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रक्षाबंधन: 11 व 12 अगस्त को बांधी जा सकती हैं राखी, जानिए शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली: श्रावणी पूर्णिमा को हर साल रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है, इस बार यह त्यौंहार 11 व कुछ हद तक 12 अगस्त को मनाया जा सकता है। रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम और रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। इसमें बहन अपने भाई को रक्षासूत्र बांधती है। इस बार रक्षाबंधन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई हं कि इसे कब मनाया जाए। पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10.30 से शुरू होकर अगले दिन यानी 12 अगस्त को सुबह 7.05 बजे तक रहेगी। इस समय भद्रा भी नहीं है और उदया तिथि भी है इसलिए कुछ लोग 12 अगस्त को सुबह 7.15 बजे तक ही राखी बांधने को शुभ मान रहे हैं। हालांकि अधिकतर लोग 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन पर्व मना रहे हैं। आज हम आपको रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी देने जा रहे हैं जो आपके लिए उपयोगी होगी।

11 अगस्त को कई अबूझ मुहूर्त
इस बार 2 दिन रक्षाबंधन का त्योहार आ रहा है लेकिन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 11 अगस्त को ही रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 11 अगस्त को राखी बांधने के लिए कई अबूझ मुहूर्त रहेंगे, जिसमें सुबह 11.37 से लेकर दोपहर 12.29 तक अभिजीत मुहूर्त, इसके बाद दोपहर 2.14 से 3.07 तक विजय मुहूर्त रहेगा। रक्षाबंधन के दिन प्रदोष काल का मुहूर्त सुबह 8.52 से 9.14 तक रहेगा। वहीं इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया भी रहेगा। इसका समय शाम को 5.17 से शुरू होगा। इसलिए शुभ मुहूर्त को देखते हुए अपने भाइयों की कलाइयों में राखी बांध सकेंगी। ज्योतिष का कहना है कि भद्रा में राखी नहीं बांधनी चाहिए, न ही इस दौरान कोई शुभ मांगलिक कार्य करना चाहिए।

12 अगस्त को सुबह 7.15 तक का समय शुभ
पंचांग के अनुसार, सावन पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को रात 10.39 बजे से शुरू होगी। 12 अगस्त को सुबह 7.05 बजे समाप्त होगी। 11 अगस्त को भद्रा काल भी है। यह सुबह से रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। हिंदू धर्म की मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है इसलिए भाइयों को राखी न तो भद्रा काल में बांधी जा सकती है और न ही रात में। 12 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। इस समय भद्रा भी नहीं है और उदया तिथि भी है इसलिए कुछ लोग 12 अगस्त को सुबह 7.15 बजे तक ही राखी बांधने को शुभ मान रहे हैं।

क्यों नहीं बांधी जाती भद्रा में राखी
हिंदू मान्यता के अनुसार भद्रा काल में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, इसलिए भद्रा काल के समय राखी बंधवाना अच्छा नहीं माना जाता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भद्रा काल में किए गए कार्य अशुभ होते हैं और उनका परिणाम भी अशुभ होता है, इसलिए भद्रा काल के समय कभी भी भाइयों को राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके पीछे पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार रावण ने अपनी बहन से भद्रा काल में ही राखी बंधवाई थी, जिसका परिणाम रावण को भुगतना पड़ा। रावण की पूरी लंका का विनाश हो गया। तब से लेकर आज तक कभी भी भद्रा मुहूर्त में राखी नहीं बंधवाई जाती है।

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