देशभर में 51 ठिकानों पर छापेमारी , खालिस्तानियों के खिलाफ NIA की बड़ी कार्रवाई
नई दिल्ली : खालिस्तानी आतंकवादी और गैंगस्टर के गठजोड़ के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बड़ी कार्रवाई की है। बुधवार को सुबह-सुबह पंजाब, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर छापेमारी की है। मिल रही जानकारी के मुताबिक, 51 ठिकानों पर जांच एजेंसी की छापेमारी चल रही है। आपको बता दें कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के संबंध तनावपूर्ण हो चुके हैं। इस बीच एनआईए ने यह कार्रवाई की है। सबसे ज्यादा पंजाब में 31 जगहों पर छापेमारी चल रही है। इसके अलावा, राजस्थान में 13, हरियाणा में 4, उत्तराखंड में 2, दिल्ली-NCR और यूपी में 1-1 जगह छापेमारी चल रही है।
सूत्रों की मानें तो 2016 के बाद पंजाब में सिखों, हिंदुओं और ईसाइयों को लक्ष्य बनाकर की गई कई हत्याएं खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की करतूत थीं, जिसकी हत्या से भारत और कनाडा के बीच विवाद पैदा हो गया है। कनाडाई एजेंसियों ने निज्जर और उनके मित्रों भगत सिंह बराड़, पैरी दुलाई, अर्श डल्ला, लखबीर लांडा और कई अन्य लोगों के खिलाफ कथित तौर पर कभी कोई जांच शुरू नहीं की। पंजाब में लाशों का ढेर लगने के बावजूद वे राजनीतिक कार्यकर्ता बने हुए हैं।
उन्होंने कहा कि पंजाब आज कनाडा से चलाए जा रहे जबरन वसूली गिरोहों के कारण भारी नुकसान झेल रहा है और उत्तर अमेरिकी देश में स्थित गैंगस्टर ड्रोन के माध्यम से पाकिस्तान से नशीले पदार्थ लाते हैं और उन्हें पूरे पंजाब में बेचते हैं। उन्होंने कहा कि इस धन का एक हिस्सा कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों को जाता है। कनाडा में भी कई खालिस्तानी समर्थक चरमपंथी नशीले पदार्थों के कारोबार का हिस्सा हैं और पंजाब के विभिन्न गैंगस्टर के गिरोहों के बीच प्रतिद्वंद्विता अब कनाडा में आम है। भारत समर्थक सिख नेता रिपुदमन सिंह मलिक की 2022 में कनाडा के सरे में हत्या कर दी गई थी और कई लोगों का कहना है कि इस हत्या के पीछे निज्जर का हाथ था, लेकिन कनाडाई एजेंसियों ने दोषियों को ढूंढने और वास्तविक साजिश का पर्दाफाश करने में कथित तौर पर कोई तत्परता नहीं दिखाई। इस मामले में केवल ऐसे दो स्थानीय लोगों को आरोपी बनाया गया, जो भारतीय मूल के नहीं थे।
कनाडा में तेजी से बढ़ रहे खालिस्तान समर्थन को बढ़ावा देने में सरकार का हाथ है। सूत्रों की मानें तो कनाडा चरमपंथियों को पीछे से बढ़ावा दे रहा है। चरमपंथी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक समर्थन जैसी धारणाओं की आड़ में करीब 50 साल से कनाडा की जमीन से स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं। कनाडा इन चरमपंथियों द्वारा डराने धमकाने, हिंसा किए जाने और नशीले पदार्थों की तस्करी में लिप्त रहने पर पूरी तरह चुप्पी साध लेता है। सूत्रों की मानें तो एयर इंडिया के विमान कनिष्क में 1985 में खालिस्तानी चरमपंथियों ने बम विस्फोट किया था और यह अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए हमले से भी पहले हुआ दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी हमलों में से एक हमला था। कनाडाई एजेंसियों की बेरुखी के कारण इस हमले का मुख्य आरोपी तलविंदर सिंह परमार और उसके खालिस्तानी चरमपंथियों का समूह बचकर निकल गए।
सूत्रों का कहना है कि विमान में बम विस्फोट करने का मुख्य आरोपी परमार आज कनाडा में खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों का नायक है और प्रतिबंधित समूह सिख फॉर जस्टिस ने अपने अभियान केंद्र का नाम भी परमार के नाम पर रखा है। सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में खालिस्तानी चरमपंथियों के हौंसले और बुलंद हो गए तथा उन्होंने बिना किसी खौफ के कनाडा से काम करना शुरू कर दिया। पिछले एक दशक में पंजाब में सामने आए आतंकवाद के आधे से ज्यादा मामलों के तार कनाडा स्थित खालिस्तानी चरमपंथियों से जुड़े होने का पता चला है।