नईदिल्ली : मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। शीर्ष अदालत ने उनकी सजा पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद 7 अगस्त को लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की सदस्यता को बहाल कर दिया था। अब इस फैसले के खिलाफ लखनऊ के वकील अशोक पांडेय ने अर्जी दाखिल की है। उनका कहना है कि एक यदि सांसद या विधायक की सदस्यता आर्टिकल 102, 191 के तहत चली जाती है तो फिर उसे तब तक बहाल नहीं किया जा सकता, जब तक कि उसे ऊपरी अदालत द्वारा आरोपों से बरी न कर दिया जाए।
शीर्ष अदालत में दाखिल अर्जी में पांडेय ने कहा कि एक बार यदि किसी सांसद या विधायक की सदस्यता चली जाती है तो फिर लोकसभा के स्पीकर को अधिकार नहीं है कि वह बहाल कर सके। वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा कि लोकसभा स्पीकर की ओर से जारी नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए। उन्होंने कहा कि जब तक ऊपरी अदालत की ओर से सांसद की सजा को खत्म नहीं किया जाता, तब तक ऐसा आदेश नहीं दिया जा सकता। इसके अलावा उन्हें दोबारा से काम करने की परमिशन भी स्पीकर की ओर से नहीं दी जा सकती।
याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग को भी इस मामले में सीट खाली होने का नोटिफिकेशन जारी करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सीआरपीसी के सेक्शन 389 के तहत सिर्फ ऊपरी अदालत को ही यह अधिकार है कि वह किसी को दोषी ठहराए जाने के खिलाफ सुनवाई करे और उसे मिली सजा पर रोक लगाए या फिर खत्म कर दे। बता दें कि 2018 में लोकप्रहरी बनाम चुनाव आयोग एवं अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि सांसद और विधायक को दोषी ठहराए जाने पर स्टे लग जाता है तो फिर जनप्रतिनिधित्व कानून के सेक्शन 8 की उपधाराओं 1,2 और 3 के तहत उकी सदस्यता बहाल हो जाती है।