दस्तक-विशेषस्तम्भ

राहुल गांधी, देश-समाज-कांग्रेस तीनों के लिए खतरा

अजय कुमार

लखनऊ : कांग्रेस (Congress) के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अक्सर अपने बयानों से विवाद में फंसते और सुर्खिंयां और बटोरते रहते हैं। अबकी बार राहुल एक अमेरिकी अखबार में फेसबुक (Facebook) को लेकर छपी खबर पर टिप्पणी देकर चर्चा में हैं। अखबार ने आरोप लगाया था कि फेसबुक भारत में पक्षपाती रवैया अपना रही है। इसी के चलते फेसबुक द्वारा सत्ताधारी दल के नेताओं की साम्प्रदायिक टिप्पणियों को प्रतिबंधित नहीं किया जाता है। राहुल गांधी जिनका भारत को छोड़ विदेशी नेताओं और संस्थाओं पर अटूट विश्वास बना रहता है, उससे वह अक्सर ‘प्रेरणा’ लेते रहते हैं।

Rahul Gandhi

राहुल गांधी में इतनी निगेटिव उर्जा (negative energy) भरी है कि उन्हें देश में कुछ अच्छा होता ही नहीं दिखता है। चाहे राहुल देश में हों या विदेश की यात्रा पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime minister Narendra Modi)एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swyamsewak Sangh) हमेशा ही उनके निशाने पर रहते हैं। वह यह चिंता भी नहीं करते हैं कि इससे देश का कितना नुकसान होता है। यहां तक की आपात स्थिति में भी राहुल गांधी मोदी सरकार के खिलाफ जहर उगलना बंद नहीं करते हैं। पाकिस्तान (Pakistan) पर सर्जिकल स्ट्राइक (surgical strike), चीन (china) के साथ डोकलाम विवाद और मौजूदा समय में कोरोना महामारी और हाल में सीमा पर चीन के साथ भारत की तनातनी के समय भी देखने को मिल रहा है।

Rahul Gandhi

देश पर जब भी कभी कोई संकट आता है तो राहुल गांधी एंड कम्पनी अपने देश का पक्ष लेने के बजाय उन शक्तियों के हाथों का खिलौना बन जाते हैं जो भारत में अशांति पैदा करना चाहते हैं। इसीलिए तो नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर राहुल गांधी और कांगे्रस के हो-हल्ले के चलते पाकिस्तान को भारत के खिलाफ जहर उगलने का मौका मिल गया था, जो राहुल गांधी बिना पढ़े दो लाइन बोल और लिख नहीं सकते हैं,आखिर वह हर मुद्दे पर कैसे ज्ञान बांटने लगते हैं। यह समझ से परे हैं। निश्चित ही राहुल गांधी कहीं न कहीं से डिक्टेट होते होंगे। राहुल गांधी के ‘ज्ञान की गंगा अविरल बहती रहती है’। भले ही इससे कांगे्रस गर्त में चली जाए,परंतु राहुल को इससे फर्क नहीं पड़ता है।इसी लिए अब कांग्रेस के भीतर भी गांधी परिवार को लेकर सिर फुटव्वल होने लगा है।

Rahul Gandhi


नेहरू-गांधी परिवार (Nehru-Gandhi Family) की चैथी पीढ़ी के नेता राहुल गांधी की मुखारबिंदु से जब भी कोई बयान निकलता है तो उसकी प्रतिक्रिया काफी तेज होती है। अक्सर तो राहुल ‘सेल्फ गोल’ भी कर लेते हैं। पिछले कुछ समय में दिए गए राहुल के विवादित बयानों की चर्चा की जाए तो कभी राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चीन से तनाव को लेकर ‘सरेंडर मोदी’ बता देते हैं तो कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) का ‘रेप इन इंडिया’ (Rape in India) कहकर मजाक उड़ाते हैं। यहां तक की राहुल गांधी को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भी इज्जत करना नहीं आता है। वह महान स्वतंत्रता सेनानी जिसने लम्बे समय तक काले पानी की सजा काटी, उसे देशद्रोही बताते हुए दिल्ली की एक जनसभा में कहने लगते हैं कि मैं अपनी बात से पलटूगा नहीं,- मैं राहुल सावरकर नहीं, राहुल गांधी हूं। यह बात महाराष्ट्र में कांगे्रस के साथ मिलकर सरकार चला रही शिवसेना को काफी बुरी लगी। वीर सावरकर (Veer Savarkar) को लेकर दिए गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान के बाद महाराष्ट्र की सियासत गरमा गई। शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने सख्त लहजे में कहा कि हम नेहरू और गांधी का सम्मान करते हैं आप हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करें। तब राहुल की अक्ल ठिकाने लगी। हद तो तब हो गई जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर विवादित बयान दिया है। राहुल गांधी ने पीएम मोदी और महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को एक तरह का इंसान बता दिया था।

