राम से बड़ा,राम का नाम!
मुबंई: गुरू ऋषि वशिष्ठ ने बडी बारीक़ी से ग्रहों की गणना, अध्यन करके भगवान श्रीराम जी के राज्याभिषेक का मुहूर्त निकाला था और हुआ क्या? काल की गति देखिए कि मेरे भगवान को चौदह वर्ष के लिए वनवास जाना पडा।
होइहिं सोई,जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढावै साखा।।
इस लिए महा मूर्खों 05 अगस्त के राम मंदिर पूजन के मुहूर्त के शुभ-अशुभ पर न तर्क करो,ना कुतर्क। सारी सृष्टि,सारे ग्रह नक्षत्र तो भगवान के इशारों पर ही चलते हैं। उनके लिए क्या शुभ, क्या अशुभ? क्या मुहूर्त और क्या अमुहूर्त?
यह वही लोग हैं जो कहते थे कि भगवान राम काल्पनिक है। तब भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करते थे, आज उनके मंदिर के लिए शुभ-अशुभ की बात कर रहे हैं।….दोगले! तब का रावण ऋषि और राक्षसी पुत्र था, ब्राह्मण बनता था। आज का रावण भी हाइब्रिड है,जनेऊ पहन कर ब्राह्मण बनने की अधूरी कोशिश करता है।
वो व्यंग में कहते थे कि “मंदिर वहीं बनायेंगे लेकिन तारीख नही बताएँगे” और आज जब मंदिर बनने की तारीख बता दी गई है, तो इन धुर्तो के पेट में मरोड़ उठने लगा है। जिस इमाम-ए-हिंद की आदर-इबादत मुसलमान भी करते हैं। जिसकी पूजा बुद्ध, जैन,सिख,पारसी भी करते हैं। जिसके आगे ईसाई भी नतमस्तक होते हैं। पूरी दुनिया में वही एक तो है,जो पूजनीय है। जिसके आगे पूरी क़ायनात सजदा करती है।…..ऐसे है,मेरे राम लला!
इंसान जन्म लेता है तो राम,जीता है तो श्रीराम, जीवन रहता है तो राम-राम,मरता है तो राम नाम! जीवन की शुरुआत राम से, जीवन का अंत भी राम से। उस राम लला की फिक्र तुम क्यो करते हैं? वो तो हम सबकी फिक्र करता है। उन्होंने अयोध्या में अपने भव्य राम मंदिर की नियति भी लिखी होगी।…. सबका मंगल करने वाले राम लला के मंदिर का कैसा अमंगल।
खुरापात करने वाले राक्षस त्रेता युग में भी थे और नफरती असुर आज कलयुग में भी हैं। शुभ कार्यो में हमेशा से व्यवधान डालते रहे हैं। अपने भगवान श्रीराम लला पर भरोसा रखो। वो सब ठीक कर देंगे, सबको ठीक कर देंगे।