RBI गवर्नर ने कहा- इकोनोमी खुल रही है, सभी बैंक कस ले अपनी कमर…
नई दिल्ली: देश के बैंकिंग सेक्टर के फाइनेंशिनल हेल्थ पर दी गई चिंताजनक रिपोर्ट्स के बीच शनिवार को रिजर्व बैंक (RBI) ने सरकारी क्षेत्र के बैंकों के साथ एक अहम बैठक की। इस बैठक में कोविड-19 के प्रभाव से देश की इकोनॉमी को बचाने के साथ बैंकों की भावी नीति पर भी विमर्श किया गया। मोटे तौर पर बैंको को यह निर्देश दिया गया कि सरकार ने लॉकडाउन से निकलने की राह बनानी शुरु कर दी है और बैंकों को बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए। आरबीआइ गवनर्र डॉ. शक्तिकांत दास की अगुवाई में हुई इस बैठक में छोटे व मझोले उद्योगों को पर्याप्त कर्ज देने के साथ ही गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की स्थिति सुधारने के तमाम विकल्पों पर पर भी विस्तार से चर्चा हुई है।
बैठक में आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने वाणिज्यिक बैंकों को यह याद दिलाया कि मौजूदा हालात से इकोनॉमी को निकालने में उन्हें एक अहम भूमिका निभानी है। तो बैंकों की तरफ से भी बिगड़ते हालात में फंसे कर्जे की स्थिति के बारे में खुल कर बताया गया। RBI की तरफ से बैंकों को बताया गया है कि तीन महीने की सावधि कर्ज के भुगतान पर रोक लगाने संबंधी उसकी घोषणा का सही परिप्रेक्ष्य में पालन होना चाहिए। इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश का भी जिक्र आया, जिसमें उक्त नियम का फायदा समाज के सभी वर्गों को एक समान तौर पर देने की बात कही गई है।
RBI की तरफ से बताया गया है कि मौजूदा आर्थिक हालात से जुड़े हर पहलू पर चर्चा के बाद विदेशों में भारतीय बैंकों की संचालन गतिविधियों का मुद्दा उठा। सरकारी क्षेत्र के बैंकों ने हाल के चार वर्षों में अपने काफी विदेशी संचालन को बंद कर दिया है इसके बावजूद अभी 140 के करीब ब्रांच विदेशों में है। अभी वैश्विक मंदी की वजह से एक चिंता यह है कि भारतीय बैंकों के विदेशी शाखाओं को नुकसान हो सकता है। बैंकों को कहा गया है कि वे अपनी विदेशी शाखाओं की निगरानी करें।
दास ने खास तौर पर यह आग्रह किया कि अब जबकि राष्ट्रीय लॉकडाउन को धीरे धीरे खत्म किया जा रहा है तब बैंकों की भूमिका काफी अहम हो जाती है। बड़ी संख्या में लोग कर्ज लेने के लिए आगे आएंगे। खास तौर पर छोटे व मझोल उद्योगों को वर्किंग कैप्टिल की जरुरत होगी। इन सभी की जरुरतों के पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक ने पिछले एक महीने में कई तरह के इंतजाम किये हैं।