उज्जैन में धूमधाम से मनाई जाएगी रंगपंचमी, बाबा महाकाल के दरबार में निभाई जाती है ऐसी अनूठी परंपरा
उज्जैन : होली के पांचवें दिन रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाता है. हिंदू धर्म में रंगपंचमी का खास महत्व है. भगवान महाकाल के दरबार में रंगपंचमी पर अनूठी परंपरा निभाई जाती है. पुजारी आशीष गुरु ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में रंगपंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. रंगपंचमी पर्व पर भगवान महाकाल को टेसू के फूल और केसर के जल से स्नान कराया जाता है. पंडित और पुरोहित परिवारों की ओर से भगवान महाकाल को होली खिलाई जाती है. रंग को सभी प्रकार के फूलों से तैयार किया जाता है. भगवान महाकाल को इत्र भी लगाया जाता है.
पंडित आशीष पुजारी के मुताबिक स्नान, होली, खूशबू के बाद भगवान महाकाल का भांग, सूखे मेवे, गुलाल, कंकू, चंदन से श्रृंगार होता है. श्रंगार के बाद भस्म आरती की जाती है. रंगपंचमी का पहला रंग भी भगवान महाकाल को चढ़ता है. इसके बाद देशभर में रंगपंचमी का पर्व मनाया जाता है. इसी दिन महाकालेश्वर मंदिर में एक और परंपरा का पालन होता है. भगवान महाकाल की पूजा अर्चना के बाद विजय पताका फहराकर मनोकामना का ध्वज निकाला जाता है.
ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बे वाला के मुताबिक शास्त्रों में पांच पंचमी का विशेष महत्व माना गया है. इसमें नाग पंचमी, कुंवारा पंचमी, ऋषि पंचमी, बसंत पंचमी के साथ-साथ रंगपंचमी भी शामिल है. प्राचीन काल में राजा-महाराजा रंगपंचमी पर्व पर विजय पताका निकालते थे. महाकालेश्वर मंदिर में भी परंपरा अनादि काल से चली आ रही है. रंगपंचमी पर भगवान महाकाल के ध्वज के साथ कई और श्रद्धालु भी हाथों में ध्वज लेकर विजय पताका के साथ निकलते हैं. पंडित संजय गुरु के मुताबिक श्रद्धालु भगवान महाकाल से मनोकामना मांगते हैं. मनोकामना पूरी होने के बाद रंगपंचमी पर पताका लेकर श्रद्धालु निकलते हैं. कई श्रद्धालु मनोकामना मांगते समय भी विजय पताका लेकर निकलते हैं. इस दौरान पंडित और पुरोहित परिवार की होली भी खेली जाती है.