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राजनीतिक दलों को राकेश टिकैत की नसीहत, ‘मेरी तस्वीर और नाम इस्तेमाल न करें’, मैं राजनीति नहीं करूंगा

एक साल से ज्यादा वक्त तक गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के साथ डटे रहे राकेश टिकैत अब मुजफ्फरनगर स्थित अपने घर लौट गए हैं। गाजीपुर बॉर्डर से आंदोलनकारी किसानों के आखिरी जत्थे के साथ रवाना हुए राकेश टिकैत मेरठ पहुंचे तो उनका जोरदार स्वागत हुआ। इस दौरान जब उनके राजनीतिक दल के पोस्टर में छपी उनकी तस्वीर को लेकर पूछा गया तो टिकैत ने साफ किया कि वह राजनीति में नहीं कूदेंगे। राकेश टिकैत ने कहा, ‘मैं कोई चुनाव लड़ने नहीं जा रहा हूं। किसी पार्टी को मेरे नाम और तस्वीर का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।’ राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता हैं। यह संगठन किसान आंदोलन में प्रमुख भागीदार था।

28 नवंबर, 2020 से ही गाजीपुर बॉर्डर पर डटे रहे राकेश टिकैत इस साल 26 जनवरी को आंदोलन का चेहरा बन गए थे। यूपी पुलिस के बड़ी संख्या में गाजीपुर पर डटने के बाद यह चर्चा शुरू हो गई थी कि अब आंदोलन समाप्त कराया जा सकता है। इसी बीच राकेश टिकैत का एक वीडियो सामने आया, जिसमें वह भावुक हो गए और रोते दिखे। इसके बाद आंदोलन की पूरी तस्वीर ही बदल गई और रातोंरात पश्चिमी यूपी, हरियाणा और पंजाब के किसानों के बड़े जत्थे दिल्ली की सीमाओं की ओर रवाना हुए। इससे आंदोलन एक बार फिर से मजबूत हो गया और तीन नए कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब जाकर समाप्त हुआ है।

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