डाक टिकटों पर भी छाया रामराज
आज पूरा देश राममय हो चुका है, डाक विभाग भी इससे अछूा नहीं रहा। पीएम नरेन्द्र मोदी व यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने डाक टिकट के माध्यम से भी प्रभु श्रीराम को घर-घर पहुंचाने का काम किया। तभी तो 2017 से अब तक प्रभु श्रीराम से जुड़े कई डाक टिकट जारी होते आ रहे हैं। 2017 में रामायण प्रसंग पर, 2020 में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्रतिरूप पर आधारित डाक टिकट जारी किये गये। 2021 में अयोध्या शोध संस्थान द्वारा अयोध्या की पारंपरिक रामलीला का मंचन से संबंधित व 2022 में श्रीराम वन गमन पथ पर आधारित डाक टिकट जारी किये गये।
–कृष्ण कुमार यादव
भगवान श्रीराम हमारी धरती के सांस्कृतिक मूल्यों की अभिव्यक्ति करते हैं। मानव इतिहास में राम कथा की जितनी व्याप्ति है, शायद ही उसका कोई अन्यत्र उदाहरण मिलता हो। वाल्मीकि रामायण में जब ब्रह्माजी वाल्मीकि को यह ग्रन्थ लिखने का निर्देश देते हैं तो साथ ही एक वरदान भी देते हैं, ‘यावत स्थास्यन्ति गिरय: सरितश्च महीतले, तावद रामायणकथा लोकेशु प्रचरिश्यति’ अर्थात जब तक इस दुनिया में पर्वतों और नदियों का अस्तित्व है तब तक रामायण का प्रचार होता रहेगा। श्रीराम देश के जनमानस में बहुत गहरे व्याप्त हैं। श्रीराम मानवीय आचरण, जीवन मूल्यों और आत्मबल के ऐसे मानदण्ड बन गए कि उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में स्वीकार किया गया। उनका धार्मिक ही नहीं सामाजिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। तभी तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सार्वजनिक जीवन में राम के नाम का उपयोग करते हुए ‘राम राज्य’ का आदर्श सामने रखा। यह अनायास ही नहीं है कि आज भी भारतीय जनमानस अपने नेतृत्वकर्ताओं से लेकर नायकों में ऐसे चरित्र को ढूंढता है, जो भगवान श्रीराम की तरह लोक कल्याण के प्रति समर्पित हो।
डाक टिकट किसी भी राष्ट्र की सभ्यता, संस्कृति एवं विरासत के संवाहक हैं। डाक टिकट अतीत को वर्तमान से जोड़ते हैं। देश-विदेश के समृद्ध व गौरवशाली इतिहास और विरासत से परिचय कराने में डाक टिकटों का अहम स्थान है। राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय महत्व के विषयों, विभूतियों के साथ-साथ सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक पहलुओं पर भी डाक टिकट जारी होते रहते हैं। रामायण महाकाव्य केवल भारत में ही नहीं, अपितु पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, ऐसे में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से लेकर रामायण के विभिन्न दृष्टांतों पर भारत सहित दुनिया के कई देशों ने डाक टिकट जारी किये हैं। रामायण और इससे जुड़े प्रसंगों पर भारतीय डाक विभाग द्वारा समय-समय पर विभिन्न डाक टिकट, प्रथम दिवस आवरण, विशेष आवरण जारी किये गए हैं। डाक विभाग ने रामायण के विभिन्न पहलुओं पर डाक टिकट जारी करके इसकी आध्यात्मिकता और ऐतिहासिकता को वैश्विक स्तर पर समृद्ध किया है।
भारतीय डाक विभाग द्वारा सन् 1952 में ‘भारतीय संत एवं कवि’ थीम पर 6 स्मारक डाक टिकट जारी किये गए। इनमें गोस्वामी तुलसीदास, संत कबीर, मीरा, सूरदास, गालिब एवं रविन्द्र नाथ टैगोर शामिल थे। श्रीराम को जन-जन तक पहुंचाने वाले रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास पर एक आना की डाक टिकट जारी की गई। अवधी में लिखी रामचरित मानस आज भी सर्वाधिक लोकप्रिय है। रामायण सिर्फ उत्तर भारत ही नहीं, दक्षिण भारत में भी उतनी ही लोकप्रिय है। महर्षि कम्बन द्वारा रचित रामवतारम् तमिल साहित्य की सर्वोत्तम कृति एवं वृहत ग्रंथ है। डाक विभाग ने 5 अप्रैल 1966 को तमिल रामायण के रचयिता महर्षि कम्बन पर 15 नये पैसे का डाक टिकट जारी किया।
