उत्तर प्रदेशदस्तक-विशेषराज्यराष्ट्रीय

रामलला विराजमान

-रामकुमार सिंह

‘भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।।
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोर्भांसधु खरारी।।’

अर्थात ‘दीनों पर दया करने वाले, कौसल्याजी के हितकारी कृपालु प्रभु प्रकट हुए। मुनियों के मन को हरने वाले उनके अद्भुत रूप का विचार करके माता हर्ष से भर गई। नेत्रों को आनंद देने वाले मेघ के समान श्याम शरीर था, चारों भुजाओं में अपने (खास) आयुध (धारण किए हुए) थे, (दिव्य) आभूषण और वनमाला पहने थे, बड़े-बड़े नेत्र थे। इस प्रकार शोभा के समुद्र तथा खर राक्षस को मारने वाले भगवान प्रकट हुए।’

‘जाकर नाम सुनत सुभ होई। मोरें गृह आवा प्रभु सोई।।
परमानंद पूरि मन राजा। कहा बोलाइ बजावहु बाजा।।’

अर्थात ‘जिनका नाम सुनने से ही कल्याण होता है, वही प्रभु मेरे घर आए हैं। (यह सोचकर) राजा का मन परम आनंद से पूर्ण हो गया। राजा ने बाजेवालों को बुलाकर कहा कि बाजा बजाओ।

‘ध्वज पताक तोरन पुर छावा। कहि न जाइ जेहि भांति बनावा।।
सुमनबृष्टि अकास तें होई। ब्रह्मानंद मगन सब लोई।।’

अर्थात ‘ध्वजा, पताका और तोरणों से नगर छा गया। जिस प्रकार से वह सजाया गया, उसका तो वर्णन ही नहीं हो सकता। आकाश से फूलों की वर्षा हो रही है, सब लोग ब्रह्मानंद में मग्न हैं।’ गोस्वामी तुलसीदास ने भगवान श्रीराम के जन्म का वर्णन कुछ इसी प्रकार किया है। वहीं, आज जब श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है तब भी कमोवेश वैसा ही वातावरण सप्त पुरियों में से एक अयोध्या जी में है। हिन्दू पौराणिक मान्याताओं के अनुसार सप्त पुरियों में अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अंवतिका और द्वारका को शामिल किया गया है। ये सभी सातों मोक्षदायिनी और पवित्र नगरियां यानी पुरियां हैं। चार वेदों में पहले अथर्ववेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर माना है। इसी अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था। रामायण के अनुसार सरयू नदी के किनारे बसी अयोध्या नगर की सूर्य पुत्र वैवस्वत मनु द्वारा स्थापना की गई थी। वैवस्वत मनु का जन्म लगभग 6673 ईसा पूर्व में हुआ था। मनु बह्माजी के पौत्र कश्यप की संतान थे। बाद में मनु के 10 पुत्र हुए जिनमें-इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यंत, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध थे।

इक्ष्वाकु कुल में कई प्रतापी राजा, मुनि और भगवान हुए है। इक्ष्वाकु कुल में ही भगवान राम का जन्म हुआ था। स्कंद पुराण के अनुसार जिस तरह से काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है, उसी प्रकार अयोध्या भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर विराजमान है। 1528 से लेकर 2020 तक यानी 492 साल तक की लम्बी लड़ाई के बाद श्रीराम जन्मभूमि विवाद समाप्त हुआ। इतिहासकारों के मुताबिक साल 1528 में मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने एक मस्जिद का निर्माण (विवादित जगह पर) कराया। इसे लेकर्र ंहदू समुदाय ने दावा किया कि यह जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां एक प्राचीन मंदिर थार्। ंहदू पक्ष के मुताबिक मुख्य गुंबद के नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान था। बाबरी मस्जिद में तीन गुंबदें थीं। वर्ष 1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी। मुसलमानों को ढांचे के अंदर और्र ंहदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई, जबकि असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईंर्। ंहदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट (डीएम) केके नायर ने दंगों और्र ंहदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई। सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया।