Rahul Gandhi

केरल (Keral) में कांग्रेस की ‘संविधान बचाओ’ रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि नाथूराम गोडसे और पीएम नरेंद्र मोदी एक ही विचारधारा में विश्वास करते हैं। राहुल गांधी ने कहा कि दोनों में कोई अंतर नहीं है. इसके बाद भी पीएम नरेंद्र मोदी में यह कहने की हिम्मत नहीं है कि वह गोडसे में विश्वास करते हैं। राहुल गांधी के मन में मोदी के प्रति इतनी नफरत भरी है कि वह कुछ घटनाओं को कल्पना मात्र से खड़ा कर देते हैं। इसीलिए तो उनके मुंह से यह सुनने को मिल जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने गुरु लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishn Advani) को जूता मारकर स्टेज से भगा दिया। ऐसी उलटी-सीधी बातों के लिए अक्सर राहुल को कोर्ट में माफी भी मांगनी पड़ जाती है। आरएसएस और लड़ाकू विमान राफेल को लेकर मोदी को घेरने के चक्कर में राहुल को न केवल माफी मांगनी पड़ी थी, बल्कि फजीहत भी खूब हुई थी। 2019 के आम चुनाव में राहुल गांधी ने रफेल विमान की खरीद-फरोख्त में कमीशनबाजी का आरोप लगाते हुए मोदी के खिलाफ ‘चैकीदार चोर है ’ का नारा खूब उछाला था और यहां तक कह दिया था कि कोर्ट ने भी मान लिया है कि चैकीदार चोर है। बाद में माफी मांगकर राहुल ने इस प्रकरण से पीछा छुड़ाया था।

Rahul Gandhi

खैर, बात भारत में फेसबुक को लेकर जारी सियासत की कि जाए तो अमेरिकी अखबार के हवाले से छपी खबर के बाद फेसबुक को लेकर भड़के राहुल गांधी स्वयं के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। सोशल मीडिया के जिस मंच को दुनिया भर में अभिव्यक्ति की आजादी का सबसे बड़ा प्लेटफार्म माना जाता है,उस ‘फेसबुक’ पर इन दिनों जैसे आरोप लग रहे हैं, वे यकीनन स्वतंत्र अभिव्यक्ति के पैरोकारों को निराश करने वाली हैं। लेकिन उतनी ही चिंताजनक बात यह भी है कि इस कंपनी की एक वरिष्ठ अधिकारी को कथित धर्मनिरपेक्ष ताकतों द्वारा धमकाने की कोशिश भी की जा रही है। फेसबुक की क्षेत्रीय पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर अंखी दास ने दिल्ली पुलिस में इस संद्रर्भ में शिकायत दर्ज कराई है।

Rahul Gandhi

इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है कि जिस नफरती प्रवृत्ति के खिलाफ कथित नरमी बरतने के आरोपों पर फेसबुक को सफाई देनी पड़ रही है, उसकी अधिकारी अब दूसरी तरफ के असहिष्णु लोगों के निशाने पर हैं। दरअसल, पिछले दिनों एक बड़े अमेरिकी अखबार ने खबर छापी थी कि फेसबुक कंपनी भारत में पक्षपाती भूमिका अपना रही है और सत्ताधारी नेताओं की घोर सांप्रदायिक टिप्पणियों को भी प्रतिबंधित नहीं कर रही। जाहिर है, विपक्ष और कांगे्रस को एक मौका हाथ लग गया है और वह इसे यूं ही नहीं छोड़ना चाहती है।