श्रीराम कथा के सूत्र वैदिक, बौद्ध जातक कथा, प्राकृत के जैन ग्रन्थ ‘पउमचरिय’ में भी मिलते हैं। महाभारत के वन पर्व में भी ‘रामोपाख्यान’ आता है, किन्तु आदिकवि वाल्मीकि कृत ‘रामायण’ में ही यह कथा ललित और सुव्यवस्थित रूप में विकसित हुई। संस्कृत के प्रथम महाकाव्य रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की। डाक विभाग ने महर्षि वाल्मीकि पर सन् 1970 में 20 नये पैसे का डाक टिकट जारी किया। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में 16वीं शताब्दी में रचित महाकाव्य रामचरित मानस हिन्दू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक ग्रंथ है, जिसमें राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में दिखाया गया है। वैसे भी जो चीज सहज-सरल भाषा में कही जाए, उसका प्रभाव अलग पड़ता है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस का अनुपम शैली में दोहों, चौपाइयों, सोरठों तथा छंदों का आश्रय लेकर बहुत अच्छा वर्णन किया है। भारतीय डाक विभाग ने रामचरित मानस पर भी 4 मई, 1975 को 25 पैसे का डाक टिकट जारी किया।
भारतीय डाक विभाग ने रामायण के सभी महत्वपूर्ण प्रसंगों को दर्शाते 11 स्मारक डाक टिकटों का सेट 22 सितंबर, 2017 को जारी किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तुलसी मानस मंदिर, वाराणसी में इसे जारी किया। रामायण का हर प्रसंग डाक टिकट के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया है। मिनिएचर शीट और शीटलेट्स के रूप में जारी इन डाक टिकटों में सीता स्वयंबर, राम वनवास, भरत मिलाप, केवट प्रसंग, जटायु संवाद, शबरी संवाद, अशोक वाटिका में हनुमान-सीता संवाद, राम सेतु निर्माण, संजीवनी ले जाते हनुमान, रावण वध व भगवान राम के राजगद्दी पर बैठने के आकर्षक दृश्य समाहित हैं। 65 रुपये के इस स्मारक डाक टिकट सेट में राज्याभिषेक वाला डाक टिकट 15 रुपये का तो अन्य सभी 10 डाक टिकट 5 रुपये के हैं। राम-सीता स्वयंवर से लेकर भगवान राम के अयोध्या में राज्याभिषेक तक के प्रसंगों को इन डाक टिकटों पर देखकर ऐसा एहसास होता है मानो पूरा रामराज ही डाक टिकटों पर उतर आया हो।
श्री राम जन्मभूमि मंदिर, अयोध्या के भूमि पूजन एवं शिलान्यास कार्यक्रम को अविस्मरणीय बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या में ‘श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्रतिरूप’ पर आधारित डाक टिकट जारी किया। प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही ‘रामायण विश्व महाकोश’ पर एक विशेष डाक आवरण व विरूपण भी जारी किया। यह कस्टमाइज्ड डाक टिकट और विशेष आवरण भारतीय डाक विभाग और उत्तर प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के अधीन अयोध्या शोध संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में जारी किया गया। इस कस्टमाइजड डाक टिकट की 5 हजार शीट्स मुद्रित की गयी जिनमें कुल 60 हजार डाक टिकट उपलब्ध हैं। ‘ग्लोबल एनसाइक्लोपीडिया ऑफ द रामायण’ पर जारी किए गए विशेष आवरण में विभिन्न कालखंडों एवं विभिन्न देशों में मिलने वाले रामायण संस्कृति के प्रमाणिक साक्ष्यों की जानकारी दी गयी है।
अयोध्या और श्रीराम एक दूसरे के पर्याय हैं। अयोध्या में होने वाली हर गतिविधि श्रीराम के ही इर्द-गिर्द घूमती है। ऐसे में डाक टिकटों के साथ ही श्रीराम और उनसे जुड़े कथानकों पर डाक विभाग द्वारा विशेष आवरण और विरूपण भी जारी किये गए हैं। अयोध्या में प्रति वर्ष होने वाले ‘दिव्य दीपोत्सव’ को यादगार बनाने के लिए डाक विभाग द्वारा विशेष आवरण जारी किये गए हैं। अयोध्या में आयोजित डाक टिकट प्रदर्शनी ‘अवधपेक्स’ के दौरान 5 जनवरी, 2019 को ‘राम की पैड़ी’ पर विशेष आवरण जारी किया गया। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या शोध संस्थान के संग्रहालय में कर्नाटक शैली की कोदण्ड राम मूर्ति का एक भव्य कार्यक्रम में अनावरण किया और इस अवसर को यादगार बनाने हेतु उन्होंने भारतीय डाक विभाग द्वारा अयोध्या शोध संस्थान, तुलसी स्मारक भवन पर 7 जून, 2019 को एक विशेष आवरण एवं कोदण्ड राम की मूर्ति के अंकन वाला विशेष विरूपण जारी किया। रामायण कॉन्क्लेव के शुभारम्भ अवसर पर 29 अगस्त, 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘अयोध्या शोध संस्थान द्वारा वैश्विक स्तर पर अयोध्या की पारम्परिक रामलीला का मंचन’ पर विशेष आवरण का विमोचन किया। यह विशेष आवरण पूरे विश्व में अयोध्या की पारम्परिक रामलीला मंचन का प्रसार करते हुए पर्यटन को बढ़ावा देने में मददगार है।
आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में डाक विभाग द्वारा ललित कला अकादमी, अलीगंज, लखनऊ में आयोजित 12वीं राज्य स्तरीय डाक टिकट प्रदर्शनी ‘यूफिलेक्स 2022’ का उद्घाटन करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 15 अक्टूबर, 2022 को ‘श्रीराम वन गमन पथ’ पर 14 विशेष आवरण व विरूपण का एक विशेष सेट एवं डेफिनिटिव स्टाम्प थीम पैक का विमोचन किया। श्रीराम वन गमन से संबंधित यह सभी 14 स्थान उत्तर प्रदेश से संबंधित हैं- अयोध्या, तमसा नदी तट, सूर्य कुण्ड (सभी अयोध्या), सीता कुण्ड (सुल्तानपुर), देव घाट (प्रतापगढ़), शृंगवेरपुर, राम जोईटा, महर्षि भारद्वाज आश्रम, अक्षयवट (सभी प्रयागराज), सीता पहाड़ी, महर्षि वाल्मीकि आश्रम, कामदगिरि, रामशैय्या, रामघाट (सभी चित्रकूट)। निश्चित रूप से यह ये विशेष डाक आवरण न सिर्फ देश के भीतर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सांस्कृतिक संदेशवाहक का कार्य करते हैं।
हमारे देश में रावण बुराई का प्रतीक है और श्रीराम अच्छाई के। तमाम ग्रंथों में रावण को महिमा-मंडित भी किया गया है। ग्रंथों में यह भी उल्लेखित है कि रावण प्रकांड पंडित और परम शिव भक्त भी था। बुराई को रावण की संज्ञा दी जाती है। विजयदशमी पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत प्रतीक है। यह दर्शाता है कि बुराई के भले कितने भी सिर क्यों न हो, अच्छाई के आगे सब झुक भी जाते हैं और कट भी जाते हैं। ऐसे में भारतीय डाक विभाग ने रावण के दस सिर वाले मुखौटे पर भी 15 अप्रैल, 1974 को 2 रुपये का डाक टिकट जारी किया। भारतीय मुखौटों की शृंखला के तहत 15 अप्रैल, 1974 को डाक विभाग ने सूर्य, चंद्रमा, नरसिंह और रावण पर डाक टिकट जारी किये। ये डाक टिकट क्रमश: 20 पैसे, 50 पैसे, 1 रुपये और 2 रुपये के मूल्यवर्ग में जारी किये गए।
श्रीराम का चरित्र सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि कई देशों की सभ्यताओं और संस्कृतियों को प्रभावित करता है। बंगाल से बाली तक और तमिलनाडु से तिब्बत तक सबके अपने राम हैं और अपनी रामायण। कहते हैं कि दुनिया भर में अपने अलग-अलग पाठों के साथ लगभग 300 रामायण मौजूद हैं। भारत के विभिन्न अंचलों की बात करें तो 100 से ज्यादा तरह की रामायण यहां प्रचलित हैं। हैरतअंगेज तरीके से इन रामायणों में पात्र, कथानक और घटनाएं न सिर्फ बदल जाती हैं बल्कि अपना देशज स्वरूप और आंचलिकता भी दिखाती हैं। साहित्य और रंगमंच की दृष्टि से राम कथा विश्व के अधिकांश देशों में पहुंच स्थापित करती है। राम कथा के सूत्र भारत के बाहर श्रीलंका, नेपाल, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, लाओस, जापान, चीन, वियतनाम, सूरीनाम, कंबोडिया और म्यांमार इत्यादि देशों तक भी व्याप्त हैं। मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया में श्रीराम आज भी प्रेरक व्यक्तित्व हैं। थाईलैंड में भले ही बौद्ध धर्म की बहुलता हो, परन्तु वहां के राजा को राम का वंशज माना जाता है। यही कारण है कि विश्व के कई देशों ने श्रीराम से जुड़े विभिन्न प्रसंगों पर डाक टिकट जारी कर उनके कथानक और विचारों को न सिर्फ आत्मसात किया है, बल्कि डाक टिकटों के माध्यम से उन विचारों और आदर्शों को देश-दुनिया के कोने-कोने में प्रचारित-प्रसारित किया है।
(लेखक वाराणसी और प्रयागराज परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल हैं। )