राजस्थान : अदालत की लड़ाई में लंबा खिंच सकता था मामला, स्पीकर ने वापस ली याचिका
जयपुर : सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने दायर अपनी विशेष अनुमति याचिका वापस ले ली। कोर्ट में इसके लिए कानूनी कारण तो दिए ही गए हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि इसके पीछे पार्टी की बदली हुई रणनीति भी कारण हो सकती है। इसके तहत कोर्ट में केस लड़कर सियासी संकट को और लंबा खींचने के बजाय, इसका कोई सियासी समाधान निकालने पर काम किया जा सकता है। दरअसल सचिन पायलट गुट ने स्पीकर के नोटिस के खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायलय में जो याचिका दायर की थी। इस पर उच्च न्यायालय का फैसला आने से पहले ही स्पीकर ने संवैधानिक संकट की आशंका जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था और इस पर विस्तृत सुनवाई की आवश्कता बताते हुए यह कह दिया था कि हाईकोर्ट का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अध्याधीन रहेगा। यानी जो कुछ तय होना था, वह सुप्रीम कोर्ट से ही तय होना था। इस बीच हाईकोर्ट ने 24 जुलाई को यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दे दिए और आगे की सुनवाई के लिए कुछ बिंदु भी तय कर दिए, लेकिन सुनवाई की आगामी तारीख नहीं दी गई थी। ऐसे में यह मामला हाईकोर्ट में सामान्य सुनवाई की प्रक्रिया में चला गया था। उधर सुप्रीम कोर्ट के रूख को देखते हुए भी यह लग रहा था कि सुनवाई लंबी खिंच सकती है। ऐसे में कोर्ट में लड़ाई लंबी खिंचने के पूरे आसार दिख रहे थे। इन तकनीकी कारणों के अलावा सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होना विधानसभा सत्र नहीं बुलाने का बड़ा आधार भी हो सकता था, जबकि इस समय कांग्रेस के लिए इस संकट से निकलने का एकमात्र उपाय विधानसभा सत्र ही दिख रहा है।
पार्टी के जानकार कहते हैं कि राजस्थान में कोरोना की गंभीर होती स्थिति के बीच पांच सितारा होटल में बैठी गहलोत सरकार के प्रति जनता में बहुत अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। वहीं कोर्ट में सुनवाई लंबी चलती तो सचिन पायलट गुट को ही फायदा होता दिख रहा था। ऐसे में ये बहुत से कारण याचिका वापस लेने के पीछे माने जा रहे हैं। इस मामले की कानूनी लड़ाई के तहत अब स्पीकर हाईकोर्ट के यथास्थिति वाले आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जा सकते हैं। उनकी तरफ से कोर्ट में कहा भी गया है कि नई परिस्थतियों के हिसाब से उन्हे कानूनी बिंदुओं पर विचार करने की जरूरत है। वहीं पार्टी की राजनीतिक लड़ाई के हिसाब से देखा जाए तो कांग्रेस का इस समय पूरा जोर इस बात पर है कि विधानसभा का सत्र आहुत कराया जाए।