उसके बाद साल 1950 में फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई। इसमें से एक में रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्माेही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की। साल 1961 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह पर कब्जा दिलाने और मूर्तियां हटाने की मांग की। साल 1984 में विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए विश्र्व ंहदू परिषद ने एक कमेटी गठित की। साल 1986 में यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे ने एक फरवरी 1986 र्को ंहदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे से ताला हटाने का आदेश दिया। उसके बाद 6 दिसंबर 1992 को विश्व हिन्दू परिषद और शिवसेना समेत दूसर्रे ंहदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्माेही अखाड़ा के बीच तीन बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया। उसके बाद साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने ‘आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट’ का आह्वान किया।

8 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। पैनल को आठ सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा। एक अगस्त 2019 को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। अगले दिन दो अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा। छह अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई। 16 अक्टूबर 2019 को अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित जमीर्न ंहदू पक्ष को मिली। वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने मस्जिद के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश भी दिया। 25 मार्च 2020 को तकरीबन 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलर फाइबर के मंदिर में शिफ्ट किय गए। श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की तमाम बाधायें समाप्त होने के बाद पांच अगस्त 2020 को राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करकमलों से संपन्न हुआ। अब 22 जनवरी 2024 को मंदिर के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा का भव्य और दिव्य आयोजन होने जा रहा है। वाराणसी के दो कर्मकांडी ब्राह्मण लक्ष्मीकांत दीक्षित और गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम विधि-विधान से संपन्न करायेंगे।

अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर का कामकाज देखने वाले श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने आगामी 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा के लिए निमंत्रण पत्र भी देश के प्रतिष्ठित लोगों को भेज दिया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय के मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह की सभी तैयारियां 15 जनवरी तक पूरी हो जाएंगी। समारोह में विभिन्न प्रदेशों के 150 परम्पराओं के साधु-संतों समेत 13 अखाड़े और छह दर्शन परम्परा के शंकराचार्य आदि शामिल होंगे।
आयोजन में करीब चार हजार संतों को आमंत्रित किया गया है, इसके अलावा 2200 गृहस्थों को भी निमंत्रण दिया गया है। कार्यक्रम में काशी विश्वनाथ, वैष्णोदेवी जैसे प्रमुख मंदिरों के प्रमुखों, धार्मिक व संवैधानिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है। इसके अलावा विश्व विख्यात आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा, केरल की अम्मा, योग गुरू बाबा रामदेव समेत सिने स्टार रजनीकांत, अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, अरुण गोविल, निर्देशक मधुर भंडारकर समेत प्रमुख उद्योगपतियों अनिल अंबानी, मुकेश अंबानी, रतन टाटा के पुत्र, प्रख्यात चित्रकार वासुदेव कामत, इसरो निदेशक नीलेश देसाई समेत तमाम विशिष्ट हस्तियां समारोह की साक्षी बनेंगी। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहर्न ंसह, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा को भी आमंत्रित किया गया है। राम मंदिर आन्दोलन की धुरी रहे पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी को भी आमंत्रित किया गया है लेकिन इन दोनों नेताओं की आयु और स्वास्थ्य को देखते हुए इनका कार्यक्रम में उपस्थित रहना संभव नहीं हो पायेगा। ट्रस्ट के महासचिव ने बताया कि 16 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजन प्रारम्भ होगा। यह 22 जनवरी प्राण प्रतिष्ठा तक चलेगा। उसके बाद 24 जनवरी से 48 दिनों का उत्तर भारत की परम्परा के अनुसार मंडल पूजन होगा। 23 जनवरी से आमजन रामलला के दर्शन कर सकेंगे।

भगवान राम की ससुराल से आएगा पान-पाग और स्वर्ण धनुष-बाण
भव्य राम मंदिर में भगवान श्रीराम का ससुराल कहे जाने वाले बिहार के मिथिला से पाग, पान और मखाना तथा सोने से बना धनुष-बाण पहुंचाया जाएगा। इन उपहारों की व्यवस्था पटना का प्रसिद्ध महावीर मंदिर करेगा। महावीर मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी किशोर कुणाल के मुताबिक भगवान राम अरसे बाद अपने ‘घर’ वापस आ रहे हैं। इस शुभ अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए वह खुद महावीर मंदिर की तरफ से भगवान को मिथिला की परम्परा के मुताबिक नजराने के तौर पर पाग (पगड़ी) और पर्याप्त मात्रा में पान तथा मखाना भेंट की जायेगी। चूंकि मिथिला में ही भगवान राम द्वारा धनुष तोड़े जाने के बाद उनका माता सीता से विवाह हुआ था। इसके मद्देनजर महावीर मंदिर प्रबंधन ने रामलला को सोने से बना धनुष और बाण भी भेंट करेगा।

