मलेशिया में काफी व्यस्त रहेगा राहुल गांधी का कार्यक्रम, भारतीय प्रवासियों को भी करेंगे संबोधित
नई दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 8 दिसंबर से साउथ-ईस्ट एशिया के देशों की यात्रा पर रहेंगे। 7 दिन की इस यात्रा में वह मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देशों का दौरा करेंगे। इनमें से सबसे ज्यादा वक्त वह मलेशिया में गुजारेंगे। मलेशिया की राजधानी में उनका एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने का कार्यक्रम है। इसके अलावा वह मलेशियाई प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे और टाइम स्क्वायर होटल में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करेंगे। 9 दिसंबर को उनका एमआईसी मुख्यालय में मलेशियाई भारतीय कांग्रेस के साथ बातचीत का भी कार्यक्रम है।
राहुल गांधी 8 दिसंबर से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की 7 दिन की यात्रा शुरू करने वाले हैं। वह 8 दिसंबर की शाम को मलेशिया पहुंचेंगे और 10 दिसंबर तक वहीं रहेंगे। इसके बाद वह 11 दिसंबर को सिंगापुर पहुंचेंगे और 12 दिसंबर तक वहीं रहेंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सिंगापुर के बाद 13 दिसंबर को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता पहुंचेंगे जबकि 14 दिसम्बर को वियतनाम की राजधानी हनोई जाएंगे। इसके बाद वह 15 दिसंबर की रात हनोई से दिल्ली के लिए रवाना होंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राहुल इन देशों के के कुछ विश्वविद्यालयों में भारतीय प्रवासियों और छात्रों के कार्यक्रमों को संबोधित करेंगे।
9 दिसंबर की मलेशिया यात्रा का कार्यक्रम
दोपहर 12:00 बजे: कुरेशी रेस्तरां, कुआलालंपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस।
दोपहर 12.00 बजे – 01.30: बजे मलेशियाई इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ बिजनेस लंच होगा, कुरेशी रेस्तरां, कुआलालंपुर में।
03:00 अपराह्न – 04:00 अपराह्न: मलेशियाई प्रधानमंत्री के साथ उनके आवास पुत्रजया में बैठक।
05:00 अपराह्न – 07:00 अपराह्न: नेताजी हॉल, एमआईसी मुख्यालय में मलेशियाई भारतीय कांग्रेस के साथ बातचीत।
07:30 बजे – 08:30 बजे: वह टाइम स्क्वायर होटल में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करेंगे।
08:45 बजे से सफदर खान के आवास पर रात्रिभोज। इस रात्रिभोज के लिए लगभग 30 लोगों को आमंत्रित किया गया है।
चुनाव परिणामों के बाद राहुल की पहली विदेश यात्रा
हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद यह राहुल गांधी की पहली विदेश यात्रा है। देश के 5 राज्यों मिजोरम, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को सिर्फ तेलंगाना में जीत मिली थी, और बाकी राज्यों में उसे नाकामी का सामना करना पड़ा था। यहां तक कि कांग्रेस ने बीजेपी के हाथों छत्तीसगढ़ का सूबा भी गंवा दिया, जहां उसकी जीत तय मानी जा रही थी।