नई दिल्ली: किसान आंदोलन की भावी रूपरेखा अथवा कार्ययोजना तय करने के लिए आज यानी शनिवार को सिंघु बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की अहम बैठक होगी। इस बैठक में आंदोलन को लेकर फैसला होगा कि इसे खत्म किया जाए या नहीं। हालांकि, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की बातों से यह संकेत मिल रहे हैं कि आंदोलन अभी चलता रहेगा। किसान नेता राकेश टिकैत ने सिंघु बार्डर बार्डर पर होने वाली बैठक से पहले कहा कि आज बैठक में आंदोलन आगे कैसे बढ़ेगा और सरकार बातचीत करेगी तो कैसे बातचीत करनी है, इस पर चर्चा होगी।
बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि एमएसपी की हमारी मांग भारत सरकार से है। बातचीत अभी शुरू हुई है, हम देखेंगे कि यह कैसे चलता है। हम आज की बैठक में कोई रणनीति विकसित नहीं करेंगे, हम केवल चर्चा करेंगे कि आंदोलन कैसे आगे बढ़ता है। उन्होंने आगे कहा कि कल हरियाणा के मुख्यमंत्री और किसानों के बीच बातचीत बेनतीजा रही, हालांकि वे किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने के लिए सहमत हो गए हैं। पंजाब की तरह हमें किसानों की मौत और रोजगार के लिए राज्यवार मुआवजे की जरूरत है। बता दें कि अगर आंदोलन खत्म नहीं होता है, तो दिल्ली वालों को जाम से अभी निजात मिलना मुश्किल है।
बता दें कि इससे पहले बैठक को लेकर किसान नेताओं ने कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर समिति गठन के वास्ते केंद्र को पांच नाम भेजे जाएं या नहीं-इस पर कोई भी फैसला इस बैठक में किया जाएगा क्योंकि उन्हें सरकार से कोई औपचारिक संदेश नहीं प्राप्त हुआ है। इस बैठक में प्रदर्शनकारी किसानों की लंबित मांगों पर चर्चा होगी जिनमें फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी, किसानों पर दर्ज मामलों की वापसी, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों के लिए मुआवजा आदि शामिल हैं।
एसकेएम की कोर समिति के सदस्य दर्शनपाल ने कहा कि हमारी आज 11 बजे अहम बैठक है। हमारी लंबित मांगों पर चर्चा के साथ ही एसकेएम आंदोलन की भावी कार्ययोजना तय करेगा। चूंकि हमें एमएसपी पर पांच किसान नेताओं के नाम सौंपने का औपचारिक संदेश अबतक नहीं मिला है इसलिए हम बैठक में तय करेंगे कि हमें उसे (सरकार को) नाम भेजने हैं या नहीं। केंद्र ने एमएसपी एवं अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए मंगलवार को एसकेएम से पांच नाम मांगे थे। हालांकि बाद में एसकेएम ने एक बयान में कहा था कि उसके नेताओं को केंद्र से इस मुद्दे पर फोन आये थे लेकिन कोई औपचारिक संदेश नहीं मिला है। केंद्र तीन कृषि कानून वापस ले चुका है।