RBI और सरकार ने अपने हर मुद्दे पर निकाला गया बीच का रास्ता
भारतीय रिजर्व बैंक के डेप्यूटी गवर्नर विरल आचार्य के एक बयान के बाद सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच उठे विवाद पर आखिरकार सोमवार को विराम लग गया. सोमवार को आरबीआई की बोर्ड मीटिंग में कई मुद्दों को लेकर सहमति बनी. मीटिंग में कई ऐसे मौके भी बने, जब तीखी बहस हुई. हालांकि ज्यादातर मीटिंग काफी शांतिपूर्ण तरीके से पूरी हुई.
सुबह मीटिंग की शुरुआत तनावपूर्ण माहौल में हुई. हालांकि जैसे-जैसे मीटिंग की चर्चा आगे बढ़ी, वैसे-वैसे माहौल नरम पड़ता गया. इस दौरान सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच कई मुद्दों पर सहमति भी बनी. पूरी मीटिंग में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने मोर्चा संभाले रखा.
सिर्फ 4 मुद्दों पर हो पाई चर्चा
सोमवार को 9 घंटे तक चली बैठक में चर्चा के लिए दर्जन भर विषय रखे गए थे. हालांकि इस दौरान सिर्फ 4 मुद्दों पर ही चर्चा हो पाई. जिन मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाई. इनमें सिस्टमैटिक लिक्विडिटी और आरबीआई गवर्नेंस जैसे अहम मुद्दे भी शामिल थे. अब इन मुद्दों पर 14 दिसंबर को होने वाली बैठक में चर्चा होगी.
कैश संकट से राहत के लिए 8 हजार करोड़
सिस्टम में लिक्विडिटी अथवा कैश की कमी को दूर करने की खातिर मीटिंग में 8 हजार करोड़ रुपये की राशि सिस्टम में डालने का फैसला लिया गया. आरबीआई इस रकम को गवर्नमेंट सिक्योरिटीज की खरीद के जरिये सिस्टम में डालेगी. हालांकि यह 90 हजार से 1 लाख करोड़ की उस राशि से कम है, जिसकी कमी बताई जा रही थी.
SMEs को राहत:
बोर्ड मीटिंग के दौरान आरबीआई के पार्ट टाइम निदेशक एस. गुरुमूर्ति ने छोटे कारोबारी (SME) एनपीए के रिस्ट्रक्चरिंग के प्रस्ताव को मंजूरी दिलाई. बोर्ड ने एसएमई के 25 करोड़ रुपये तक के एनपीए की रिस्ट्रक्चरिंग करने के प्रस्ताव को पास किया. हालांकि गुरुमूर्ति ने इस सीमा को 40 करोड़ रखने का प्रस्ताव दिया था.
आचार्य को घेरा:
एक वक्त पर निदेशक मनीष सबरवाल ने विरल आचार्य पर सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी देने को लेकर घेरा. उन्होंने पूछा, ”आप खुद को सही साबित करना चाह रहे हैं या फिर सफल होना?” मीटिंग में शामिल एक आरबीआई निदेशक ने इस वाकिये को लेकर कहा कि इससे एक बार फिर दोनों पक्ष अपनी-अपनी जगह पर अड़ गए थे. हालांकि बैक चैनल डिस्कशन होने के बाद यह बहस नरम हो गई.
तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई पर भी राहत
मीटिंग में 11 बैंकों के खिलाफ तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई पर भी राहत दी गई है. इसके अलावा आरबीआई के रिजर्व्स को इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क कमिटी को सौंपने के प्रस्ताव पर चर्चा की खातिर एक पैनल गठित करने का फैसला लिया गया है.