Soniga Gandhi and Rahul

यह सब तब हो रहा है जबकि सब जानते हैं कि ‘हेट स्पीच’ और असंवेदनशील पोस्ट की समीक्षा पर नजर बनाए रखने के लिए फेसबुक में बाकायदा एक बड़ा विभाग है और उसका काम ही है ऐसी सामग्रियों की निगरानी करना और उन्हें प्रकाशित-प्रसारित होने से रोकना, जो न सिर्फ नस्लीय घृणा, सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा देने वाली हों, बल्कि जो मानव स्वास्थ्य को किसी भी रूप में नुकसान पहुंचाने वाली हों। इसकी सबसे अक्ष्दी बानगी कोरोना काल में हमने देखने को मिल रही है। कोरोना के इलाज के नाम पर तरह-तरह के टोटकों और फर्जी तजवीजों के खिलाफ फेसबुक काफी तेजी से कदम उठा रहा है। इसमें कोई दोराय नहीं कि यह बेहद मुश्किल काम है, क्योंकि दुनिया भर में हर सेकंड छह नए यूजर (User) इस माध्यम से जुड़ रहे हैं और रोजाना लाखों तस्वीरें व टिप्पणियां इस पर पोस्ट की जा रही हैं। ऐसे में, इस माध्यम की बुनियादी खूबी की रक्षा करते हुए इसके दुरुपयोग को रोकना एक बहुत बड़ी चुनौती है। कंपनी पूर्व में कई बार स्वीकार भी कर चुकी है कि उसे अभी इस दिशा में काफी काम करने की जरूरत है।

Rahul Gandhi


बहरहाल,तमाम किन्तु परंतुओं के साथ हमें यह नही भूलना चाहिए कि फेसबुक एक व्यवसायिक कंपनी है। उसकी नीतियां तभी तक मान्य हैं, जब तक उसकी पहुंच वाले देशों के आंतरिक मामलों में वे कोई बाधा नहीं खड़ी करतीं। भारत में जो ताजा विवाद खड़ा हुआ है, वह पूरी तरह से सियासी है। भारत में इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच फेसबुक ही नहीं तमाम मंचों पर हमेशा चलते रहते हैं। हालांकि, फेसबुक ने अपनी सफाई पेश की है कि उसकी नीतियां तटस्थता पर आधारित हैं और वे किसी देश की किसी पार्टी से प्रभावित नहीं हैं।

Rahul Gandhi


हमें यह तो देखना ही पडेगा कि कोई भी बाहरी तत्व हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को किसी रूप में प्रभावित न करने पाए। अपनी सुरक्षा के मद्देनजर हमने चीन के दर्जनों एप को अभी हाल में ही प्रतिबंधित किया है, तो फेसबुक और ट्विटर जैसे जन-प्रभावशाली माध्यमों पर भी हमें हर पल नजर रखनी होगी। इसके साथ-साथ भारत के भी सभी राजनैतिक दलों के नेताओं को समझदारी से काम लेना चाहिए। एक राहुल गांधी देश के लिए काफी है,अच्छा यह रहेगा कि दूसरा कोई राहुल गांधी बनने की कोशिश न करे। इस संद्रर्भ में यह कहना भी अनुचित नहीं होगा कि संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष और कांगे्रस नेता शशि थरूर (Sashi Tharoor) का सियासी ड्रामेबाजी के चलते फेसबुक को तलब किए जाने के बारे में सोचना तर्कसंगत नहीं है। भाजपा संासद निशिकांत दुबे ने सही कह रहे हैें कि सांसद स्थायी समिति के अध्यक्ष थरूर के पास अपने सदस्य के साथ एजेंडा (Agenda) की चर्चा के बिना कुछ भी करने का अधिकार नही हैै। ये मुद्दे संसदीय समिति के नियमों के मुताबिक उठाए जा रहे है।

Amit Malviya

भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि लोकसभा चुनाव के पहले फेसबुक 700 पेज बंद किये थे, जिसमें ज्यादा राष्ट्रवादी झुकाव वाले लोेेग थे। कांग्रेस ने कैंब्रिज एनालिटिका (Cambridge Analytica) के साथ मिलकर फेसबुक के डाटा का दुरूपयोग किया था। इसकी कोई भी वजह फेसबुक को नही बताई थी। मालवीय ने कहा कि कांग्रेस ने दिल्ली दंगे के पहले सीएए पर कहा था कि आर-पार की लड़ाई होनी चाहिए क्या उसे भड़काऊ समझा जाएगा? यह भाषणा फेसबुक पर लाइव था। लब्बोलुआब यह है कि राहुल गांधी की ‘आत्माघाती’ सोच देश-समाज और कांगे्रस तीनों के लिए खतरनाक साबित हो रही है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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