राममय होगी अयोध्या
‘राम कण-कण में हैं। राम जन-जन में हैं।’ भावी पीढ़ी को भी श्रीराम के आदर्शों व मूल्यों से अवगत कराया जायेगा। 500 वर्षों के पश्चात नव्य अयोध्या सांस्कृतिक व आध्यात्मिक रूप से और समृद्ध दिखेगी। इस अवसर को अद्वितीय, अविस्मरणीय व अलौकिक बनाने के लिए राज्य की योगी सरकार ने अपना सर्वस्व झोंक दिया है। एक तरफ जहां देश-विदेश के कलाकार रामायण आधारित रामलीला की प्रस्तुति देंगे तो वहीं लोक परंपराओं पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। मानना है कि लोक परंपराओं में प्रभु श्रीराम विद्यमान हैं। रामोत्सव के लिए नेपाल, कंबोडियार्, ंसगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, इंडोनेशिया आदि देशों के रामलीला मंडलियों के कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। साथ ही महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, कर्नाटक, सिक्किम, केरल, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर, लद्दाख और चंडीगढ़ की मंडली भी श्रीराम के जीवन पर आधारित विभिन्न प्रसंगों की प्रस्तुतियां देंगी। तुलसी भवन स्मारक स्थित तुलसी मंच पर देश व विदेश की विभिन्न रामलीलाओं का मंचन प्रस्तावित है।

रामलीला मंचन के लिए सरकार की तरफ से दो करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की जाएगी। लोकपरंपराएं समाज में प्रभु श्रीराम के आदर्शों को अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से जीवंत बनाए हुए हैं। उनके आदर्श वर्तमान के साथ भावी पीढ़ी को भी प्रेरणा देते रहेंगे।। जनवरी में पूरे विश्व से लाखों श्रद्धालु अयोध्या और प्रदेश के अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक, सांस्कृतिक शहरों की यात्रा करेंगे। इसे ध्यान में रखते हुए कार्यक्रमों के आयोजन की तैयारी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अन्य प्रांतों के श्रद्धालुओं को अयोध्या दर्शन का आमंत्रण दे चुके हैं।

अयोध्या के लिए सुख-समृद्धि भी लेकर आयेंगे श्रीराम

दुनियाभर के सनातनियों को 22 जनवरी 2024 का बेसब्री से इंतजार है। जन-जन के आराध्य भगवान श्रीराम 500 साल की प्रतीक्षा, परीक्षा और अनगिलत बलिदानों के पश्चात अपने भव्य मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं। इसके साथ ही त्रैल्योक्य न्यारी अयोध्या नगरी सुख-समृद्धि से भी परिपूर्ण होने जा रही है। भगवान श्रीराम का नव्य-भव्य धाम नि:संदेह अयोध्या वासियों की सुख-समृद्धि का भी कारक बनेगा। अयोध्या में चल रही 30.5 हजार करोड़ से ज्यादा की परियोजनाओं में से अधिकांश 2024 में पूरी हो जाएंगी। वहीं छह हजार करोड़ से अधिक के निवेश भी अयोध्या में धरातल पर उतरने को बिल्कुल तैयार हैं। इनमें ज्यादातर हॉस्पिटैलिटी, ट्रैवेल-टूरिज्म और हायर एजुकेशन से जुड़ी परियोजनाएं हैं। इन सभी परियोजनाओं के धरातल पर उतरने के साथ ही 20-30 हजार नये रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अयोध्या में श्रीराम मंदिर के उद्घाटन समारोह को ‘भूतो न भविष्यति’ बनाने की तैयारियां जोरों पर हैं। 2024 में जब एक तरफ भगवान श्रीराम अपने भव्य मंदिर में विराजमान होंगे तो ये पुण्य वर्ष अयोध्या में कई बड़े निर्माण और बदलावों का भी साल साबित होने जा रहा है। विकास कार्यों की एक लंबी शृंखला है, जिसमें सबसे पहला नाम अयोध्या में बनकर तैयार अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का है। यहां से जनवरी 2024 में उड़ान शुरू हो जाएगी। इसके साथ ही जनवरी में ही 50 हजार फुर्ट ंप्रट वाले अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का नया भव्य भवन भी बनकर तैयार हो जाएगा। इसके अलावा मार्च तक सोलर सिटी भी पूरी तरह आकार ले लेगी।

