सौहार्द का प्रतीक बनी आगरा कैंट की रामलीला, 10 सालों से मुस्लिम कलाकार निभा रहा है राम का किरदार
आगरा में कई मंचों पर ऐतिहासिक रामलीला का मंचन किया जाता है.पूरे उत्तर भारत की सबसे पुरानी और प्रसिद्ध रामलीला भी आगरा में ही होती है. दूर-दूर से रामलीला और राम बरात को देखने के लिए लोग आगरा पहुंचते हैं. सामाजिक सद्भाव के साथ यहां की रामलीला हिंदू-मुस्लिम भाई चारे का प्रतीक बनी है.किसी शायर ने क्या खूब कहा है ’कहीं मंदिर कहीं मस्जिद की तख्ती लगा बैठे, बनाना था हमें एक घर मगर हम क्या बना बैठे.. परिंदों में नहीं होती ये फिर्का परस्ती जाने क्यूं, कभी मंदिर पे जा बैठे कभी मस्जिद पे जा बैठे’ यह पंक्तियां आगरा के निजामुद्दीन पर बिल्कुल सटीक बैठती है.जिनके हृदय में प्रभु राम बसे हैं.कौम के विरोध के बावजूद यह रामलीला के मंच पर भगवान राम के किरदार का मंचन करते हैं.
निजामुद्दीन वैसे तो ट्रैक मैन के पद से रिटायर है.रेलवे में सेवा देने के साथ-साथ वो पिछले 10 वर्षों से आगरा छावनी की होने वाली ऐतिहासिक रामलीला में अपना कीमती समय देते हैं. मुस्लिम होने के बावजूद भी निजामुद्दीन अब तक 10 से ज्यादा अलग-अलग किरदार रामलीला के मंच पर निभा चुके हैं. जिसमें से वह भगवान राम के अलावा सीता के पिता राजा जनक, शांतनु,भीलों के राजा जैसे तमाम किरदार निभा चुके हैं.
कई बार निजामुद्दीन को क़ौम के लोगों ने रामलीला में मंचन करने से रोका था.
लोकल 18 से बात करते हुए निजामुद्दीन ने अपना एक्सपीरियंस शेयर किया और कहा कि कई बार मुस्लिम समाज के लोगों ने उनके ऊपर दबाव बनाया कि मुस्लिम होने के बावजूद भी तुम क्यों रामलीला में मंचन करते हो लेकिन निजामुद्दीन ने जो जवाब क़ौम के लोगों को दिया उसके बाद उन्होंने कभी भी पलटकर निजामुद्दीन पर दबाव नहीं बनाया. निजामुद्दीन ने कहा कि ”अगर पूजा हिंदू हो सकती है, प्रेम हिंदू हो सकता है, लेकिन किसी एक व्यक्ति को घेरकर उसकी हत्या कर देना हिंदुत्व नहीं हो सकता ,ठीक उसी तरह इबादत मुस्लिम हो सकती है नमाज मुस्लिम हो सकती है, लेकिन एके-47 हाथ में लेकर निर्दोष लोगों को मार देना इस्लाम नहीं हो सकता”
जन्म लेने व मरने का रास्ता एक है तो क्यों लोग करते हैं हिंदू मुस्लिम के नाम पर सियासत
निजामुद्दीन के विचारों से लोगों को प्रेरणा लेने की जरूरत है. निजामुद्दीन कहते हैं कि यह धर्म हम लोगों के बनाए हुए हैं. ऊपर वाले का ऐसा कोई धर्म नहीं है.जहां हिंसा के लिए जगह हो ,अगर ऐसा होता तो ऊपर से ईश्वर पानी, हवा सब कुछ धर्म और जाति में बांट कर भेजता. लेकिन ऐसा नहीं हम सभी प्रभु राम के वंशज है और सदियों से हिंदू मुस्लिम भाईचारे के साथ रहते आए हैं. राम कोई धर्म नहीं है, राम कोई जाति नहीं है, राम सबके हैं .राम हमारे पूर्वज है ,उनके जीवन से सीख लेकर हमें आपस में मिल जुल कर रहना चाहिए.