कानपुर में जलने से पहले रोएगा 90 फ़ीट का बनने वाला परेड का रावण
कानपुर में परेड की रामलीला का विशेष महत्व है. इसके साथ ही यहां दहन किया जाने वाला रावण का पुलता भी लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है. यहां हर साल रावण के पुलते की कोई न कोई विशेषता रहती है. जिसे देखने व जानने के लिए प्रत्येक शहरवासी उत्सुक रहता है. यहां पर रावण ही नहीं बल्कि मेघनाथ व कुम्भकर्ण का पुलता भी जलाया जाता है. इन पुतलों को आज़ादी के पहले से ही लगातार एक मुस्लिम परिवार की ओर से तैयार किया जा जाता रहा है. वास्तव में अगर देखा जाए तो परेड की रामलीला हिंदू-मुस्लिम सद्भाव की मिसाल पेश कर राम राज्य के सपने को साकार कर रही है.
1877 से लगातार मुस्लिम परिवार तैयार कर रहा पुतला
रावण का पुतला तैयार करने वाले सलीम खां ने बताया कि 141 साल पहले जब 1877 में पहली बार यहां रामलीला का आयोजन किया जा रहा था, तब अंग्रेज अफ़सरों ने इसका विरोध किया था. लेकिन, उनके विरोध के बावजूद परेड ग्राउंड में रामलीला आयोजित हुई. 1877 में यहां पहली बार हमारे दादा अशरफ़ ने रावण का पुलता तैयार किया था. दाद जी के बाद पिता जी यह काम संभाला और आज उनकी तीसरी पीढ़ी इस काम में जुटी है.
80 फ़ीट का होगा मेघनाथ व 85 फ़ीट का होगा कुम्भकर्ण
सलीम खां ने बताया कि इस बार 90 फिट लंबे रावण के पुतले का सिर रिमोट से जलाया जाएंगे. इसके अलावा पुतला दहन से पहले रावण रोता हुआ नज़र आएगा. वहीं, उसकी नाभि से अमृत भी बहेगा. उन्होंने बताया कि रावण के अलावा कुम्भकर्ण व मेघनाथ का पुतला भी तैयार किया जा रहा है. जिनकी लंबाई 85 व 80 फ़ीट होगी.