जनवरी 2024 में 394 करोड़ से 4 लेन अयोध्या अकबरपुर बसखारी मार्ग, एनएच 27 से रामपथ तक रेलवे समपार, पंचकोसी परिक्रमा मार्ग पर बड़ी बुआ रेलवे क्रर्ॉंसग पर ओवर ब्रिज, दर्शन नगर के पास रेलवे ओवर ब्रिज, अमानीगंज में मल्टी लेवल पार्किंग, कलेक्ट्रेट के पास स्मार्ट वाहन पार्किंग, पंचकोसी और चौदहकोसी मार्ग पर इंटरप्रिटेशन वॉल का निर्माण, परिक्रमा मार्ग पर 25 से ज्यादा पर्यटन स्थलों और कुंडों का विकास, डेकोरेटिव पोल और हेरिटेज लाइटों की स्थापना का कार्य, कौशल्या सदन का निर्माण, मुक्ति वैकुंठ धाम के विकास का कार्य पूरा हो जाएगा। तो वहीं फरवरी में अयोध्या के 7 वार्डों में 24 घंटे जलापूर्ति, सूर्यकुंड के पास आरओबी, 4 लेन धर्म पथ का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। मार्च में अयोध्या-अकबरपुर मार्ग पर फतेहगंज आरओबी, अयोध्या बिल्हौरघाट 4 लेन सड़क, गुप्तार घाट का सौंदर्यीकरण, नया घाट से लक्ष्मण घाट तक पर्यटन सुविधाओं का विकास, अयोध्या सोलर सिटी का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। अप्रैल में अवध बस स्टैंड के पास आश्रय गृह का निर्माण, नाका बाइपास के पास कल्याण भवन का निर्माण, चार ऐतिहासिक प्रवेश द्वारों का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। जून में अयोध्या सीवरेज योजना का पार्ट वन पूरा कर लिया जाएगा। जुलाई में 473 करोड़ से पंचकोसी परिक्रमा मार्ग चौड़ीकरण कार्य को पूरा कर लिया जाएगा। सितंबर में डॉ भीमराव अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय खेल परिसर को पूरा कर लिया जाएगा। अक्टूबर में 1140 करोड़ से चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग का विस्तारीकरण पूरा कर लिया जाएगा। नवंबर-दिसंबर तक अयोध्या में जोनल अर्बन फैसिलिटेशन सेंटर का निर्माण, अयोध्या नगर निगम और अयोध्या विकास प्राधिकरण के विशाल भवनों का निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया जाएगा।

आकर्षण का केन्द्र होगा राम अनुभव केंद्र

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ ही सरयू नदी के पास गुप्तार घाट पर 75 एकड़ में श्री राम अनुभव केंद्र और पंचवटी द्वीप का निर्माण किया जाना भी प्रस्तावित है। पंचवटी द्वीप पर राम अनुभव केंद्र के निर्माण का उद्देश्य भारतीय जनमानस को अपनी वैदिक सभ्यता पर गौरव करने को प्रोत्साहित करना है, ताकि वो इसे अपने दैनिक जीवन में भी आत्मसात करके एक स्वस्थ व सुखी जीवन यापन कर सकें। प्रस्ताव के अनुसार राम अनुभव केंद्र के निर्माण के लिए अस्थाई स्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया जाएगा। वर्षा ऋतु में इन टेंपरेरी स्ट्रक्चर को डिसमैंटल कर दिया जाएगा एवं इस दौरान श्रीराम अनुभव केंद्र का संचालन नहीं किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि एक हजार एकड़ में फैले पंचवटी द्वीप में 75 एकड़ पर राम अनुभव केंद्र के निर्माण का प्रस्ताव है। वर्षा ऋतु के अलावा पंचवटी द्वीप के आसपास नदी का जलस्तर भूमि के लेवल से लगभग 12 फीट नीचे रहता है। इसी वजह से वर्षा ऋतु में बाढ़ की आशंका के चलते श्रीराम अनुभव केंद्र का संचालन नहीं किया जाएगा, जिससे बाढ़ का प्रभाव केंद्र पर नहीं होगा।

