बारिश ने चावल के उत्पादन का बिगाड़ा गणित, बढ़ेगी कीमतें!
नई दिल्ली : देश में इस बार मौसम ने जिस तरह अपनी बेरूखी दिखाई और फिर मूसलाधार बारिश (torrential rain) ने अपना कहर बरपाया उससे खरीब फसलों को अधिक नुकसान पहुंचा है, सबसे ज्यादा चावल के उत्पादन (rice production) पर असर देखाई दे रहा है। खाद्य विभाग (food department) का अनुमान है कि धान की बुवाई (paddy sowing) क्षेत्र में गिरावट के कारण इस साल के खरीफ सीजन के दौरान भारत के चावल उत्पादन में एक करोड़ से 1.12 करोड़ टन की गिरावट आ सकती है। सबसे ज्यादा असर धान के रकबे पर पढ़ेगा। यही कारण है कि सरकार ने घरेलू बाजार में चावल, गेहूं, आटे जैसे अनाज की कीमतों पर लगाम कसने के लिए निर्यात रोक दिया, लेकिन इनकी कीमत लगातार बढ़ती जा रही हैं।
फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) के दौरान चावल का कुल उत्पादन 13.29 करोड़ टन रिकॉर्ड होने का अनुमान है. यह पिछले पांच वर्षों के 11.64 करोड़ टन के औसत उत्पादन से 1.38 करोड़ टन अधिक है।
देश में बढ़ती महंगाई और धान की कम बुवाई को लेकर सरकार पहले से ही एक्शन में है। भारत ने कल ही चावल के विभिन्न ग्रेड के निर्यात पर 20% शुल्क लगा दिया है। चालू खरीफ सत्र में धान फसल का बुवाई रकबा काफी घट गया है! ऐसे में घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। साथ ही स्थानीय कीमतों को नियंत्रित रखने का भी इसे एक प्रयास माना जा रहा है।
वहीं खाद्य मंत्रालय ने बताया है कि तेज बारिश के कारण पिछले साल की अपेक्षा इस बार इन खाद्य उत्पादों की कीमतों में 20 फीसदी तक उछाल आ चुका है। साथ ही पिछले कुछ दिनों से हो रही तेज बारिश के कारण चावल, गेहूं और आटे की कीमतों में आगे भी बढ़ोत्तरी का अनुमान है, जिससे आगे भी चावल, गेहूं और आटे की कीमतों में तेजी जारी रहेगी।
बता दें कि जब तेज बारिश किसानों की फसलों पर कहर बनकर बरसती है, तो किसानों की कड़ी मेहनत पर पूरी तरह से पानी फिर जाता है। कभी-कभी तेज बारिश का कहर किसानों पर कुछ इस तरह बरसता है कि उनके खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो जाती हैं। ऐसे ही देश के कुछ हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से लगातार तेज बारिश हो रही है। जिससे देश कई किसानों की धान की फसल पूरी तरह बर्वाद हो गई है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि आगे भी बासमती चावल के दाम बढ़ सकते हैं।
हाल ही में तेज बारिश ने किसानों की धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। इससे करीब 20 प्रतिशत धान की फसलें खराब हो गई है। ऐसे में कारोबारियों का मानना है कि आने वाले समय में बासमती चावल (Basmati Rice) की कीमत बढ़ सकती है। इसका सीधा असर निर्यात पर भी पड़ेगा। इस बार की तेज बारिश ने धान की फसलों को इस तरह चौपट कर दिया है कि किसानों को काफी मात्रा में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. साथ ही देशभर में तेज बारिश के कारण धान फसलों में काफी गिरावट दर्ज की गई है। हमारे देश से करीब 150 देशों में बासमती चावल (Basmati Rice) एक्सपोर्ट किया जाता है।