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अमेरिका के नागरिकों में तेजी से बढ़ रहा डिप्रेशन

नई दिल्ली : डिप्रेशन पूरी दुनिया में एक बड़ी समस्या बन गया है। विश्व के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के नागरिकों में डिप्रेशन तेजी से बढ़ रहा है। इसे देखते हुए वहां के हेल्थ पैनल ने पहली बार सिफारिश की है कि 65 साल से कम उम्र के सभी वयस्कों की एंग्जाइटी और मानसिक स्वास्थ्य की जांच होनी चाहिए।
यह सिफारिश ऐसे वक्त की गई है, जब देश में लोग तनाव बढ़ाने वाली बीमारियों, लॉन्ग कोविड, महंगाई के कारण आर्थिक तंगी और अनिश्चितता के चलते परेशानियां महसूस कर रहे हैं। वर प्रिवेंटिव सर्विसेज टास्क फोर्स एडवाइजरी ग्रुप ने कहा है कि इस जांच से लोगों को मानसिक तनाव कम करने में मदद मिलेगी। इस समस्या को लगातार अनदेखा किया गया है। पैनल ने बच्चों और किशोरों के लिए भी इस साल की शुरूआत में भी इसी जांच की सिफारिश की थी।

ह्यूमन हेल्थ और सर्विस डिपार्टमेंट की ओर से बनाया गया यह पैनल कोविड के पहले से रिपोर्ट तैयार कर रहा है। मैसाचुसैट्स चान मेडिकल स्कूल में प्रोफेसर और इस टास्क फोर्स के हिस्सा रहे लोरी पबर्ट ने बताया कि एंग्जाइटी के बड़े कारण अपराध बढ़ना, लॉकडाउन का तनाव, कोविड में परिजन का निधन हैं। टास्क फोर्स ने अध्ययन में पाया है कि अगस्त 2020 से फरवरी 2021 के बीच वयस्कों में एंग्जाइटी या डिप्रेशन के लक्षणों के मामले 36.4% से बढ़कर 41.5% हो गए। कई साइकोलॉजिस्ट्स का मानना है कि लोगों की एंग्जाइटी स्क्रीनिंग तभी कारगर होगी, जब उन्हें बाहर आने का रास्ता भी सुझाया जाए। दूसरी चुनौती इतने बड़े स्तर पर स्वास्थ्य संसाधन और स्टाफ जुटाना होगी।

पैनल की सिफारिशों पर अमेरिकी नागरिकों से 17 अक्टूबर तक राय ली जा रही है। वैसे मेंटल हेल्थ के मामलों में ऐसा बदलाव देखने वाला अमेरिका अकेला नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (हऌड) के अनुसार, कोरोना की पहली लहर में लोगों में डिप्रेशन और एंग्जाइटी में 25% की वृद्धि हुई। टास्क फोर्स के मुताबिक, अमेरिका में लगभग 25% पुरुष और लगभग 40% महिलाएं एंग्जाइटी का शिकार होती हैं। शोध बताते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एंग्जाइटी का खतरा दोगुना रहता है।

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