प्रस्ताव के अनुसार पंचवटी द्वीप पर बाढ़ सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली पर फोकस रहेगा। इसके तहत वर्षा ऋतु में श्रीराम अनुभव केंद्र का संचालन नहीं होगा, जबकि वर्षा ऋतु की समाप्ति के बाद अक्टूबर माह में इन स्ट्रक्चर को पुन: असेंबल कर श्रीराम अनुभव केंद्र का संचालन प्रारंभ किया जाएगा। यही नहीं, स्ट्रक्चर को नदी से पर्याप्त दूरी पर एक 100 फीट का बफर जोन बनाते हुए स्थापित किया जाएगा, ताकि दुर्घटना की कोई संभावना न रहे। राम अनुभव केंद्र के निर्माण एवं संचालन के पूर्व सभी रेगुलेटरी डिपार्टमेंट्स (नगर निगम, फायर सर्विस, विद्युत सुरक्षा व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी प्राप्त करने के बाद ही संचालित किया जाएगा। समस्त नियमों के अनुपालन के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों को सम्मिलित करते हुए एक समिति बनाई जाएगी, जो प्रत्येक 15 दिन के अंतराल पर श्रीराम अनुभव केंद्र का आकस्मिक एवं नियमित निरीक्षण करेगी, ताकि किसी भी स्तर पर कोई कमी न रहने पाए।

संपूर्ण प्रोजेक्ट की डिजाइन सेल्फ सस्टेनेबल मॉडल के आधार पर की गई है, जिसका प्रारूप ‘अर्थ गंगा परियोजना’ के गाइडलाइंस पर तैयार किया गया है। इस परियोजना के अंतर्गत पंचवटी द्वीप नो प्लास्टिक जोन होगा। किसी भी निर्माण के लिए आरसीसी एवं पीसीसी का उपयोग नहीं होगा। निर्माण विधि एवं सीवरेज, स्लज व कूड़े का निस्तारण पर्ण कुटीर का निर्माण बांस व कुश द्वारा किया जाएगा। मल निस्तारण के लिए बायो डाइजेस्टिव सेप्टिक टैंक का उपयोग किया जाएगा, जबकि जल एसटीपी द्वारा मानकों के अनुसार ट्रीट करके बागवानी एवं कृषि में प्रयोग लाया जाएगा। इस परियोजना में श्री अन्न (मिलेट्स ग्रेन) की प्रधानता होगी। योग ग्राम साधकों हेतु ध्यान, प्राणायाम, यज्ञ, हवन आदि के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे। नेचुरोपैथी, आयुर्वेद की विधियों के केंद्र स्थापित होंगे। साथ ही कला ग्राम में प्रदेश के सभी जिलों के उत्पादों का प्रदर्शन होगा। पंचवटी द्वीप पर जैविक, कॉस्मिक कृषि से फसल उगाई जाएगी। विलुप्त लोक गायकी एवं संस्कृति कार्यक्रमों द्वारा स्थानीय लोक कलाकारों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इसके अतिरिक्त श्रद्धालुओं द्वारा अपने पूर्वजों की स्मृति में एक पौधा, अयोध्या की पावन भूमि पर रोपित करने का अवसर दिया जाएगा, जिससे उनमें पर्यावरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न हो सके। तरु तल वैदिक विद्यालय की स्थापना होगी, जो आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए होगा। यहां बंबू स्किल डेवलपमेंट एवं साहसिक खेल प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे। स्थानीय किसानों एवं श्रमिकों को पंचवटी द्वीप पर रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे तो कलाग्राम में हस्तशिल्पियों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

