मैच में 21-19, 12-21, 15-21 से हारी थी, लेकिन ओलंपिक में सिल्वर पदक जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन प्लेयर हुई. ये स्टार प्लेयर अब टोक्यो में एक कदम आगे बढ़कर गोल्ड मैडल जीतने के इरादे से उतरेगी.

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दूसरी ओर साई प्रणीत वर्ल्ड चैंपियनशिप 2019 में दिखा चुके हैं कि वो दुनिया के शीर्ष प्लेयर्स को मात देने में सक्षम हैं. साई प्रणीत का लक्ष्य ओलंपिक में पदक जीतने वाला पहला पुरुष बैडमिंटन प्लेयर बनने का होगा. बैडमिंटन में भारत के ओलंपिक सफर का आगाज 1992 बार्सीलोना खेलों में दीपांकर भट्टाचार्य, विमल कुमार और मधुमिता बिष्ट ने की थी जब पहली बार इस खेल को खेलों के महाकुंभ में जगह मिली थी.

दीपांकर ओलंपिक में पहले ही प्रयास में क्वार्टर फाइनल में पहुंचने में कामयाब रहे, जहां उन्हें तत्कालीन विश्व विजेता झाओ जियानहुआ के खिलाफ हार मिली थी. मधुमिता ने पहले दौर में आइसलैंड की एल्सा नीलसन के खिलाफ आसान जीत हासिल की लेकिन दूसरे दौर में ग्रेट ब्रिटेन की जोआन मुगेरिज के खिलाफ हार गई.

विमल को भी पहले दौर में डेनमार्क के थॉमस स्टुए लॉरिडसेन के खिलाफ हार मिली थी. दीपांकर और विमल की जोड़ी भी पुरुष युगल में पहले दौर की बाधा को पार करने में विफल रही. चार वर्ष बाद अटलांटा 1996 ओलंपिक में दीपांकर और पीवीवी लक्ष्मी ने भारत का प्रतिनिधित्व किया लेकिन ये दोनों ही पुरुष सिंगल्स और महिला सिंगल्स में दूसरे दौर में ही हार गये.

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