अयोध्या में तमिल, तेलुगू भाषा में भी दिखेंगी निर्देश पट्टिकाएं

अयोध्या के मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए मार्गों पर निर्देश पट्टिका लगाई जाएंगी। देश के विभिन्न भागों से अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए यहां अलग-अलग भाषाओं में पट्टिका लगाई जाएंगी। इनमें दक्षिण की तमिल, तेलुगू जैसी बड़े पैमाने पर बोली जाने वाली भाषाओं में भी पट्टिकाएं होंगी। प्रमुख मंदिरों की तरफ जाने वाले मार्गों को चिन्हित कर उन मार्गों पर यथासंभव यथा आवश्यकता के अनुसार श्रद्धालुओं के चलने के लिए योजना बनाई गई है। जिस मार्ग से पैदल यात्री जा सकें, उन मार्गों पर वाहनों को जाने से रोका जाएगा। यह भी निर्धारित किया जा रहा है कि जहां पर वाहनों के आने की आवश्यकता है, वहां वे इस प्रकार से आएं कि अन्य लोगों का आना-जाना बाधित न हो। मार्गों की आवश्यकता के अनुरूप प्लान तैयार किया जा रहा है। कुछ मार्गों पर ई-रिक्शा को बैन भी किया जा सकता है। देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए अयोध्या के मार्गों पर अलग-अलग भाषाओं में निर्देश पट्टिकाएं लगाई जाएंगी, जिससे कि श्रद्धालुओं को मंदिर जाने में दिक्कत ना हो। खासकर दक्षिण के राज्यों की भाषाओं में निर्देश पट्टिकाएं भी होंगी।

रामोत्सव के दौरान अभेद्य किला रहेगी अयोध्या

22 जनवरी 2024 को जब अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा तब वहां की सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी रहेगी। अति विशिष्ट अतिथियों की मौजूदगी को देखते हुए आमजन से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद दर्शन हेतु अयोध्या आने का अनुरोध ट्रस्ट की ओर से किया गया है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर योगी सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था का पूरा खाका तैयार कर लिया है। आईजी प्रवीण कुमार के मुताबिक अयोध्या पहले से संवेदनशील क्षेत्र रही है। सुरक्षा योजना की दृष्टि से हमारे पास सीआरपीएफ, यूपीएसएसएफ, पीएसी और सिविल पुलिस मौजूद है। इसमें नई तकनीक का समावेश किया गया है। श्रद्धालुओं के आगमन के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ की गई है। उन्होंने बताया कि जल्द ही राम मंदिर के लिए नई सुरक्षा योजना लागू होगी, जिसके तहत कोई भी व्यक्ति बगैर जांच पड़ताल के मंदिर के समीप तक नहीं पहुंच पाएगा।

आईजी के अनुसार, जगह-जगह र्चेंकग प्वाइंट बनाए जाएंगे। इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे। बगैर अनुमति के इस इलाके में ड्रोन नहीं उड़ाए जा सकेंगे। भविष्य में रिवर सिक्योरिटी को भी मजबूत किया जाएगा। नदी के किनारे सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था की जाएगी। लोकार्पण के समय की सुरक्षा व्यवस्था के तहत जिले में 37 शासकीय और अशासकीय जमीनों पर पार्किंग व्यवस्था की जा रही है। यहां भी कैमरे लगे होंगे। 22 व 23 को भारी वाहन शहर के भीतर से होकर नहीं जाएंगे। साथ ही जिन लोगों को आमंत्रण दिया गया होगा, उनके आने के लिए बेहतर व्यवस्था रहेगी लेकिन अन्य छोटे वाहनों के लिए भी व्यवस्था लागू की जाएगी कि वह अपने गंतव्य तक आसानी से पहुंच सकें। डायवर्जन की सूचना विभिन्न माध्यमों से दी जाएगी। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान सुरक्षा के मददेनजर खुफिया विभाग चारों ओर सक्रिय रहेगा। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का भी सहयोग लिया जाएगा। अराजक तत्वों की जानकारी के साथ ही उन पर पैनी नजर रहेगी।

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